यूपी:होमगार्ड जवानों को 'सुप्रीम तोहफ़ा'..कांस्टेबल के बराबर भत्ता देने का हुआ आदेश..अब गेंद राज्य सरकार के पाले में!
यूपी के होमगार्ड जवानों के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ़ से बड़ी खुशखबरी मिली है..कोर्ट ने होमगार्ड जवानों के लिए कांस्टेबल के बराबर भत्ता देने का आदेश दिया है...पढ़े पूरी ख़बर युगान्तर प्रवाह पर।
लखनऊ:यूपी में तैनात क़रीब 70 हज़ार होम गार्डो के लिए सुप्रीम कोर्ट से बड़ी खुशखबरी सामने आई है।लंबे से समय से समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग कर रहे होमगार्ड जवानों के हक में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस के कांस्टेबल के समान वेतनमान देने का आदेश जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में हाईकोर्ट के निर्णय को सही मानते हुए यह फैसला दिया है।
आपको बता दे कि इलाहाबाद हाईकोर्ट पहले ही अपने निर्णय में होमगार्डो के लिए एक कांस्टेबल के बराबर वेतन देने का आदेश दिया था।जिसके बाद राज्य सरकार ने इस निर्णय को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।लेक़िन मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में पूर्व में हाईकोर्ट के निर्णय को सही मानते हुए होमगार्ड जवानों को यूपी पुलिस के एक कांस्टेबल के समान वेतन देने का आदेश दिया है।
गौरतलब है कि वर्तमान में होमगार्ड जवानों को ड्यूटी के अनुसार प्रतिदिन के हिसाब से 500 रुपए भत्ता मिलता है।लेक़िन मंगलवार को आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद होमगार्ड जवानों के वेतन भत्ते में क़रीब 60 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी होने के आसार है।
फ़ोन पर एक दूसरे को देते रहे खुशखबरी...
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजार कर रहे होमगार्ड जवान अपने हक में फैसला आते ही खुशी से झूम उठे।होमगार्ड जवान फ़ोन पर एक दूसरे व अपने सगे सम्बन्धियों को निर्णय की खुशखबरी देते रहे।
फतेहपुर के होमगार्ड जवान सुधीर तिवारी ने निर्णय के बाबत बताया कि यह होमगार्ड जवानों की कई वर्षों के संघर्ष का परिणाम है।उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह हमारे साथियों के संघर्ष का ही नतीजा है कि आज हमारी जीत हुई है।
गेंद अब सरकार के पाले में..
हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुँची राज्य सरकार को वहां भी झटका लगा है।और सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्णय को सही मानते हुए होमगार्डों को कांस्टेबल के समान भत्ता देने का आदेश दिया है।अब देखना यह है कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने में कितना वक्त लगाती है।