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Flood In UP : यूपी के दो दर्जन जिलों में बाढ़ का कहर, अधिकारियों की बदइंतजामी ने बढ़ा दी हैं मुश्किलें

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अक्टूबर माह में हुई बारिश ने यूपी के कई जिलों में बाढ़ के हालात पैदा कर दिए हैं. पूरी उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जिले बाढ़ ( Flood In UP ) प्रभावित हैं. सीएम योगी स्वयं बाढ़ ग्रस्त इलाकों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. बावजूद स्थानीय स्तर पर जिला प्रशासन की बदइंतजामी के चलते लोगों की मुसीबतें औऱ बढ़ी हुई हैं.

Flood In UP : उत्तर प्रदेश में अक्टूबर माह में हुई बेमौसम बरसात औऱ साथ ही पहाड़ों पर हुई बारिश ने यूपी में एक बार फिर बाढ़ ( UP Flood News ) के हालात पैदा कर दिए हैं.पूर्वी यूपी के क़रीब सभी जिले बाढ़ प्रभावित हैं.सीएम योगी लगातार बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा कर रहे हैं.

बाढ़ प्रभावित जिलों में बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, गोरखपुर, गोण्डा, बहराइच, बाराबंकी, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, आजमगढ़, महराजगंज, बरेली, बस्ती, संत कबीर नगर, अयोध्या, मऊ, कुशीनगर, बलिया, अम्बेडकर नगर, पीलीभीत, देवरिया तथा शाहजहांपुर शामिल हैं. 

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गंगा नदी बदायूं में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. शारदा नदी लखीमपुर खीरी में, घाघरा नदी बाराबंकी में, अयोध्या और बलिया में, राप्ती नदी बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और गोरखपुर में, बूढ़ी राप्ती नदी सिद्धार्थनगर एवं कुन्हरा नदी सिद्धार्थ नगर, रोहिन नदी महराजगंज, तथा कुआनो नदी गोण्डा, में खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.

जनप्रतिनिधियों ने व्यक्त की पीड़ा..

बाढ़ ग्रस्त इलाकों में जनता इन दिनों दोहरी मार झेल रही है, पहली उसे प्रकृति से मिल रही है, दूसरा प्रशासनिक अधिकारियों से, सीएम योगी की लाख सख्ती के बावजूद अधिकारी मनमाने ढंग से काम कर रहे हैं.

बाढ़ग्रस्त जिलों में प्रशासन की तरफ़ उपलब्ध कराई जा रही सेवाएं बेहद खराब है. अधिकारियों की उदासीनता लगातार जारी है. अधिकारी किस कदर बेलगाम हैं,  इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीजेपी के सांसद विधायक तो छोड़िए डिप्टी सीएम तक अधिकारियों के रवैये से परेशान हैं.

ताजा मामला गोंडा ( Gonda News ) का है, यहां बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में फंसे लोगों के बीच पहुंचे कैसरगंज से भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह से जब मीडिया ने बाढ़ राहत कार्य में जिला प्रशासन की भूमिका के बारे में पूछा तो उन्होंने साफ कहा कि मत ही पूछिए तो अच्छा है. यहां तो बोलती ही बंद है, कुछ बोलेंगे तो बागी कहलाएंगे और सुझाव देंगे तो माना ही नहीं जाएगा. इसी कारण चुप रहिए.

इसके पूर्व उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ( Keshav Prasad Maurya ) का प्रयागराज में दो दिन के प्रवास में बेहद ही खराब अनुभव रहा.अधिकारियों की निष्क्रियता से वह काफी हैरान दिखे और इस पर अपनी प्रतिक्रिया भी व्यक्त की थी.

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