
फतेहपुर:शासनादेश की धज्जियां उड़ा.ग्राम प्रधान ने करा दिया विद्यालय की भूमि पर सामुदायिक शौचालय का निर्माण.!
सरकारी शासनादेश की भी यूपी में किस तरह धज्जियां उड़ाईं जातीं हैं इसका ताजी बानगी फतेहपुर में देखने को मिली हैं..क्या है पूरा मामला पढ़ें युगान्तर प्रवाह पर..

फतेहपुर:राज्य सरकार ने सभी ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराने का आदेश जारी किया है लेकिन फतेहपुर में इन शौचालयों के निर्माण किस तरह की अंधेरगर्दी की गई है इसका जीता जागता उदाहरण भिटौरा विकास खण्ड के आलमपुर नरही गाँव में बना सार्वजनिक शौचालय है।यहाँ स्पष्ट सरकारी शासनादेश होने के बावजूद नियमों को ताक पर ऱखकर ग्राम प्रधान औऱ पंचायत सचिव द्वारा सरकारी परिषदीय विद्यालय की ज़मीन पर सार्वजनिक शौचालय का निर्माण करा दिया गया है।fatehpur news

जानकारी के अनुसार भिटौरा विकास खण्ड के आलमपुर नरही ग्राम में ग्राम प्रधान सुनील कुमार द्वारा सरकारी धन से सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कराया जाने लगा जिसको लेकर गाँव के लोगों व विद्यालय की प्रधानाध्यापक ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि विद्यालय की भूमि पर सार्वजनिक शौचालय का निर्माण न कराया जाए लेकिन ग्राम प्रधान द्वारा मनमाने तरीक़े से शौचालय का निर्माण करा दिया गया।alampur narahi gram pradhan news
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गांव के ही रणधीर सिंह बताते हैं कि गांव वालों ने शौचालय निर्माण का विरोध किया लेकिन ग्राम प्रधान द्वारा मनमानी की गई, उन्होंने बताया इस बारे में डीएम, जिला बेसिक अधिकारी, खण्ड विकास अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी (CDO) से शिकायत की गई है लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
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विद्यालय की हेड मास्टर द्वारा भी बीते 17 सितम्बर को एक पत्र जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के नाम लिखा गया है कि ग्राम प्रधान द्वारा मनमाने तरीक़े से विद्यालय परिसर पर सार्वजनिक शौचालय का निर्माण करा दिया गया है।जबकि विद्यालय में पहले से शौचालय बने हुए हैं।इस सार्वजनिक शौचालय के चलते बच्चों की पढ़ाई पर व्यवधान पड़ेगा।
सरकारी शासनादेश क्या कहता है..
बीते 14 सितम्बर को महानिदेशक स्कूल शिक्षा एवं राज्य परियोजना निदेशक कार्यालय द्वारा महानिदेशक विजय किरण आनंद द्वारा जारी किए गए शासनादेश में स्पष्ट शब्दों में लिखा गया है कि-'किसी भी दशा में परिषदीय विद्यालय परिसर में उपलब्ध भूमि का प्रयोग सामुदायिक शौचालय निर्माण हेतु तत्काल प्रतिबंधित किया जाए।'
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इस आदेश में यह भी लिखा गया है कि यदि ऐसा कहीं हो रहा है तो वह नितांत अस्वीकार होने के साथ ही शासनादेश में निहित प्रावधान का खुला उल्लंघन है।
इस मामले में जिला पंचायती राज अधिकारी(DPRO) अजय आंनद सरोज ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है जाँच कराकर आगे की कार्यवाही की जाएगी।
