Jagdeep Dhankhar Resigns: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इन कारणों के चलते दिया इस्तीफा ! जानिए उनके बारे में
Jagdeep Dhankhar News
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने सोमवार रात अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए त्यागपत्र सौंपा. यह इस्तीफा संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन आया, जिससे देश की राजनीति में हलचल मच गई है.

Jagdeep Dhankhar Resigns: भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार रात अपने पद से इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया. उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर यह जानकारी दी. 74 वर्षीय धनखड़ का कार्यकाल वर्ष 2027 तक था, लेकिन उन्होंने समय से दो साल पहले ही पद छोड़ दिया. यह इस्तीफा ऐसे वक्त में आया है जब संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ था.
राष्ट्रपति को पत्र लिखते हुए कहा- डॉक्टरों की सलाह मान रहा हूं
धनखड़ ने राष्ट्रपति को भेजे गए पत्र में लिखा कि वह डॉक्टरों की सलाह के अनुसार अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दे रहे हैं. उन्होंने लिखा, "स्वास्थ्य को देखते हुए मैं तत्काल प्रभाव से उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे रहा हूं." इस पत्र में उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद भी दिया और प्रधानमंत्री व पूरी मंत्री परिषद का आभार जताया. उन्होंने अपने कार्यकाल को "सूझबूझ और सौभाग्य" से भरा हुआ बताया और कहा कि देश की आर्थिक प्रगति का साक्षी बनना उनके लिए एक संतोषजनक अनुभव रहा.
संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन दिया इस्तीफा
धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने यह इस्तीफा उस समय दिया जब संसद का मानसून सत्र शुरू ही हुआ था. 21 जुलाई की शाम तक उन्होंने बतौर राज्यसभा के सभापति अपना काम किया और उसी रात कुछ देर बाद त्यागपत्र भेज दिया.
राज्यसभा में कई बार विपक्ष से टकराव में रहे धनखड़
उपराष्ट्रपति के रूप में राज्यसभा के सभापति रहते हुए जगदीप धनखड़ कई बार विपक्षी नेताओं से तीखी बहसों में भी नजर आए. खासकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से उनकी कई बार तीखी नोकझोंक हुई. फिर भी, उनके इस्तीफे के बाद कई विपक्षी सांसदों ने उनके व्यवहार और निष्पक्ष कार्यशैली की तारीफ की. उनकी सख्त लेकिन गरिमामयी कार्यप्रणाली को सभी दलों ने सराहा.
वकील से लेकर राज्यपाल और उपराष्ट्रपति तक का सफर
धनखड़ ने अगस्त 2022 में देश के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला था. इससे पहले वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रह चुके थे. एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में उन्होंने जयपुर में लंबे समय तक वकालत की.
वे 1989 में झुंझुनू लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी बने और वीपी सिंह व चंद्रशेखर सरकारों में मंत्री पद भी संभाला. उनका राजनीतिक और विधिक अनुभव उन्हें देश के शीर्ष संवैधानिक पदों तक लेकर गया.
राजस्थान से दिल्ली तक का संघर्षमय लेकिन प्रेरणादायक सफर
18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले में जन्मे जगदीप धनखड़ की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई. बाद में वे चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में पढ़े और एनडीए में चयन भी हुआ, लेकिन उन्होंने आगे की पढ़ाई का रास्ता चुना.
राजस्थान विश्वविद्यालय से स्नातक और फिर कानून की पढ़ाई कर उन्होंने जयपुर में बतौर अधिवक्ता अपनी पहचान बनाई. सामाजिक और संवैधानिक मुद्दों पर उनकी गहरी पकड़ ने उन्हें राजनीति में लाकर एक ऊंचा मुकाम दिलाया.