Who is Sofia Qureshi: कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी? 'ऑपरेशन सिंदूर' से पाकिस्तान की पोल खोलने वाली भारतीय सेना की शेरनी
Operation Sindoor
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की पहली महिला अधिकारी हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में नेतृत्व किया. 'ऑपरेशन सिंदूर' में उनकी भूमिका ने पाकिस्तान की आतंकी साजिशों को बेनकाब किया. उनका जीवन सैन्य अनुशासन, नेतृत्व और महिला सशक्तिकरण की प्रेरक मिसाल है.

Operation Sindoor Sofia Qureshi: ऑपरेशन सिंदूर' की कामयाबी ने दुनिया को भारतीय सेना की ताक़त और तैयारी का एहसास कराया, लेकिन इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी झलक थीं – दो जांबाज़ महिला अधिकारी. इनमें एक थीं लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी और दूसरी भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह.
दोनों ने पाकिस्तान की आतंकी फैक्ट्रियों की सच्चाई न केवल दुनिया के सामने रखी, बल्कि यह भी दिखा दिया कि अब भारतीय नारी शक्ति सिर्फ सीमाओं पर नहीं, दुश्मन की सरहद के भीतर घुसकर भी अपनी वीरता का परचम लहरा रही है. इस लेख में हम जानेंगे कर्नल सोफिया कुरैशी की कहानी — एक ऐसी महिला अधिकारी की जो धैर्य, नेतृत्व और साहस की जीती-जागती मिसाल हैं.
वडोदरा से सेना तक: असाधारण सिपाही तक का सफर
सोफिया कुरैशी (Sofia Qureshi) का जन्म 1981 में गुजरात के वडोदरा में हुआ. उन्होंने बायोकेमिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएशन किया, लेकिन उनका सपना कुछ और था—भारतीय सेना की वर्दी पहनना. 1999 में उन्होंने चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी से प्रशिक्षण प्राप्त किया और उसी वर्ष भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन हासिल किया. वह शुरू से ही तेज, अनुशासित और जिम्मेदारी को निभाने के लिए तत्पर रही हैं.
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सेना परिवार से आती हैं कर्नल सोफिया
कर्नल सोफिया (Sofia Qureshi) का फौज से रिश्ता केवल पेशेवर नहीं, पारिवारिक भी है. उनके दादा भारतीय सेना से रिटायर्ड थे, जबकि पिता ने कुछ वर्षों तक सेना में धार्मिक शिक्षक के रूप में सेवा दी.
उन्होंने मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री में तैनात मेजर ताजुद्दीन कुरैशी से शादी की, जो खुद एक बहादुर अधिकारी हैं. उनके बेटे का नाम समीर कुरैशी है. एक सैन्य परिवार की बेटी, बहू और पत्नी होने के नाते, सोफिया के जीवन में अनुशासन और राष्ट्रसेवा शुरू से रची-बसी रही है.
'फोर्स 18' में बनाई थी इतिहास: पहली महिला बनीं सैन्य दल की कमांडर
कर्नल सोफिया (Sofia Qureshi) को अंतरराष्ट्रीय मंच पर तब पहचान मिली जब उन्होंने 2016 में पुणे में आयोजित बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास 'फोर्स 18' में भारत की सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व किया. यह अभ्यास आसियान देशों के साथ-साथ अमेरिका, चीन, रूस, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे 18 देशों की भागीदारी के साथ आयोजित हुआ था. इस टुकड़ी की कमान किसी महिला अधिकारी के हाथ में देना उस समय अपने-आप में इतिहास था—और यह इतिहास रचा कर्नल सोफिया कुरैशी ने.
UN मिशन से ऑपरेशन पराक्रम तक
कर्नल सोफिया सिर्फ भाषणों या रणनीति तक सीमित नहीं रहीं, उन्होंने जमीनी स्तर पर भी उल्लेखनीय सेवाएं दी हैं. साल 2006 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के कांगो मिशन में सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में सेवा दी. साल 2010 से वह लगातार शांति स्थापना अभियानों से जुड़ी रही हैं.
उन्हें ऑपरेशन पराक्रम के दौरान पंजाब सीमा पर की गई सेवाओं के लिए जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ का प्रशंसा पत्र मिला. इसके अलावा, पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ राहत कार्यों में भी उनकी भूमिका को सराहा गया और सिग्नल ऑफिसर इन चीफ (SO-in-C) की ओर से प्रशंसा पत्र प्राप्त हुआ.
ऑपरेशन सिंदूर की प्रेजेंटेशन से साबित किया नारी शक्ति
जब 6 मई की रात भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' को अंजाम दिया और पाकिस्तान में मौजूद नौ आतंकी शिविरों को निशाना बनाया, तब उसकी जानकारी देने के लिए कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह को सामने लाया गया.
यह कोई संयोग नहीं था, बल्कि एक सशक्त संदेश था कि अब भारत की नारी शक्ति न केवल युद्ध के मैदान में उतरी है, बल्कि वह रणनीति, लीडरशिप और प्रेस मंच पर भी दुश्मन को जवाब देने में अग्रणी भूमिका निभा रही है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर्नल सोफिया ने बताया कि पाकिस्तान में तीन दशकों से आतंकी ढांचे तैयार किए जा रहे हैं और अब समय आ गया है कि उनका सफाया किया जाए.