यादों में मुलायम सिंह : पत्रकार हितैषी रहे 'नेताजी' को वरिष्ठ पत्रकारों ने इस तरह किया याद
- By युगान्तर प्रवाह संवाददाता
- Published 10 Oct 2022 04:47 PM
- Updated 26 Aug 2023 01:22 PM
समाजवाद की सबसे बुलंद आवाज सोमवार सुबह हमेशा के लिए खामोश हो गई. धरतीपुत्र, नेताजी के नाम से विख्यात पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया. उनके निधन पर देश के सभी बड़े राजनेताओं से लेकर आम आदमी तक शोक संवेदना व्यक्त कर रहा है.इस रिपोर्ट में जानते हैं यूपी के वरिष्ठ पत्रकार नेताजी के जीवनकाल को किस तरह देखते हैं. Mulayam Singh Yadav Ke Yadgar Kisse
Mulayam Singh Yadav : समाजवाद का सितारा सोमवार को डूब गया. राजनीति में पिछड़ों, शोषितों औऱ मुसलमानों की सबसे मजबूत आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई. तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया. सोमवार सुबह करीब 8:30 बजे गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली.
मुलायम सिंह को नजदीक से जानने वाले यूपी के वरिष्ठ पत्रकार प्रेम शंकर अवस्थी कहते हैं कि मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री रहते हुए सदैव पत्रकारों का हित साधते थे,मैत्री भाव रखते थे, व पत्रकारों के दर्द को समझते थे. जब विश्वनाथ प्रताप सिंह ( V.P Singh ) देश के पीएम थे, उस वक्त मुलायम सिंह यूपी के सीएम थे. Prem Shanker Awasthi Latest News
प्रेम शंकर जी बताते कि उन दिनों वह फतेहपुर के यूएनआई प्रमुख होने के चलते दोनों नेताओं के निकट हो गए थे. चूंकि उस वक्त वीपी सिंह फतेहपुर संसदीय क्षेत्र से ही जीतकर प्रधानमंत्री बने थे, जिसके चलते फतेहपुर चर्चा के केंद्र में था. और अक्सर बड़े नेताओं का आना जाना लगा रहता था. Mulayam Singh Yadav
श्री अवस्थी पुराने दिनों की याद करते हुए बताते हैं कि मुलायम सिंह जी से कई बार जिले की समस्याओं को लेकर मुलाकात हुई जिस पर उन्होंने गम्भीरता से विचार करते हुए निस्तारण भी किया.लोहिया, राजनरायन, जनेश्वर के बाद मुलायम समाजवाद के सबसे प्रखर नेता रहे. मुलायम सिंह का निधन समाजवाद के एक युग का अंत है, भारतीय राजनीति ख़ासकर उत्तर प्रदेश में उनकी कमी हमेशा खलेगी.
वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश मिश्र ने कहा कि- "समाजवाद को ज़मीन पर साकार कर नेता जी चले गए. मुलायम सिंह यादव एक नेता नहीं बल्कि विचारधारा थे. समाजवाद का चमकता सूरज आज अस्त हो गया.उनका संघर्ष, जीवंत पुस्तक है.उनकी उपलब्धियां कालजयी है.पिछड़ों-शोषितों के हक़ का पहरेदार. मन से मुलायम,इरादे लोहा,नेता जी, आप बहुत याद आएंगे."
वरिष्ठ पत्रकार पंकज झा मुलायम सिंह को याद करते हुए लिखते हैं कि-"राजनीति के एक युग का अंत हो गया, वे देश के आख़िरी सोशलिस्ट नेता रहे,मन के मुलायम नेताजी को विनम्र श्रद्धांजलि."
दूसरी तरफ शिक्षाविद् एवं हाल ही में आईटीआई प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुए श्री शशि प्रकाश दीक्षित ने मुलायम सिंह को समाजवाद का एक प्रखर नेता
बताते हुए हिंदी का हितैषी बताया उनका कहना था अंग्रेजी हटाओ आंदोलन जब कानपुर में चला ,हजारों लोग उनके साथ हो गए उनकी हिंदी सेवा का प्रेम सदैव हिंदी प्रेमियों के मानस पटल पर रहेगा और उनका यह संघर्ष सब को हिंदी के प्रति जागृत करता रहेगा.
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