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Stambheshwar Mahadev Temple : अनोखा शिव मंदिर दिन में दो बार हो जाता है अदृश्य,क्या है इसके पीछे का रहस्य

Stambheshwar Mahadev Temple : अनोखा शिव मंदिर दिन में दो बार हो जाता है अदृश्य,क्या है इसके पीछे का रहस्य
गुजरात में स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर का अनोखा रहस्य

गुजरात के वडोदरा में एक ऐसा रहस्यमयी शिव मंदिर है, जो समुद्र तट पर स्थित है. ऐसी मान्यता है कि यहां शिवलिंग का अभिषेक स्वयं समुद्र देव करते हैं. शिवरात्रि और सावन के दिनों में यहां पर भक्तों की अपार भीड़ उमड़ती है.ऐसा बताया जाता है, कि दिन में दो बार मन्दिर समुद्र में समा जाता है और फिर कुछ देर बाद वापस अपने रूप में दिखाई देने लगता है.इस रहस्यमयी दॄश्य को देखने के लिए भक्तों को पूरे दिन का समय देना होगा.


हाईलाइट्स

  • गुजरात के वडोदरा में स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर का अनोखा रहस्य
  • दिन में दो बार समा जाता है समुद्र में,दूर-दूर से भक्त यह रहस्य देंखने आते हैं
  • प्रकृति करती है भोलेनाथ का अभिषेक, सावन के दिनों में उमड़ती है भक्तों की अपार भीड़

mysterious Shiva temple in Vadodara-Gujarat : सावन मास का पावन पर्व चल रहा है. हर-हर महादेव के जयकारों के साथ भोले के भक्त शिव मय हो चुके हैं.हमारे देश में कई ऐसे रहस्यमयी, चमत्कारी शिव मंदिर हैं, जिनका विशेष महत्व है. आज हम गुजरात के एक ऐसे रहस्यमयी शिव मंदिर की बात करेंगे,जिनका अभिषेक खुद प्रकृति करती है. चलिए आपको इस रहस्यमयी शिव मंदिर के पौराणिक महत्व और इसकी मान्यता क्या है इसके बारे में विस्तार से बताते हैं...

भगवान शंकर का यह मंदिर अपने आप में समेटा है कई रहस्य

गुजरात के वडोदरा शहर से 40 किलोमीटर की दूरी पर जंबूसर तहसील है. यहां समुद्री तट पर एक शिव मंदिर है.जिसकी मान्यता बहुत ही अनोखी है. यह शिव मंदिर दिन में दो बार अदृश्य हो जाता है. यही नहीं मंदिर का जलाभिषेक खुद समुद्र करता है. इस मंदिर का इतिहास भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय से जुड़ा हुआ है.

दिन में दो बार समुद्र में समा जाता है मन्दिर,यह दृश्य देखने दूर-दूर से आते हैं भक्त

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गुजरात के इस शिव मंदिर में आम दिनों के साथ सावन मास में भक्तों का तांता लगा रहता है. भक्त यहां पर उस रहस्य को देखने आते हैं कि, मंदिर आखिर दिन में 2 बार कैसे गायब होता है.दरअसल समुद्र की लहर जब बढ़ती हैं तो पूरा मंदिर समुद्र में डूब जाता है. जैसे-जैसे जल स्तर घटता है फिर मंदिर ऊपर आ जाता है.इस दृश्य को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.यह प्रक्रिया दिन के समय में और शाम के समय होती है.

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भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय से जुड़ा है इतिहास,कथा है प्रचलित

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मंदिर के पौराणिक महत्व और इतिहास की बात करें तो, इसके पीछे एक कथा भी प्रचलित है. ऐसा बताया जाता है भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय जी उन्होंने तारकासुर का वध किया था. लेकिन जब उन्हें पता चला कि तारकासुर भगवान शिव का भक्त था,तो उन्हें इस बात का दुख हुआ.और वह पश्चाताप के लिए देवताओं के पास पहुंचे.

कार्तिकेय ने शिवलिंग स्थापित कर की पूजा

देवताओं ने कार्तिकेय से कहा कि समुद्र तट पर शिवलिंग स्थापित करिए और उन्हीं से क्षमा याचना करें. देवताओं का सुझाव सुन कार्तिकेय ने एक स्तंभ रूपी शिवलिंग को स्थापित कर दिया.तभी से इसे स्तंभेश्वर महादेव कहा जाने लगा. यहां पर सावन के दिनों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है भक्त यहां पर भगवान शंकर जी की पूजा करते हैं.जो भक्त सच्चे मन से यहां आकर शिव जी का ध्यान करते हैं, उनकी मनोकामना पूर्ण होती है.

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