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UP Heavy Flood : हिमाचल में बाढ़ की तबाही के बाद Yogi Adityanath ने बाढ़ से निपटने के लिए बनाई रणनीति, दिए ये निर्देश

हिमाचल और उत्तराखंड में जिस तरह से बारिश के बाद बाढ़ ने तबाही मचायी उसके बाद से सभी राज्य अलर्ट है.यूपी के भी कई जिले बारिश से प्रभावित हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ ,जलभराव और राहत कार्यों को लेकर बैठक करते हुए आलाधिकारियों को अलर्ट के निर्देश दिये हैं.

UP Heavy Flood : हिमाचल में बाढ़ की तबाही के बाद Yogi Adityanath ने बाढ़ से निपटने के लिए बनाई रणनीति, दिए ये निर्देश
यूपी में बारिश ,जलभराव और बाढ़ व राहत कार्यों की सीएम ने समीक्षा,दिए निर्देश
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हाईलाइट्स

  • सीएम योगी आदित्यनाथ ने बारिश ,जलभराव और बाढ़ को लेकर की समीक्षा बैठक
  • आलाधिकारियों को अलर्ट रहने के दिये निर्देश 24 घण्टे सतत निगरानी बनाये रखें
  • आपदा प्रबंधन की टीमें निगरानी बनाये रखें, हर स्थिति से निपटने व एक्टिव मोड पर रहने के निर्देश

CM Yogi alerted the high officials regarding Flood : हिमाचल और उत्तराखंड में जिस तरह कुदरत का कहर टूटा है.उससे जन-धन हानि का काफी नुकसान हुआ है.खुद गृहमंत्री लगातार बाढ़ को लेकर अपडेट ले रहे हैं.इन्हीं बिन्दुओ को मद्देनजर रखते हुए उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ भी एक्टिव हो गए हैं. उन्होंने यूपी में बाढ़, जलभराव से निपटने के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं.

मानूसन जारी बाढ़ व बारिश को लेकर अलर्ट

मानूसन की दस्तक जारी है.24 जनपदों में सामान्य से अधिक बारिश हुई है, जबकि 31 जिलों में औसत से कम वर्षा हुई है.ऐसे में बारिश को लेकर नदियां भी उफान पर हैं.नदी किनारे बसे गांवो में रहने वालों को सबसे ज्यादा बाढ़ की समस्या का सामना करना पड़ता है.जिस तरह से हिमाचल और उत्तराखंड में आफत की बारिश ने तबाही मचा रखी है ऐसे में आने वाले दिनों में प्रदेश भर की नदियां उफान पर होंगी. उसी को दृष्टिगत रखते हुए यूपी के सीएम ने ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए आलाधिकारियों को अलर्ट करते हुए रूपरेखा बना ली है और यह निर्देश जारी किए हैं.

राहत-बचाव से जुड़े सभी विभागों को किया गया अलर्ट

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विभिन्न प्रदेशों की नदियों की वजह से जलस्तर बढ़ने की संभावना है . जिसको लेकर सीएम ने सिंचाई व जल संसाधन के साथ-साथ राहत और बचाव से जुड़े सभी विभाग को अलर्ट मोड में रहने के निर्देश दिए.

जिन जिलो में बारिश कम हुई है हालांकि मौसम विशेषज्ञों के अनुसार जुलाई माह में इन जिलों में भी अच्छी वर्षा होने की संभावना है.मौसम की बदलती परिस्थितियों पर नजर रखी जाए. आकाशीय बिजली से हुई जन-धन की हानि के मामले में ऐसे पीड़ित परिवारों को तत्काल सहायता राशि उपलब्ध कराई जाए. पूर्वी उत्तर प्रदेश में आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएँ ज्यादा हो रही हैं आकाशीय बिजली के सटीक पूर्वानुमान (अर्ली वार्निंग सिस्टम) की बेहतर प्रणाली का विकास जरूरी है. जिससे इंसान और जानवरो दोनों का ख्याल रखा जा सके.बारिश को लेकर केंद्र सरकार भी हर गांव में रेन गेज़ लगाए जाने की कार्यवाही में सहयोग कर रही है, इस कार्य को तेजी के साथ पूरा किया जाए. इन सभी विभागों जिसमे राजस्व एवं राहत, कृषि, राज्य आपदा प्रबन्धन, रिमोट सेन्सिंग प्राधिकरण, भारतीय मौसम विभाग, केन्द्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण से संवाद-संपर्क बनाएं और ऐसी प्रणाली का विकास करें, जिससे आम जन को समय से मौसम की सटीक जानकारी मिल सके.

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आपदा प्रबन्धन टीमों को 24 घण्टे निगाह बनाये रखने के निर्देश

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सीएम ने कहा कि 24 घण्टे अधिकारी बाढ़ की स्थिति पर नजर बनाए रखें.कई स्थानों पर गंगा नदी का जलस्तर बढ़ रहा है.इसी तरह, सभी नदियों के जलस्तर की प्रतिदिन मॉनीटरिंग की जाए.जहां भी जरा सी समस्या बाढ़ की आये तो इन प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ,पीएसी की फ्लड यूनिट और आपदा प्रबंधन टीमों को 24×7 एक्टिव मोड में रहें. बारिश के चलते जलभराव की समस्या से निपटने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे. इसके लिए जिलाधिकारी, नगर आयुक्त, अधिशाषी अधिकारी व पुलिस की संयुक्त टीम जलभराव से बचाव के लिए स्थानीय जरूरतों के अनुसार व्यवस्था करें.

धान की रोपाई के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म करें विकसित

सभी जिलों में इस बार धान की रोपाई सामान्य रूप से चल रही है. अद्यतन रिपोर्ट के अनुसार 58.5 लाख हेक्टेयर के सापेक्ष तक 18 लाख हेक्टेयर में रोपाई हो चुकी है .धान की रोपाई की प्रगति के अनुश्रवण के लिए डिजिटल प्लेटफार्म विकसित किया जाए, ताकि जिलों की रोपाई की सटीक स्थिति समय पर पता चल सके. बारिश के शुरुआती दिनों में रैटहोल,रेनकट की स्थिति पर नजर रखे.तटीय क्षेत्रों की पेट्रोलिंग लगातार की जाए.नौकाएं, राहत सामग्री, पेट्रोमैक्स इन सभी के प्रबंध समय से कर लें. 

पशुओं को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाएं

बाढ़ के दौरान जिन गांवों में जलभराव व बाढ़ की स्थिति बनेगी, वहां आवश्यकतानुसार पशुओं को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट करवाया जाए. इसके लिए उन क्षेत्रों की स्थिति को देखते हुए स्थान का चयन कर लिया जाए. यहां पशुओं के चारे की पर्याप्त व्यवस्था हो इस बात का अवश्य ध्यान दें

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