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Rameshwaram Jyotirling Temple : मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभू श्री राम ने की थी इस शिवलिंग की पूजा, कहलाया रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग-जानिए पौराणिक महत्व

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तमिलनाडु में रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का महत्व मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभू श्री राम से जुड़ा हुआ है.यहां प्रभू ने ब्रह्म हत्या के पाप का प्रायश्चित कर भोलेनाथ की विधि विधान से पूजन किया था.यहां पर एक कुंड है जिसमें स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और रोगों से मुक्ति मिलती है. आम दिनों और सावन के दिनों में हमेशा एक जैसी भीड़ बनी रहती है.

हाइलाइट्स

तमिलनाडू के रामनाथपुरम जिले में हैं रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग,समुद्र तट पर स्थित है यह मंदिर

प्रभू श्री राम से जुड़ा है ज्योतिर्लिंग का पौराणिक महत्व और मान्यता
यहां दर्शन करने से ब्रह्म हत्या का दोष व पापो व रोगों से मिलती है मुक्ति

Mythological importance of Rameswaram Jyotirlinga : 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु में भी है. यहां रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की अद्धभुत महिमा और विशेष मान्यता है.यहां माता सीता द्वारा रेत से बनाये हुए शिवलिंग की प्रभू श्री राम ने पूजन किया था.हनुमान जी भी कैलाश से शिवलिंग लाए थे.तभी से इस ज्योतिर्लिंग को रामेश्वरम कहा जाने लगा.आज युगान्तर प्रवाह की टीम आपको रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के पौराणिक महत्व और मान्यता को बताएगा.

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उत्तर में काशी दक्षिण में रामेश्वरम का एक जैसा महत्व

हर-हर महादेव शम्भू काशी विश्वनाथ गंगे,जैसे उत्तर में काशी, ठीक वैसे ही दक्षिण में रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का महत्व है.सावन मास में देश के शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है.पवित्र नदियों का जल लेकर कावड़िये शिवालयों में पहुंच रहे हैं. तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की विशेष मान्यता है.कहा जाता है यहां दर्शन करने से और कुंड के जल से स्नान करने से ब्रह्म हत्या का दोष और समस्त रोगों का नाश हो जाता है.

प्राचीन ज्योतिर्लिंग प्रभू श्रीराम से हुआ है जुड़ा

यह प्राचीन ज्योतिर्लिंग रामायण काल का है.मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभू श्रीराम से जुड़ा हुआ है.श्रीराम रावण के वध पर प्रायश्चित करना चाहते थे .क्योंकि रावण कुल से ब्राह्मण था.श्री राम पर ब्रह्म हत्या का दोष लगा था.जिसका प्रयाश्चित के लिए अनेक ऋषियों ने उन्हें शिव जी का पूजन करने के लिए कहा था.तब प्रभु श्री राम ने हनुमान जी से कैलाश पर्वत से शिवलिंग लाने के लिए कहा. लेकिन हनुमान जी को देरी हो जाने के कारण सीता माता ने बालू का शिवलिंग बना दिया.

दोनों शिवलिंग की होती है पूजा और पड़ा नाम रामेश्वरम

कुछ ही देर बाद हनुमान जी भी शिवलिंग लेकर आ गए. जिसके बाद दोनों शिवलिंग की श्रीराम ने विधि विधान से पूजा अर्चना की. और यह शिवलिंग आज रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है. माता सीता के द्वारा बनाए गए शिवलिंग को राम लिंग कहा जाता है और हनुमान जी के द्वारा लाए गए शिवलिंग को विश्वलिंग कहां गया. आज भी दोनों शिवलिंग मौजूद हैं.दूर-दूर से भक्त यहां पर भोलेनाथ के दर्शन के लिए आते हैं. रामेश्वरम मंदिर 1000 फुट लंबा और 650 फिट चौड़ा है.

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कुंड के जल से करें स्नान,पट खुलने का समय

यहां पर श्रीराम के अमोघ बाणों से छोड़ा हुआ कुंड है.ऐसा बताया जाता है यहां पवित्र नदियों का जल मौजूद है.यहां स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और रोगों से छुटकारा मिलता है. मंदिर खुलने का समय सुबह 4 बजे मंदिर के पट खोल जाते हैं. और दोपहर 1 बजे बंद हो जाते हैं.दोबारा दोपहर 3:00 बजे खुलता है और रात 9 बजे बंद कर दिए जाते हैं.

ऐसे पहुंचे रामेश्वरम

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की यात्रा का प्लान कर रहे हैं,तो आप सड़क मार्ग से भी यात्रा कर सकते हैं.चेन्नई,मद्रास,मदुरई से आप बस या टैक्सी ले सकते हैं,फ्लाइट से आने वाले लोग मदुरई एयरपोर्ट पर उतरकर टेक्सी ले सकते हैं.मदुरई रेलवे स्टेशन भी है.जहां कई राज्यो को कनेक्ट करता है.हालांकि रामेश्वरम मन्दिर से 2 किलोमीटर दूरी पर ही एक रेलवे स्टेशन है पर यहां ट्रेनें कम चलती हैं.आसपास घूमने के लिए तमाम दार्शनिक स्थल हैं.

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