फ़तेहपुर:वाह रे प्रशासन!भाजपा विधायक के निवास को छोड़कर पूरा एरिया सील।
शहर के पॉश इलाक़े आवास विकास में मंगलवार को जिला प्रशासन ने बैरिकेडिंग कर इलाक़े को पूरी तरह से सील किया..लेकिन इस सील की कार्यवाही पर प्रश्नचिन्ह लगने शुरू हो गए हैं..पढ़ें युगान्तर प्रवाह की एक रिपोर्ट।
फतेहपुर:कोरोना काल में भी प्रशासन आम और खास के बीच किस तरह से दोहरा रैवया अपनाता है, इसका ताज़ा उदाहरण मंगलवार को देखने को मिला।जहाँ कंटेन्मेंट एरिया को सील करने में एक भाजपाई विधायक की सुविधा का पूरा ख्याल रखा गया।
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दरअसल कंटेन्मेंट एरिया घोषित हो चुके शहर के आवास विकास इलाक़े को जिला प्रशासन के निर्देश पर कर्मियों ने बैरिकेडिंग के माध्यम से सील कर दिया।इस इलाक़े को जाने वाली समस्त रोडो पर बल्लियां लगाकर बैरिकेडिंग कर दी गई सिवाय भाजपा विधायक के निवास को जाने वाली सड़क को छोड़कर!अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या जिला प्रशासन ने विधायक के दबाव में उनके घर तक पहुँचने वाले रास्ते को छोड़कर आगे से बल्लियां बांधी हैं.?
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आपको बता दें कि बिंदकी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक करन सिंह पटेल का मुख्य निवास इसी इलाके में बना हुआ है।आवास से ही जुड़े हुए उनके ख़ाली प्लाट में इन दिनों निर्माण कार्य भी जोरों से चल रहा है।
ऐसे में यदि उनके मकान तक जाने वाले रास्ते में भी बैरिकेडिंग हो जाती तो विधायक जी के भवन निर्माण के कार्य में व्यवधान पड़ता!लेकिन सवाल यहाँ कोरोना के संक्रमण का है क्योंकि जनप्रतिनिधियों के पास काफ़ी लोगों का आना जाना लगा रहता है फ़िर ऐसे वक्त में जब शहर के इस इलाके में कोरोना का जोर हो बावजूद इसके विधायक निवास को जाने वाले रास्ते सील की कार्यवाही से मुक्त रहें तो प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह उठना लाज़मी है।
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गौर करने वाली बात ये भी है कि इस इलाके में कई सरकारी डॉक्टरों, वकीलों, कलक्ट्रेट में काम करने वाले कर्मचारियों, पत्रकारों व अन्य जरूरी सेवाओं से जुड़े लोगों के भी निवास स्थान हैं लेकिन उनके रास्तों को सील कर दिया गया है।उन सबको अपने कार्यक्षेत्र में ड्यूटी के लिए जाने पर रास्तों पर हुई बैरिकेडिंग से काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।एक स्थानीय निवासी कहते हैं कि विधायक जी के घर पर काफ़ी लोगो का आना जाना लगा रहता है उनके रास्ते को सील नहीं किया गया।क्या विधायक निवास पर कोरोना का ख़तरा नहीं है,जो उनके निवास को जाने वाले रास्ते को छोड़ दिया गया है।एक अन्य स्थानीय कहते हैं कि प्रशासन को कम से कम एक ऐसे रास्ते को बैरिकेडिंग से मुक्त रखना चाहिए जिससे ज़रूरी सेवाओं के लिए आवाजाही हो सके, वो कहते हैं मान लीजिए अचानक किसी की तबियत बिगड़ जाए तो उसके लिए एम्बुलेंस कैसे पहुँच पाएगी।जब तक बल्लियां खोली जाएंगी एम्बुलेंस के लिए रास्ता बनाया जाएगा तब तक हो सकता है कि देर हो जाए और समय से मरीज़ अस्पताल न पहुँच पाए।
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उल्लेखनीय है कि इस इलाक़े में करीब महीने भर पहले एक व्यक्ति में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी, उसके बाद कुछ और लोग पाज़िटिव पाए गए थे लेक़िन उस वक्त कोई बैरिकेडिंग नहीं हुई।इलाक़े केवल कागजों में कंटेन्मेंट घोषित रहे।बीते दिनों इसी इलाक़े में रहने वाले एक रिटायर्ड शिक्षक की कोरोना रिपोर्ट पाज़िटिव पाई गई और उनकी इलाज़ के दौरान प्रयागराज में मौत हो गई थी।इसके बाद प्रशासन चेता और इलाकों को सील करने की प्रक्रिया शुरू हुई।मंगलवार तक इस इलाक़े में क़रीब 15 कोरोना पाज़िटिव पाए जा चुके हैं जिनमें से कुछ डिस्चार्ज होकर घर भी लौट चुके हैं।
इस मामले में जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों से बात कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई लेक़िन सम्पर्क नहीं हो सका।यदि इस मामले में उनका कोई भी बयान आता है तो उसको खबर में जोड़ दिया जाएगा।