फतेहपुर:Exclusive-गरीबों की बस्ती 'नरकलोक' में तब्दील..सुध लेने वाला कोई नहीं..!
- By युगान्तर प्रवाह संवाददाता
- Published 29 Jul 2020 12:00 AM
- Updated 01 Sep 2023 02:05 AM
यूपी में शहरी गरीबों के लिए तत्कालीन मायावती सरकार में काशीराम कालोनी की स्थापना की गई थी..फतेहपुर की काशीराम कालोनी का हाल कोरोना काल में कैसा है..युगान्तर प्रवाह की ये रिपोर्ट पढ़ें...
फतेहपुर:बजबजाती नालियां,खुले में जमा कीचड़,घर का दरवाजा खोलने पर सामने से आती दुर्गंध, टूटी पाइप लाइनों से बहता पानी, और गलियों में एकत्र मलमूत्र! ये शहर की उस बस्ती का हाल है जहाँ अधिकांश ग़रीब व दलित रहते हैं।कोरोना काल में भी ये बस्ती प्रशासन और नेताओं की नज़र से दूर है।या यूं कहें उपेक्षित हैं क्योंकि इनकी आवाज़ को इनके दर्द को महसूस करने वाला कोई नहीं है।लेकिन युगान्तर प्रवाह ने इस बस्ती का दर्द सबके सामने लाने की एक छोटी से कोशिस की है।
यहाँ भी इंसान रहते हैं..
मौजूदा कोरोना काल के दौर में जहां सरकार साफ़ सफ़ाई पर विशेष ध्यान दे रही है वहीं दूसरी ओर शहर के महर्षि विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के पास स्थित काशीराम कॉलोनी का हाल किसी नरकलोक से कम नहीं है।यहाँ गन्दगी का आलम ये है कि टूटी हुई पाइप लाइनों से मलमूत्र खुले में बह रहा है।नालियों की सफाई न होने से वो पूरी तरह से चोक हो गई हैं।
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नगरपालिका क्षेत्र में आने वाली इस बस्ती में न तो कभी सफाईकर्मी जाते हैं और न ही किसी नेता व जिम्मेदार अधिकारियों ने इसकी सुध ली है।यहाँ पीने वाले के पानी की भी तगड़ी समस्या है।कई बार नगरपालिका कार्यालय में शिकायत करने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
अपना दर्द बयां करती हुई इस कालोनी में रहने वाली एक वृद्ध कहती हैं कि कभी कभार सफ़ाई कर्मी आते भी हैं तो दो हजार, चार हज़ार सफाई के एवज में माँगते हैं, हम लोग गरीब आदमी हैं किसी तरह मेहनत मजदूरी करके अपना पेट पाल रहें हैं ऐसे में रुपये कहां से दें।
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एक अन्य स्थानीय भी यही बात बताते हुए कहतें हैं कि इस बस्ती में रहने वाले लोग जान जोख़िम में डाल रहा हैं क्योंकि गन्दगी इतनी ज्यादा है कि यहाँ कोई रह ले तो उसे कोरोना, हैजा सब हो जाए।बतौर स्थानीय इस बस्ती में आज तक न तो कोई सेनेटाइजेशन हुआ है और न ही अन्य किसी प्रकार का दवाओं का छिड़काव।इस बस्ती में स्थित ज़्यादातर हैंडपंप भी बिगड़े हुए पड़े हैं।जिसके चलते पीने के पानी की भी समस्या है।
इस बस्ती में रहने वाले लोग मजदूरी पर आश्रित हैं।एक स्थानीय कहते हैं कि यहाँ कोई पैसे वाला नहीं रहता है।सभी मजदूर रहतें हैं।कोरोना काल मे मजदूरी भी नहीं मिल रही है।एक दूसरे से किसी तरह ले देकर जीवन यापन कर रहे हैं।सरकार की तरफ़ से मिलने वाला राशन भी कोटेदार पूरा नहीं देता है।
इस मामले में स्थानीय सभासद, नगर पालिका अध्यक्ष और अन्य जिम्मेदारों से सम्पर्क कर पूरे मामले में जानकारी लेने का प्रयास किया गया लेकिन सम्पर्क नहीं हो सका।जिम्मेदारों का बयान सामने आता है तो उसे ख़बर में जोड़ दिया जाएगा।