IPS Kavindra Pratap Singh : पूर्व आईजी केपी सिंह बने हिंदुओ के नेता विहिप में मिली बड़ी जिम्मेदारी
हाल ही में पुलिस सेवा से सेवानिवृत्त हुए आईपीएस कवींद्र प्रताप सिंह ( केपी सिंह ) ने नई जिम्मेदारी संभाली ली है, वह अब हिंदुत्व के एजेंडे पर काम करेंगें, उन्हें विश्व हिंदू परिषद ( विहिप ) ने काशी प्रांत के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी है.

IPS Kavindra Pratap Singh : हाल ही में पुलिस प्रसानिक सेवा में आईजी के पद से रिटायर्ड हुए कवींद्र प्रताप सिंह ने हिंदुत्व एजेंडे पर काम करने की राह पकड़ ली है. सेवानिवृत्त होने के बाद विश्व हिंदू परिषद से जुड़े पूर्व आईपीएस अधिकारी को विहिप ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है.उन्हें काशी प्रान्त का अध्यक्ष बनाया गया है.
विहिप ने यह निर्णय विहिप की केंद्रीय प्रबंध समिति की इंदौर में हुई दो दिवसीय बैठक में लिया है. इंदौर में क्षेत्र संगठन मंत्री पूर्वी उत्तर प्रदेश गजेंद्र सिंह एवं प्रांत संगठन मंत्री काशी प्रांत मुकेश की मौजूदगी में हुई बैठक में केपी सिंह को काशी प्रांत का अध्यक्ष बनाया गया. सोमवार शाम को केपी सिंह नई जिम्मेदारी के साथ प्रयागराज पहुँचें.जहां उनका ज़ोरदारी से स्वागत हुआ.
कौन हैं केपी सिंह..
कविद्र प्रताप सिंह का जन्म 1962 में हुआ था.
उन्होने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी, एमएससी, एलएलबी और एलएलएम किया.मूल रूप से मिर्जापुर के रहने वाले आईजी केपी सिंह 1987 बैच के पीपीएस अफसर हैं.2002 में वह स्टेट पुलिस से आईपीएस में प्रोन्नत हुए. 2012-13 के कुंभ में सफल भूमिका को देखते हुए 2019 के कुंभ में उन्हें दोबारा कमान सौंपी गई थी.इस बीच वह फतेहपुर में भी एसपी के पद पर तैनात रहे थे.
उन्होंने कुंभ का सफलतापूर्वक आयोजन कराकर तारीफें भी बटोरीं.लेकिन कुछ कारणों से वह विवादों में घिरे.34 वर्षों के सेवा काल में 18 साल, सात महीने और आठ दिन प्रयागराज जोन में तैनात रहने को लेकर भी वह काफी चर्चा में रहे. सबसे ज्यादा कंट्रोवर्सी महंत नरेंद्र गिरी की मौत के बाद हुई.
बाघंबरी मठ, हनुमान मंदिर और महंत नरेंद्र गिरि से करीबी को लेकर वह खासा चर्चा में रहे. मठ से उनकी करीबी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महंत की संदिग्ध हाल में मौत की सूचना भी शिष्यों व सेवादारों ने स्थानीय पुलिस से भी पहले उन्हें दी.स्थानीय पुलिस के पहुँचने से पहले केपी सिंह मठ पहुँच गए थे.उस वक्त वह प्रयागराज जोन के आईजी थे.इसके बाद ही उन्हें प्रयागराज से हटाकर अयोध्या का आईजी बनाया गया था.