कानपुर मतदान प्रतिशत : दूसरे चरण के चुनाव में कानपुर साबित हुआ फिसड्डी, वोटिंग प्रतिशत को लेकर दिखी मायूसी
उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव के दूसरे चरण में प्रदेश के 38 शहरों में हो रहे मतदान के बीच कानपुर फिसड्डी साबित हुआ दरअसल निर्वाचन आयोग द्वारा वोटिंग के निर्धारित समय सुबह 7 बजे से लेकर शाम 6 बजे वोटिंग समाप्त होने तक केवल 41.86 प्रतिशत वोट पड़े ,वोटिंग के दौरान कई पोलिंग बूथों पर मामूली कहासुनी भी देखने को मिली जिसे प्रशासन की सूझबूझ के चलते नियंत्रित कर लिया गया, लेकिन वोटर लिस्ट से नाम गायब होने से महापौर और पार्षद प्रत्याशियों में मायूसी भी देखी गयी। इन आंकड़ों को देख यह कहना गलत नहीं होगा कि जिला

हाईलाइट्स
- कानपुर का मतदान प्रतिशत रहा बेहद कम
- वोटर लिस्ट से शहर में भारी संख्या में मतदाताओं के नाम थे गायब
- आखिर ऐसे कैसे बढ़ेगा वोटिंग प्रतिशत
Kanpur turned out to be poor in voting percentge : औद्योगिक राजधानी कानपुर में महापौर के लिए 13 और पार्षद के लिए 851 प्रत्याशियों की हार और जीत का जिम्मा शहर के 2217517 वोटरों के हाथ मे था। सुबह से ही वोटिंग परसेंटेज काफी कम रहा जहां 9 बजे 5.83 प्रतिशत तो वही 11 बजे 13.95 प्रतिशत रहा और शाम 6 बजे वोटिंग समाप्त होने तक यह आंकड़ा 50 फीसदी भी नहीं पहुंच पाया और कुल मिलाकर 41.86 पर समाप्त हुआ। जबकि जिला प्रशासन की ओर से कई पोलिंग बूथों पर सेल्फी प्वाइंट के साथ-साथ शहर में एक पिंक बूथ भी बनवाया गया था जिससे कि मतदाता यहां पर आकर अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुए दूसरों को भी वोट डालने के लिए जागरूक कर सके बावजूद इसके इन पोलिंग बूथों पर वोटरों की संख्या में इजाफा नहीं हो सका.
वोटर लिस्ट से नाम गायब होना बड़ी वजह
वोटर्स को लौटना पड़ा मायूस
भारतीय जनता पार्टी से बिल्हौर विधानसभा विधायक राहुल सोनकर बच्चा और उनकी पत्नी का नाम भी वोटर लिस्ट में ना होने की वजह से उन्हें भी मायूस होकर बूथ स्थल से वापस लौटना पड़ा ऐसे में कहीं ना कहीं निर्वाचन आयोग पर भी कई सवाल खड़े होते हैं कि यदि वोटिंग परसेंटेज कम होता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
हालांकि शहरवासियों को वोट करने को लेकर जागरूक करने के लिए भाजपा की ओर से कई अथक प्रयास किए गए जिनमें विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुए शहर वासियों से वोट करने की अपील करी सांसद पचौरी ने भी लोगो को घर से निकलकर मतदान की अपील की थी,उधर सांसद सत्यदेव पचौरी ने भी इस मामले में कहा था कि पुरानी सूची उतार दी गई नई सूची गायब है जिसकी वजह से जो अब इस दुनिया मे नही है उनके नाम थे जो है अभी उनके नाम ही नहीं है इसपर गम्भीरता से विचार करना आवश्यक है , वहीँ अब मतदाता भी क्या करे जब सूची में नाम ही नही तो वोट कैसे डाल सकते है खैर वोटिंग प्रतिशत कम होने के कारण को निर्वाचन आयोग को गम्भीरता से सोचना होगा कि इसे आगे बेहतर कैसे करें.