उत्तर प्रदेश में बनेगा 700 किलोमीटर लंबा नया एक्सप्रेस-वे, सरकार ने जारी किया सर्वे
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भारत-नेपाल सीमा के समानांतर लगभग 700 किमी लंबा नया एक्सप्रेसवे बन रहा है जो यूपी से बंगाल तक 22 जिलों को जोड़ेगा। यह यात्रा, व्यापार और सुरक्षा को मजबूती देगा। फोरलेन सड़क पर फाइटर जेट भी उतर सकेंगे। यह एक्सप्रेसवे दिल्ली से पूर्वी भारत की कनेक्टिविटी को तेज और सुगम बनाएगा।

Bharatmala Project: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से लेकर पश्चिम बंगाल (West Bengal) तक देश को जोड़ने वाला एक और आधुनिक एक्सप्रेसवे (Modern Expressway) बनने जा रहा है। लगभग 700 किलोमीटर लंबा यह परियोजना (Project), भारतमाला योजना के अंतर्गत विकसित किया जा रहा है। इसका मकसद न सिर्फ यात्रा को आसान बनाना, बल्कि व्यापार (Trade), पर्यटन (Tourism) और सामरिक महत्व (Strategic Importance) को भी मजबूत करना है।
यह एक्सप्रेसवे (Expressway) भारत-नेपाल सीमा के समानांतर बनाया जा रहा है, जिससे इसका सुरक्षा दृष्टिकोण (Security Angle) और मजबूत हो जाता है। गोरखपुर (Gorakhpur), शामली (Shamli) और मुरादाबाद (Moradabad) जैसे क्षेत्रों को जोड़ने वाली यह ग्रीन फील्ड परियोजना, सेटेलाइट तकनीक के जरिए रिमोट सेंसिंग से सर्वेक्षण कराई जा रही है। एक्सप्रेसवे की 45 किलोमीटर लंबी सड़क मुरादाबाद जिले से होकर गुजरेगी।
सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक, यह एक्सप्रेसवे कुल 22 जिलों से होकर गुजरेगा जिनमें मेरठ (Meerut), सहारनपुर (Saharanpur), बरेली (Bareilly) और अयोध्या (Ayodhya) जैसे प्रमुख जिले शामिल हैं। फिलहाल शामली से गोरखपुर जाने के लिए जहां 850 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है, वहीं इस एक्सप्रेसवे के बन जाने पर यह दूरी घटकर सिर्फ 700 किलोमीटर रह जाएगी। यह सड़क संपर्क (Road Connectivity) को और अधिक तेज़, सुगम और सुरक्षित बनाएगा।
इस प्रोजेक्ट को अंबाला-शामली इकोनॉमिक कॉरिडोर (Ambala-Shamli Economic Corridor) और दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे (Delhi-Dehradun Expressway) से भी जोड़ा जाएगा। साथ ही पूर्वांचल (Purvanchal) और आजमगढ़ लिंक एक्सप्रेसवे (Azamgarh Link Expressway) से कनेक्टिविटी मिलने के बाद, राजधानी दिल्ली से पूर्वी भारत तक पहुंचना और भी सरल होगा। यह जुड़ाव पूरे क्षेत्र को सामरिक मजबूती और आर्थिक गतिशीलता (Economic Mobility) देगा।
लड़ाकू विमानों की लैंडिंग के लिए भी तैयार होगा एक्सप्रेसवे
एनएचएआई अधिकारियों के अनुसार, यह एक्सप्रेसवे फोरलेन (Four-lane) होगा और जरूरत पड़ने पर इसे लड़ाकू विमानों (Fighter Jets) की लैंडिंग के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा। यह इस सड़क को सिविल और डिफेंस (Defense) दोनों उद्देश्यों के लिए उपयोगी बनाता है। बुनियादी ढांचे (Infrastructure) के लिहाज से यह परियोजना भारत के भविष्य की दिशा तय करेगी।
विकास के नए युग की शुरुआत
इस एक्सप्रेसवे की मदद से न सिर्फ कृषि (Agriculture), उद्योग (Industry) और परिवहन (Transport) को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि सामाजिक कल्याण (Social Welfare) और क्षेत्रीय विकास (Regional Development) की रफ्तार भी तेज होगी। यह विजन इंडिया 2047 (Vision India 2047) के तहत भारत को समृद्ध (Prosperous) और आत्मनिर्भर (Self-reliant) बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।