Please enable JavaScript to support our website by allowing ads.

भारत बन्द:किसानों के भारत बन्द को मिला है 13 दलों का समर्थन.लेक़िन किसानों ने कही ये बात.!

भारत बन्द:किसानों के भारत बन्द को मिला है 13 दलों का समर्थन.लेक़िन किसानों ने कही ये बात.!
फ़ाइल फ़ोटो साभार गूगल।

कृषि कानूनों को रद्द करने की माँग पर किसानों द्वारा दिल्ली के नजदीक सिंघु बार्डर पर 26 नवम्बर से धरना प्रदर्शन आंदोलन किया जा रहा है..आंदोलन को और धार देने के लिए किसानों द्वारा 8 दिसम्बर को भारत बन्द बुलाया गया है.पढ़ें पूरी खबर युगान्तर प्रवाह पर..

संपादकीय:(पुण्य प्रसून वाजपेयी): खाक भी जिस ज़मी की पारस है, शहर मशहूर यह बनारस है। तो क्या बनारस पहली बार उस राजीनिति को नया जीवन देगा जिस पर से लोकतंत्र के सरमायेदारों का भी भरोसा डिगने लगा है। फिर बनारस तो मुक्ति द्वार है । और संयोग देखिये वक्त ने किस तरह पलटा खाया जो बनारस 2014 में हाई प्रोफाइल संघर्ष वाली लोकसभा सीट थी , 2019 में वही सीट सबसे फिकी लडाई के तौर पर उभर आई  । जी, देश के सबसे बडे ब्रांड अंबेसडर के सामने एक ऐसा शख्स खडा हो गया जिसकी पहचान रोटी - दाल से जुडी है

 

यानी चाहे अनचाहे नरेन्द्र मोदी का ग्लैमर ही काफूर हो गया जो सामने तेज बहादुर खडा हो गया । राजनीतिक तौर पर इससे बडी हार कोई होती नहीं है कि राजा को चुनौती देने के लिये राजा बनने के लिये वजीर या विरोधी नेता चुनौती ना दे बल्कि जनता से निकला कोई शख्स आ खडा हो जाये , और कहे मुझ राजा नहीं बनना है । सिर्फ जनता के हक की लडाई लडनी है ।  तो फिर राजा अपने औरे को कैसे दिखाये और किसे  दिखाये । कयोकि राजा की नीतियो से हारा हुआ शख्स ही राजा को चुनौती देने खडा हुआ है तो फिर राजा के  चुनावी जीत के लिये प्रचार  की हर हरकत अपनी जनता को हराने वाली होगी । जो जनता की नहीं राजा की हार होगी । और ये सच राजा समझ गया तो व्यवस्था ही ऐसी कर दी गई कि जनता से निकला शख्स सामने खडा ही ना हो पाये ।

Read More: PM Kisan Nidhi 20th Installment: कब आएगी अगली किस्त? जानिए अब तक का स्टेटस और संभावित तारीख

तो सूखी रोटी और पानी वाले दाल की लडाई करने वाले तेजबहादुर का पर्चा ही उस चुनाव आयोग ने खारिज क दिया जो खुद राजा के रहनुमा पर जी रहा है । तो क्या ये मान लिया जाये कि ये बनारस की ही महिमा है जिसने मुक्ति द्वार खोल दिया है और मोक्ष के संदेश देने लगा है । क्योकि बनारस को पुराणादि ग्रंथो के आसरे परखियेगा तो पुराणकार बताते है कि काशी तीनो लोकों में पवित्रतम स्थान रखती है , ये आकाश में स्थित है तछा मर्त्यलोक से बाहर है....

Read More: PM Kisan 20th Installment: इंतजार की घड़ी खत्म इस तारीख को आएगी किसान सम्मान निधि, ये लोग रह सकते हैं वंचित

वाराणसी महापुण्या त्रिषुलोकेषु विश्रुता । / अन्तरिक्षे पुरी सा तु मर्त्यलोक बाह्रात ।।

हे पार्वती ! तीनो लोको का सार मेरी काशी सदा धन्य है : वाराणसीति भुवनत्रयसारभूता धन्या सदा ममपुरी गिरिराजपुत्री

Read More: त्योहारी सीजन रेलवे ऑफर 2025: रेलवे का बंपर ऑफर अब राउंड ट्रिप टिकट पर 20% छूट ! जानें बुकिंग की तारीख, शर्तें और फायदे

किसान आन्दोलन

वह तो आस्था को चुनावी भावनाओ की थाली में समेट पी लेना चाहता है । तभी तो काशी की पहचान को ही बदल दिया जाता है । ऐसे में  काशी की  वरुणा और अस्सी नदी तो दूर गंगा तक ठगा जा रहा है तो फिर अतित की काशी को कौन परखे कैसे परखे । एक वक्त माना तो ये गया कि वरुणा और अस्सी नदियो के बीच स्थित बनारस में स्नान , जप , होम, मरण और देवपूजा सभी अक्षय होते है । लेकिन गंगा का नाम लेकर सियासत इन्हे भूल गई और गंगा की पहचान बनारस में है क्या इस समझ को भी सत्ता सियासत समझ नहीं पायी । बनारस में गंगा का पानी भक्त कभी घर नहीं ले जाते । क्योकि बनारस में तो गंगा भी मुक्ति द्वार है ।

काशी के प्रति लोगो में आस्था इस हद तक बढी कि लोग विधानपूर्वक आग में जलकर और गंगा में कूदकर प्राण देने लगे , जिससे कि मृतात्मा सीधे शिव के मुख में प्रवेश कर सके । उन्नीसवी सदी तक लोग मोक्ष पाने के विचार से , यहा गंगा में गले में पत्थर बांधकर डूब जाते थे । आज भी इस विचार को समेटे लोगो के बनारस पहुंचने वाले कम नहीं है । लेकिन अब तो इक्किसवी सदी है । और गंगा मुक्ति नहीं माया का मार्ग है । इसीलिए तो बनारस की सड़कों पर मु्कित नहीं सत्ता का द्वार खोजने के लिये जब तीन लाख से ज्यादा लोगो को नरेन्द्र मोदी के प्रचार क लिये लाया गया और गंगा को समझे बगैर , बनारस की महत्ता जाने बगैर अगर मेहनताना लेकर सभी राजा के लिये नारा लगाते हुये आये और खामोशी से लोट गये तो फिर चाहे अनचाहे भगवान बुद्द याद आ ही जायेगें । भगवान बुद्द भी अपने धर्म का प्थम उपदेश देने सबसे पहले बनारस ही आये थे । उन्होने कहा था....

भेदी नादयितुं धर्म्या काशी गच्छामि साम्प्रतम ।

न सुखाय न यशसे आर्तत्राणाय केवलम् ।।

यानी धर्मभेरी बजाने के लिये इस समय मै काशी जा रहा हूं - न सुख के लिये और न यश के लिये, अपितु केवल आर्तो की रक्षा के लिये । तो हालात कैसे बिखरे है संस्कृति कैसे बिखरी है इसलिये बनारस की पहचान अब खबरो के माध्यम से जब परोसी जाती है तो चुनावी बिसात पर  बनारस की तहजीब, बनारस का संगीत , बनारस का जायका या फिर बनारस की मस्ती को खोजने में लगत है । और काशी की तुलना में दिल्ली को ज्यादा पावन बताने में कोई कोताही भी नहीं बरतता है ।

 लेकिन 2019 में नरेन्द्र मोदी और तेज बहादुर का सियासी अखाड़ा बनारस बना तो फिर बनारस या तो बदल रहा है या फिर बनारस एक नये इतिहास को लिखने के लिये राजनीतिक पन्नों को खंगाल रहा है। बनारस से महज १५ कोस पर सारनाथ में जब गौतम बुद्द ने अपने ज्ञान का पहला पाठ पढ़ा, तब दुनिया में किसी को भरोसा नहीं था गौतम बुद्द की सीख सियासतों को नतमस्तक होना भी सिखायेगी और आधुनिक दौर में दलित समाज सियासी ककहरा भी बौध धर्म के जरीये ही पढेगा या पढ़ाने की मशक्कत करेगा।

Tags:

Latest News

आज का राशिफल 19 सितंबर 2025: मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन राशियों का दैनिक राशिफल आज का राशिफल 19 सितंबर 2025: मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन राशियों का दैनिक राशिफल
19 सितंबर 2025 का दिन कुछ राशियों के लिए बेहद खास रहने वाला है. आज जहां कुछ लोगों को अचानक...
आज का राशिफल 18 सितंबर 2025: भाग्य का खेल, कौन बनेगा सितारों का चहेता?
Fatehpur News: फतेहपुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर सहित चार लोगों पर दर्ज हुआ मुकदमा ! ऑपरेशन के बाद हुई थी महिला की मौत
UP Teacher TET: यूपी में शिक्षकों की टीईटी अनिवार्यता पर योगी क्या एक्शन लेने जा रही है, गर्म हुआ माहौल
Fatehpur News: फतेहपुर में बीडीओ पर भड़का गुस्सा ! अमर्यादित भाषा के विरोध में रोजगार सेवकों का प्रदर्शन, सम्मान से समझौता नहीं
Fatehpur UPPCL: फतेहपुर के कांधी गांव में एक माह से बिजली गुल ! अफसरों की लापरवाही से ग्रामीण परेशान, भ्रष्टाचार के लगे आरोप
Fatehpur News: फतेहपुर के स्वास्थ्य महकमे में फेरबदल ! डॉ राजेश बने CMS, पीके सिंह को मिली A CMO की जिम्मेदारी

Follow Us