Strange Railway Station In India : अजब-गजब ! ट्रेनें तो रुकती हैं यहां, मगर कौन सा स्टेशन है ये किसी को पता नहीं,आज भी गुमनाम
- By युगान्तर प्रवाह संवाददाता
- Published 12 Jul 2023 01:44 PM
- Updated 21 Jul 2023 03:14 PM
भरतीय रेल में आप सभी ने खूब यात्राएं की होंगी,लेकिन क्या कभी आपने ऐसा सुना है कि कोई स्टेशन बिना नाम के भी हो सकता है.अब आप सोच रहे होंगे कि,ऐसे कैसे हो सकता है. स्टेशन का नाम तो होगा ही. पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले से कुछ दूरी पर एक बिना नाम का स्टेशन है.खास बात यह कि यहां ट्रेनें भी रुकती हैं..चलिए बताते है इस अजब गजब स्टेशन के बारे में..
हाइलाइट्स
भारत में एक ऐसा रेलवे स्टेशन जो बिना नाम का है
पश्चिम बंगाल में है ये रेलवे स्टेशन, आज भी यात्री स्टेशन के नाम को लेकर हो जाते परेशान ,
दो गांवों के आपसी विवाद की भेंट चढ़ा ये रेलवे स्टेशन, तबसे नाम अधर में लटका हुआ है
A strange station in WestBengal : ट्रेनों में सफर के दौरान जिस स्टेशन पर ट्रेनें पहुंचती हैं.साइन बोर्ड पर स्टेशन का नाम जरूर लिखा होता है.पश्चिम बंगाल में एक ऐसा स्टेशन है जहां साइन बोर्ड तो है, लेकिन स्टेशन का नाम नहीं.ऐसे में आप सभी सोच जरूर रहे होंगे,आखिर स्टेशन का नाम क्यों नहीं रखा गया.आपके इन सभी सवालों के जवाब हम आपको देंगे..
भारत में 8 हज़ार से ज्यादा रेलवे स्टेशन
भारत में करीब 8338 रेलवे स्टेशन बताए जाते हैं.सबसे बड़ा स्टेशन हावड़ा जंक्शन और सबसे छोटा उड़ीसा का आईबी स्टेशन है. ट्रेनों में सफर के दौरान आप न जाने कितने स्टेशनों के बीच से गुजरते होंगे. जिन स्टेशनों पर ट्रेनें रुकती हैं.स्टेशन आने से पहले और बाद में एक पीले कलर का साइन बोर्ड लगा रहता है. उस पर रेलवे स्टेशन या जंक्शन का नाम लिखा होता है.
एक ऐसा स्टेशन जो है बिना नाम का
कभी आप ऐसे स्टेशन पर उतरे हैं,जिस स्टेशन का कोई नाम ही न हो.इन बातों को सुनकर आप हैरान हो रहे होंगे और चक्कर आने लगा जाएगा. ऐसा सम्भव ही नहीं कि कोई भी स्टेशन बिना नाम का हो.लेकिन यह सच्चाई है. पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले से 35 किलोमीटर दूर एक स्टेशन है. उसके साइन बोर्ड पर कोई नाम नहीं लिखा है.अक्सर लोग यहां आने के बाद कन्फ्यूज हो जाते हैं, कि आखिर यह जगह और स्टेशन कौन सा है.अब जब इस स्टेशन का नाम ही नहीं है तो यात्री भी क्या करें.
दो गांवों के आपसी विवाद की चढ़ा भेंट
दरअसल यह स्टेशन दो गांवों के आपसी विवाद की भेंट चढ़ा हुआ है.पश्चिम बंगाल के बर्धमान से 35 किलोमीटर दूर पर बांकुरा-मैसग्राम रेल लाइन पर 2008 में एक रेलवे स्टेशन का निर्माण हुआ था.रैनागढ़ और रैना दो गांव में आपसी विवाद चल रहा था.दोनों गांव अपना-अपना नाम करना चाह रहे थे.जिसपर बढ़े विवाद के चलते आखिरकार कोई नाम नहीं रखा जा सका. हालांकि पहले रेलवे स्टेशन का नाम रैनागढ़ रखने की बात सूझी थी, लेकिन रैना गांव के लोगों को यह नाम नहीं समझ आया. जिसके बाद से ही इस स्टेशन के नामकरण का मामला अधर में ही लटका हुआ है.
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