
Kanpur-Akbarpur Loksabha Delimitation: वोटर्स को रहती है संसदीय क्षेत्र को लेकर कन्फ्यूजन ! कानपुर में रहते हुए भी वोट अकबरपुर के लिए, परिसीमन के बाद बदल गये क्षेत्र
कानपुर की राजनीति काफी बड़ी है. पहले कानपुर नगर (Kanpur nagar) और कानपुर देहात (Kanpur Dehat) एक ही जिला हुआ करता था. लेकिन बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए वर्ष 1981 में अलग-अलग जिला घोषित कर दिया गया. जहां एक कानपुर नगर और एक कानपुर देहात जिला हुआ. वर्ष 2008 में हुए परिसीमन (Delimitation) के बाद कानपुर की संसदीय क्षेत्र की स्थिति काफी बदल गई. हालांकि अब तक बहुत से लोगों को परिसीमन के बारे में सही जानकारी नहीं है कि कौन सा हिस्सा कानपुर शहर में आता है और कौन सा अकबरपुर लोकसभा में तो चलिए आपको इस आर्टिकल के जरिए बताएंगे कि कौन सा हिस्सा व कौन सा क्षेत्र आपकी लोकसभा में आता है.

कानपुर में रहकर वोट अकबरपुर के लिए
लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) की तारीखों का एलान हो चुका है. कानपुर और कानपुर देहात में 13 मई को मतदान (Voting) होगा. आपको यह शायद नहीं पता होगा कि शहर की सरकार जिस सदन में बैठती है वो मोतीझील (Motijheel) भी अकबरपुर लोकसभा में आता है. यानी इन क्षेत्रों के विकास की अकबरपुर सांसद की जिम्मेदारी होती है. परिसीमन को लेकर हर बार दिमाग में यह विचार आता है कि आखिर परिसीमन है क्या और कानपुर लोकसभा और अकबरपुर लोकसभा को लेकर लोग कंफ्यूज क्यों होते हैं, क्योंकि कानपुर में रहते हुए भी वोट अकबरपुर लोकसभा के लिए करते है. आखिर ऐसा क्यों है चलिए आपको बताते हैं.

वर्ष 2008 में परिसीमन हुआ था बदल गया था संसदीय स्वरूप
दरअसल 2008 में हुए परिसीमन के बाद कानपुर संसदीय क्षेत्र में किदवई नगर, गोविंद नगर, छावनी, आर्य नगर, सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र जबकि अकबरपुर संसदीय क्षेत्र में कल्याणपुर, बिठूर, महाराजपुर, घाटमपुर, कानपुर देहात का रनियां विधानसभा क्षेत्र चला गया था. जबकि बिल्हौर विधानसभा क्षेत्र मिश्रिख संसदीय क्षेत्र में चला गया था. इसके बाद से कुछ विधानसभा अलग-अलग लोकसभा क्षेत्र में चले गए. अक्सर लोग यह सवाल करते हैं कि आखिर हम कानपुर में रहते हैं लेकिन वोट देते हैं अकबरपुर के लिए ऐसा क्यों होता है यह सब परिसीमन के कारण ही होता है. परिसीमन का मतलब बढ़ती जनसंख्या के आधार पर वक्त-वक्त पर निर्वाचन क्षेत्र की सीमाएं दोबारा निर्धारित करने की प्रक्रिया को परिसीमन कहते हैं.
शहर की सरकार वाला सदन क्षेत्र भी अकबरपुर में
असल शहर का बड़ा हिस्सा अकबरपुर में आता है जिसमें आर्य नगर, स्वरूप नगर, कल्याणपुर, चकेरी, सनिगवां, यशोदा नगर,बर्रा, जरौली, जाजमऊ, सरसौल व बिठूर यह सभी क्षेत्र अकबरपुर लोकसभा में आते हैं और यहाँ के मतदाता अकबपरपुर लोकसभा सांसद को चुनने के लिए मतदान करते हैं. कानपुर शहर की अगर बात करें तो मोतीझील जो शहर के मध्य में है यहां से शहर की सरकार सदन में बैठती है और यह भी हिस्सा अकबरपुर लोकसभा में ही आता है.
कानपुर देहात के मतदाता 4 सांसद चुनते हैं
कानपुर देहात यानि अकबरपुर जिले के मतदाता चार सांसद चुनते हैं ऐसे समझे जिले की चारों विधानसभा सीट अलग-अलग लोकसभा सीटों में बटी हुई है. जिसमें अकबरपुर-रनिया विधानसभा क्षेत्र अकबरपुर में आती है, सिकंदरा-इटावा लोकसभा, रसूलाबाद- कन्नौज लोकसभा और भोगनीपुर विधानसभा क्षेत्र जालौन-गरौठा लोकसभा क्षेत्र में आता है.
बिल्हौर विधानसभा क्षेत्र मिश्रिख संसदीय क्षेत्र में
वहीं परिसीमन के बाद बिल्हौर विधानसभा मिश्रिख संसदीय क्षेत्र में चला गया था जबकि अकबरपुर संसदीय क्षेत्र में कानपुर देहात की एक विधानसभा क्षेत्र आता है. यही नहीं बिल्हौर विधानसभा क्षेत्र के मतदाता दूसरे जिले का सांसद चुनते हैं क्योंकि वह मिश्रिख संसदीय क्षेत्र में आता है. जबकि मिश्रित विधानसभा क्षेत्र सीतापुर जिले में आता है कई बार लोग में सिर्फ लोकसभा को लेकर भी कंफ्यूज रहते हैं तो आपको बता दे मिश्रिख लोकसभा क्षेत्र में जिले का बिल्हौर, सीतापुर जिले का मिश्रिख, हरदोई का संडीला, बालामऊ, बिलग्राम, मल्लावा विधानसभा क्षेत्र में आता है.
लोकसभा क्षेत्रवार मतदाता की स्थिति
लोकसभा क्षेत्रवार द्वारा अगर मतदाता की बात करें तो कानपुर नगर के बिल्हौर विधानसभा क्षेत्र जो परिसीमन के बाद मिश्रिख संसदीय क्षेत्र में आता है उसमें कुल पुरुष मतदाता 216153 है, महिला मतदाता 188921 है, जबकि 14 किन्नर समेत कुल मतदाताओं की संख्या 405088 है. इसी तरह कानपुर नगर की बात करें तो पुरुष मतदाता 880007 है और महिला मतदाता 772180 है, किन्नर 127 है. कुल 1652314 है, इसी क्रम में अकबरपुर संसदीय क्षेत्र में पुरुष की संख्या 815290 व महिला मतदाताओं की संख्या 704025,किन्नर 68, कुल 1519383 हैं.