Bharat Chhodo Andolan: अंग्रेजों की मुख़बरी करने वाले आज सत्ता में- सन्तोष

भारत छोड़ो आंदोलन की 79वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। तत्कालीन आंदोलन औऱ वर्तमान राजनीति पर क्या कुछ कहतें हैं.जानें मानें समाजवादी विचारक सन्तोष द्विवेदी पढ़ें ये रिपोर्ट..
Bharat Chhodo Andolan: भारत अंग्रेजी हुकूमत से आज़ाद तो 15 अगस्त 1947 को हुआ था लेकिन आज़ादी दिलाने में जिस महत्वपूर्ण आंदोलन की भूमिका थी उसे भारत छोड़ो आंदोलन के नाम से जाना जाता है।इसकी शुरुआत 8 अगस्त 1942 को महात्मा गाँधी के नेतृत्व में हुई थी।Bharat chhodo Andolan

गांधी जी ने इसी सभा में करो या मरो का नारा दिया। यानी इस आंदोलन के जरिए हम या तो आजादी प्राप्त करेंगे या फिर अपनी जान दे देंगे। ये नारा हर भारतीय की जुबान पर छा गया। इसी तरह आज ही के दिन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई।
भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ के अवसर पर वरिष्ठ समाजवादी विचारक सन्तोष द्विवेदी ने युगान्तर प्रवाह से बातचीत करते हुए कहा कि 8 अगस्त 1942 भारतीय स्वतंत्रता का निर्णायक मोड़ था। गाँधी के नेतृत्व में देश आजादी की लड़ाई लड़ रहा था।आज़ादी के लड़ाई के कुछ मूल्य औऱ सिद्धान्त थे।गाँधी ने लोगों को लोकतंत्र, समाजवाद,धर्मनिरपेक्षता का नारा दिया था। स्वराज, स्वदेशी, स्वालम्बन गाँधी के आंदोलन के अस्त थे।Santosh Dwivedi
सन्तोष द्विवेदी बताते हैं कि 1942 में कांग्रेस की बैठक में आंदोलन को लेकर गांधी जी ने जो प्रस्ताव दिया था वह पास हुआ।उसी बैठक में यूसुफ मेहर अली ने अंग्रेजों भारत छोड़ों का नारा दिया था। औऱ यही नारा पूरे देश में गूंजा औऱ उस आंदोलन का नाम ही भारत छोड़ो आंदोलन हो गया। जयप्रकाश नारायण जैसे लोग अंग्रेजो द्वारा गिरफ्तार कर लिए गए थे।Fatehpur up News
सन्तोष द्विवेदी बताते हैं कि 1925 में बना संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लोग या उसमें आस्था रखने वाले लगभग सभी नेता इस निर्णायक आंदोलन के विरोध में थे। उन्होंने कहा कि विरोध में ही नहीं थे अंदरखाने अंग्रेजो के पक्ष में खड़े हो गए थे, औऱ उनकी मुख़बरी कर रहे थे।Bharat Chhodo Andolan
वर्तमान राजनीतिक हालातों पर सन्तोष कहतें हैं कि यह बड़ा ही दुःखद है कि आज वह लोग सत्ता पर हैं जिन्होंने पूरे स्वाधीनता संग्राम के दौरान गाँधी का विरोध किया था औऱ अंदर खाने अंग्रेजो की मदद की थी। ये ऐसे लोग थे जिनका लोकतंत्र, समाजवाद, धर्म निरपेक्ष में विश्वास नहीं था। जो स्वदेशी, स्वालम्बन, स्वराज के पक्ष में नहीं थे।औऱ आज भी दिल्ली की सत्ता में पिछले सात सालों से जो लोग बैठे हैं उनका लोकतंत्र, समाजवाद औऱ धर्मनिरपेक्षता में विश्वास नहीं है। धर्मनिरपेक्षता औऱ समाजवाद पर प्रतिदिन कुठाराघात करने वाले लोग देश चला रहें हैं।Bharat Chhodo Andolan
धर्म निरपेक्षता पर कुठाराघात करने वाले सत्ताधारियों को समझना चाहिए कि देश की आजादी में हिन्दू और मुसलमानों का बराबर का योगदान है। केंद्र की सत्ता में काबिज़ लोग इंसानों के बीच नफ़रत फैला फ़िर से देश को गुलाम बनाना चाहते हैं।