Bavani Imali Fatehpur:आज ही के दिन फतेहपुर की धरती पर 52 क्रांतिकारियों को दी गई थी फाँसी
- By युगान्तर प्रवाह संवाददाता
- Published 28 Apr 2022 05:15 PM
- Updated 25 Sep 2023 04:50 AM
अंग्रेजो के विरुद्ध आजादी के आंदोलन में यूपी के फतेहपुर का भी योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता है.आजादी के दीवाने 52 क्रांतिकारियों को दमनकारी अंग्रेजों ने एक साथ फाँसी पर लटका दिया था.आज 28 अप्रैल को इस शहादत की 165 वी पुण्यतिथि है.पढ़ें ये रिपोर्ट. Bavani Imali fatehpur puny tithi
Fatehpur News:फतेहपुर की धरती में आज से ठीक 165 साल पहले क्रांति की नई इबारत लिखी गई थी. दमनकारी अंग्रेजो ने एक साथ 52 क्रांतिकारियों को इमली की पेड़ पर फाँसी से लटका दिया था.यह घटना फतेहपुर के बिंदकी तहसील में स्थित खजुहा में हुई थी.जिस बाग में फाँसी दी गई थी उसको तब से बावनी इमली के नाम से जाना जाता है.
28 अप्रैल 1858 को महान क्रांतिकारी जोधा सिंह अटैया और उनके 51 साथियों को इमली के पेड़ पर फांसी दे दी गई थी.इसे दूसरा जलियां वाला बाग भी कहते हैं.दूसरी तरफ जोधा सिंह अटैया के गांव रसूलपुर में उनकी जन्मस्थली तलाशना मुश्किल है.1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंगरेजों की नाम के दम कर देने वाले जोधा सिंह का खजुहा में स्मारक बना है.यहां उनकी प्रतिमा के साथ शहीद स्तंभ भी है.इमली के पेड़ के नीचे 52 छोटे स्तंभ हैं, जो बताते हैं कि यहीं जोधा सिंह और उनके साथियों ने भारत मां की आजादी के लिए कुर्बानी दी थी.
जोधा सिंह अटैया ने 1857 में अपने क्रांतिकारी साथियों का दल बनाया. तात्या टोपे से गुरिल्ला वार की कला सीखी. अक्तूबर 1857 को महमूदपुर गांव में एक अंगरेज दारोगा और सिपाही को जिंदा जला दिया.
रानीपुर पुलिस चौकी पर हमला कर तबाही मचा दी. कर्नल पावेल को मौत के घाट उतार दिया.9 दिसंबर 1857 को जहानाबाद तहसील को घेर कर खजाना लूट लिया.इसमें दो दर्जन पुलिस वाले मारे गए.तहसीलदार को अगवा कर फिरौती में सभी किसानों का लगान माफ करवा लिया.
अप्रैल 1858 को अंगरेज सेना ने जोधा सिंह और उनके साथियों को घेर लिया. वह 51 साथियों सहित बंदी बना लिए गए.28 अप्रैल 1858 की शाम खजुहा में इमली के पेड़ से लटकाकर सभी को फांसी दे दी गई.खौफ इतना फैला कि दो महीने तक कोई शव उतारने ही नहीं आया.बाद में ठाकुर महाराज सिंह ने शव उतरवाए.शिवराजपुर गंगातट पर सभी का अंतिम संस्कार किया.