
भारत-चीन तनाव:सम्पूर्ण गलवान घाटी को चीन ने अपना बताया..पीएम मोदी ने कहा हमारी सीमा में नहीं घुसा है कोई..!
भारत चीन सीमा विवाद में एक बार फ़िर से चीन ने पूरी गलवान घाटी पर अपना दावा ठोंका है।साथ ही उसने बीते दिन हुई हिंसक झड़प के लिए भारत पर उकसावे का आरोप लगाया है..पढ़े युगान्तर प्रवाह की एक रिपोर्ट..

डेस्क:भारत चीन सीमा पर जारी तनाव के बीच एक बार फिर से चीन ने पूरी गलवान घाटी को अपना बताया है।चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की तरफ़ से जारी हुए बयान में कहा गया है कि समूची गलवान घाटी उसके अधिकार क्षेत्र में है।इतना ही प्रवक्ता झाओ लीजियान ने यह भी कहा कि गलवान घाटी में जो कुछ भी बीते दिनों हुआ उसके लिए भारत जिम्मेदार है।
चीन ने गलवान घाटी को लेकर क्या कुछ कहा है..
पूरी गलवान घाटी भारत-चीन सीमा के पश्चिमी सेक्शन में लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल पर चीन की ओर है।कई सालों से चीन के सैनिक इस क्षेत्र में गश्त कर रहे हैं।
इस साल अप्रैल के बाद से लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल पर गलवान घाटी में भारतीय सेना ने एकतरफ़ा कार्रवाई करते हुए लगातार सड़कें बनाई हैं, पुल और अन्य ठिकाने बनाए हैं।चीन ने कई बार शिकायत की लेकिन भारत ने और उकसाने वाली कार्रवाई करते हुए एलएसी को पार किया।
6 मई की सुबह को एलएसी पार करने वाले सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों ने, जो रात में एलएसी पार करके चीन के क्षेत्र में आ गए थे, बैरिकेड लगाए और क़िलेबंदी की जिससे सीमा पर तैनात चीन के सैनिकों की गश्त में अवरोध पैदा हुआ।
भारतीय सैनिकों ने जानबूझकर उकसावे वाली कार्रवाई करते हुए प्रबंधन और नियंत्रण की यथास्थिति को बदल दिया।चीन के सैनिक परिस्थिति से निपटने के लिए और ज़मीन पर अपने प्रबंधन और नियंत्रण को मज़बूत करने के लिए ज़रूरी क़दम उठाने के लिए मजबूर हो गए।
तनाव कम करने के लिए भारत और चीन ने सैन्य और कूटनीतिक चैनलों से बातचीत की।चीन की मज़बूत मांगों की प्रतिक्रिया में भारत एलएसी पार करने वाले अपने सैनिकों को वापस बुलाने और बनाए गए ठिकानों को ध्वस्त करने के लिए तैयार हो गया।भारत ने ऐसा किया भी।
06 जून को दोनों पक्षों में कमांडर स्तर की वार्ता हुई और तनाव कम करने पर सहमति बन गई।भारतीय पक्ष इस बात पर सहमत हुआ कि वह गलवान नदी को पार नहीं करेगा और दोनों ही पक्ष ज़मीन पर मौजूद कमांडरों के बीच बैठकों के ज़रिए सैनिकों को चरणबद्ध तरीक़े से हटाएंगे।
लेकिन 15 जून की रात को सीमा पर तैनात भारतीय सैनिक कमांडर स्तर की बैठक में हुए समझौते का उल्लंघन करते हुए एक बार फिर एलएसी पार कर गए।जब गलवान घाटी में तनाव कम हो रहा था, उन्होंने जानबूझकर उकसावे की कार्रवाई की।
चीन के जो सैनिक और अधिकारी वार्ता करने के लिए उनके पास गए उन पर उन्होंने हिंसक हमला किया जिससे भीषण हिंसा हुए और लोग हताहत हुए।
भारतीय सेना की इस दुस्साहसिक कार्रवाई ने सीमा क्षेत्र की स्थिरता को कमज़ोर किया है, चीन के सैनिकों की जान को ख़तरे में डाला है, सीमा विवाद पर दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते का उल्लंघन किया है और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन किया है।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ फ़ोन पर हुई वार्ता में विदेश मंत्री वांग यी ने भारत से कहा है कि इस घटना की गंभीरता से जांच की जाए, ज़िम्मेदार लोगों को सख़्त सज़ा दी जाए और सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों को अनुशासित किया जाए और तुरंत सभी उकसावे की कार्रवाइयां बंद की जाएं ताकि ऐसी घटनाएं फिर ना हों।
ज़मीन पर हालात को सुधारने के लिए जल्द ही कमांडरों के बीच दूसरी बैठक भी होगी. गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद पैदा हुए गंभीर हालातों से निबटने के लिए दोनों ही पक्ष न्यायपूर्ण तरीक़े से काम करेंगे, कमांडर स्तर की बैठक में तय हुए समझौते का पालन करेंगे और हालात को जल्द से जल्द शांत करेंगे और अब तक हुए समझौते के तहत सीमावर्ती क्षेत्र में शांति स्थापित करेंगे।
भारत ने क्या कहा..
शुक्रवार को भारत चीन मामले पर पीएम मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लिया।इस दौरान उन्होंने कहा कि ना कोई हमारे क्षेत्र में घुसा है और ना किसी पोस्ट पर क़ब्ज़ा किया गया है।
कहा कि भारत शांति और दोस्ती चाहता है लेकिन वो अपनी संप्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं करेगा.
पीएम मोदी ने कहा, ''अभी तक जिनसे कोई सवाल नहीं करता था, जिन्हें कोई नहीं रोकता था, अब हमारे जवान उन्हें कई सेक्टर्स में रोक रहे हैं, चेतावनी दे रहे हैं।"
पीएम मोदी के इस बयान के बाद लोगों ने सवाल उठाएं हैं कि जब हमारी सीमा में कोई घुसा नहीं था तो सीमा पर इतनी जबरदस्त हिंसक झड़प क्यों हुई जिसमें हमारे 20 जवान शहीद हो गए।लोग यह भी सवाल कर रहें हैं कि क्या भारत ने गलवान घाटी में अपना दावा छोड़ दिया है.?