
Kanpur Ravana Mandir: कानपुर में है उत्तर भारत का एकलौता 'रावण' मन्दिर ! जो साल के 364 दिन रहता है बन्द
Ravan Temple In Kanpur: रावण त्रेता युग का ऐसा अपार,तेजस्वी और शक्तिशाली असुर था जिसके नाम से देवता भी थर्र-थर्र कांपते थे,इसके साथ ही रावण से बड़ा कोई भी शिव भक्त पैदा नहीं हुआ. शिव भक्त रावण का उत्तर भारत मे एक मात्र मन्दिर जहाँ श्रद्धालु पहुँच कर रावण की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करते है. वह शहर कानपुर है, साल में दशहरा वाले दिन ही शिवाला स्थित यह प्रसिद्ध रावण(RAVAN) मन्दिर के पट खुलते हैं. सुबह से ही यहां रावण के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है. शाम को पूजन के बाद फिर से साल भर के

हाईलाइट्स
- उत्तर भारत का इकलौता दशानन का मन्दिर, कानपुर के शिवाला में है यह रावण का मन्दिर
- विजयदशमी पर्व के दिन ही खुलते हैं रावण मन्दिर के पट, पूजन के बाद साल भर के लिए हो जाते है बंद
- इस मंदिर में सरसों तेल और तरोई के पुष्प रावण को किये जाते अर्पित
North India's only Ravana temple is in Kanpur : भारत में आपने समस्त देवी-देवताओं के मन्दिर देखे होंगे, क्या आपने रावण के मन्दिर के विषय में सुना है, अब आप सभी सोच रहे होंगे रावण का मन्दिर यहां कैसे हो सकता है, लेकिन यह सच है एक ऐसा उत्तर भारत का इकलौता रावण मन्दिर जो उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में है. यह दशानन का मंदिर साल में इस दिन खुलता है.
कहाँ बना हुआ है ये मंदिर?
उत्तर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी कानपुर यह वह शहर है जिसने अपने सीने में कई राज दबा रखे हैं. उनमें से एक यह भी है कि कानपुर शहर के शिवाला क्षेत्र में दशानंद यानी रावण का मंदिर बना हुआ है. इस मंदिर की खासियत यह है कि यह साल के 364 दिन बंद रहता है लेकिन इसे आम लोगों के दर्शन करने के लिए दशहरे के दिन सुबह के कुछ ही घण्टो के लिए खोला जाता है.
कितना प्राचीन है ये मंदिर,नीलकंठ के दर्शन करना शुभ
इस मंदिर की देखरेख करने वाले पुजारी ने बताया कि साल 1868 में महाराज गुरु प्रसाद शुक्ल द्वारा इस मंदिर का निर्माण कराया गया था. ऐसा कहा जाता है कि वह भगवान शिव के परम भक्त थे ऐसी मान्यता है कि दशहरे के दिन जब रावण की आरती की जाती है तो ठीक उसी समय श्रद्धालुओं को नीलकंठ के भी दर्शन होते हैं. आज के दिन नीलकंठ के दर्शन करना बेहद शुभ रहता है. सुबह से ही पट खुलते ही भक्तों की भीड़ उमड़ती है.
दशानंद को क्या है पसंद, रावण की पूजा इसलिए करते हैं लोग
दशानंद के मंदिर में दर्शन करने आए श्रद्धालु प्रतिमा के करीब सरसों के तेल का दिया और तरोई के फूल अर्पित करते हुए अपने परिवार जनों और खुद के लिए आशीर्वाद मांगते हैं. रावण से बड़ा कोई भी ज्ञानी नहीं हुआ है इसलिए श्रद्धालु उनसे ज्ञान की कामना भी करते हैं. साथ ही रावण का वध उनके अहंकार की वजह से हुआ था इस वजह से भक्त अपने अहंकार को भी खत्म करने की कामना से रावण के दर्शन करते है.
क्या है मंदिर की मान्यता?
इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि रावण के दर्शन करते समय भक्तों को अहंकार नहीं करने की सीख भी मिलती है. क्योंकि रावण से बड़ा कोई भी ज्ञानी नहीं पैदा हुआ है लेकिन उनके अंदर पैदा हुए अहंकार ने उनका पूरा वंश ही खत्म कर दिया था. सही मायने में भक्त खुद के अहंकार को खत्म करने और ज्ञान की सीख मांगने ही रावण के दर्शन करने के लिए जाते है. इसके बाद रात में आरती पूजन के बाद इस मंदिर के कपाट फिर साल भर के लिए बंद कर दिए जाते हैं.
