Basant Panchami 2020:बसंत पंचमी पर क्यों होती है विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा..!
- By युगान्तर प्रवाह संवाददाता
- Published 26 Jan 2020 12:00 AM
- Updated 16 Mar 2023 06:35 AM
माघ महीने की पंचमी तिथि को वसन्त पंचमी का त्योहार मनाया जाता है..इस साल बसंत पंचमी 29 जनवरी को है..पढ़े युगान्तर प्रवाह की एक रिपोर्ट।
डेस्क:बसंत पंचमी का त्योहार इस साल 29 जनवरी को है।माघ महीने की अमावस्या के बाद पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला यह हिंदुओं का बहुत प्रमुख त्योहार है।इस दिन विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा की जाती है।
ये भी पढ़े-आज का राशिफ़ल:मेष, वृषभ सहित कुछ राशियों के लिए बेहद भारी साबित हो सकता है आज का दिन..!
बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की खास पूजा आराधना करते हुए उनसे हमें ज्ञान-बुद्धि प्रदान करने का आशीर्वाद मांगा जाता है। देवी सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। सरस्वती ज्ञान और आत्मिक शांति की प्रतीक हैं। इनकी प्रसन्नता के लिए पूजा में सफेद और पीले रंग के फूलों और वस्त्रों का प्रयोग करना चाहिए। देवी सरस्वती को प्रसाद स्वरूप बूंदी, बेर, चूरमा, चावल का खीर भोग लगाना चाहिए। इस दिन से बसंत का आगमन हो जाता है इसलिए देवी को गुलाब अर्पित करना चाहिए और गुलाल से एक-दूसरे को टीका लगाना चाहिए। (Basant panchami 2020)
मान्यता है कि सृष्टि रचियता भगवान ब्रह्मा ने जीवों और मनुष्यों की रचना की और लेकिन इसके बाद सृष्टि की ओर देखने पर ब्रह्मा जी को चारों ओर सुनसान माहौल और शांत वातावरण दिखाई देता है, उन्हें महसूस होता है कि कोई कुछ बोल नहीं रहा है। यह देखकर ब्रह्मा जी मायूस होते हैं, तब ब्रह्मा जी भगवान विष्णु जी से अनुमति लेकर कमंडल से पृथ्वी पर जल छिड़कते हैं, उस जल के द्वारा पृथ्वी हिलने लगती हैं और एक अद्भुत शक्ति की प्रतीकस्वरूप चतुर्भुजी (चार भुजाओं वाली) सुंदर स्त्री प्रकट होती है।
उस देवी के एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में वर मुद्रा होती है और वहीं अन्य हाथों में पुस्तक और माला थी। ब्रह्मा जी उस स्त्री से वीणा बजाने का निवेदन करते हैं इस तरह देवी के वीणा बजाने से संसार के सभी जीव-जंतुओं को आवाज मिल जाती है। मान्यतानुसार, उन देवी को सरस्वती नाम दिया गया। वह दिन बसंत पंचमी का दिन था और तभी से देवी सरस्वती के जन्मदिवस के रूप में यह पर्व मनाया जाता है।