Dhananjay Singh News: जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह सलाखों के पीछे ! अपहरण मामले में 7 साल की जेल, चुनाव लड़ने पर लगा ग्रहण
जौनपुर (Jaunpur) के पूर्व सांसद धनंजय सिंह (Dhananjay Singh) को अपहरण और रंगदारी (Kidnapping And Extortion) के आरोप में 7 साल की कोर्ट ने सजा सुनाई है. इसके साथ ही उन पर जुर्माना भी लगाया है. धनंजय पर नमामि गंगे योजना के प्रोजेक्ट मैनेजर के अपहरण, धमकी व रंगदारी का आरोप लगा था. इसका मामला कोर्ट में चल रहा था. एमपी-एमएलए कोर्ट (Mp-Mla) में सुनवाई के दौरान धनंजय और उसके साथी को 7 साल की सजा सुना कर जेल भेज दिया है.

पूर्व सांसद धनंजय सिंह को 7 साल की हुई सजा
उत्तर प्रदेश के जौनपुर (Jaunpur) के पूर्व सांसद धनंजय सिंह (Dhananjay Singh) जिन्हें बाहुबली कहें तो गलत नहीं होगा. दरअसल धनंजय पर कई आपराधिक मुकदमे पहले से ही चल रहे हैं. राजनीति सफर के दौरान कई बार विधायक और वर्ष 2009 में बसपा के कार्यकाल में सांसद (Mp) भी चुने गए थे, और लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) लड़ने की योजना बना रहे थे.
लेकिन इस बीच 4 साल पुराने अपहरण व रंगदारी मामले में सजा का ऐलान कर दिया. धनंजय को एमपी-एमएलए कोर्ट ने 7 साल की सजा सुनाई है. जिसके बाद इस बार उनके चुनाव लड़ने की सारी उम्मीदों पर फिलहाल पानी फिर गया. क्योंकि नियम कहता है 2 साल या इससे ज्यादा की सजा पाने वाले उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने पर पाबंदी है.

किस मामले में आरोपी है धनंजय
दरअसल पूर्व सांसद जौनपुर धनंजय सिंह और उनके साथी संतोष विक्रम के खिलाफ वर्ष 2020 में नमामि गंगे प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल के अपहरण और रंगदारी मांगने का आरोप लगा था अभिनव सिंहल के द्वारा इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. इस मामले में कोर्ट में मुकदमा चल रहा था. हालांकि इस बीच इस पूरे घटनाक्रम में नया मोड़ भी आया और शिकायतकर्ता ने यानी प्रोजेक्ट मैनेजर ने अपने सभी आरोपों को वापस ले लिया. इसके बाद पुलिस ने दोनों को अपनी विवेचना में क्लीन चिट दे दी. इसके बाद अधिकारी ने दोबारा विवेचना के आदेश दिए थे. विवेचना के दौरान पुलिस को सीसीटीवी फुटेज, सीडीआर से संबंधित व्हाट्सएप मैसेज और गवाहों के बयान के आधार पर कई साक्ष्य मिले थे जिसके बाद कोर्ट ने धनंजय को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई.
धनंजय सिंह के मारे जाने की खबर निकली थी फर्जी
मौजूदा समय में धनंजय सिंह पर 10 मामले दर्ज जिसमें 8 मामले तो जौनपुर में ही दर्ज है जबकि एक मुकदमा दिल्ली के एक थाने का और एक लखनऊ का है. धनंजय सिंह के एनकाउंटर में मारे जाने की खबर ने सनसनी मचा दी थी. 17 अक्टूबर 1998 को भदोही जिले के मिर्जापुर बॉर्डर पर पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़ हुई थी. जिसमें से चार बदमाशों का एनकाउंटर हुआ था. इसमें दावा किया जा रहा था पुलिस द्वारा की पुलिस मुठभेड़ में धनंजय सिंह को मार दिया गया है.
इसके बाद पुलिस की खूब वाहवाही शुरू हुई. लेकिन कुछ दिन बाद पता चला कि वह शख्स वह धनंजय सिंह नहीं बल्कि उसका भतीजा धनंजय सिंह है. उसके बाद पुलिस की किरकरी शुरू हो गई यही नहीं जमकर नारेबाजी भी हुई थी. इस मामले के बाद करीब 3 महीने के बाद धनंजय सिंह ने कोर्ट में सरेंडर किया था. इसके बाद में एनकाउंटर करने वाली टीम पर जांच भी बैठी हुई थी. कई पुलिसकर्मियों पर मुकदमे भी चले.
राजनीति में रखा कदम
इसके बाद धनंजय सिंह ने राजनीति सफर में कदम रखा और पहली बार वह 2002 में निर्दलीय विधायक बने, फिर जदयू में शामिल हुए वर्ष 2007 में जीत फिर मिली, वर्ष 2009 में बसपा के टिकट से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. फिर उसके बाद उन्हें जीत नहीं मिली. लेकिन अब कोर्ट द्वारा 4 साल पुराने मामले में उन्हें 7 साल की सजा सुनाने के बाद अब उनका राजनीतिक सफर भी कहीं ना कहीं चौपट होता दिखाई दे रहा है.
दरअसल उन पर नमामि गंगे प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल के अपहरण और बंधक बनाने व रंगदारी के मामले में आरोप लगा था और जहां कोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर उन्हें दोषी करार दिया है. फिलहाल इस मामले में धनंजय सिंह और उसके साथी को जेल भेज दिया गया है. माना जा रहा है कि धनंजय सिंह आगे हाई कोर्ट पर विचार कर सकते हैं.