फ़तेहपुर:नशाखोरी का अड्डा बना सरकारी अस्पताल..शाम होने से पहले ही छलकने लगते हैं ज़ाम.!
लोगों की स्वास्थ्य रक्षा के लिए शासन ने जिन सरकारी अस्पतालों का निर्माण कराया है..अगर वही अस्पताल शराबियों के अड्डे बन जाए और मेडिकल कचरे की जगह शराब की बोतलें पड़ी मिले तो ऐसे में ये कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि मरीजों के ईलाज की जगह अस्पताल नशाखोरी का अड्डा बन गया है..पढ़े युगान्तर प्रवाह की एक रिपोर्ट...
फ़तेहपुर:सरकार ने शराब की बिक्री के लिए जिस आबकारी विभाग की संरचना की है उसी शराब को पीने के लिए कुछ नियम और कानून भी बनाए हैं।जिसमें सार्वजनिक स्थान पर नशा करना प्रतिबंधित है।और यदि वह सार्वजनिक स्थान अस्पताल हो तो उसे क्या कहा जाए.?
मामला जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गोपालगंज का है जहां आए दिन अस्पताल परिसर के अंदर शराब की दर्जनों बोतलें पड़ी मिलती हैं।आने वाले आस-पास के मरीजों के तीमारदारों ने बताया कि अस्पताल परिसर के अंदर ही शराब का सेवन किया जाता है यहां आस पास मकान नहीं है और अगर कोई व्यक्ति शराब पीता हो अस्पताल के अंदर उसकी बोतलों को क्यों फेकता.?नाम न बताने पर अस्पताल के ही एक कर्मचारी ने बताया कि यहां कई बार दिन में और शाम को बियर औऱ अंग्रेजी शराब आती है। औऱ अस्पताल में बैठ कर शराब का सेवन किया जाता है।
युगान्तर प्रवाह ने जब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. विपुल शुक्ला से इस बारे में दूरभाष से जानकारी लेनी चाही तो उनके द्वारा फोन नहीं उठाया गया। अब सवाल यह है कि जहाँ मरीजों को बेहतर ईलाज के लिए लाया जाता है वही अस्पताल यदि ख़ुद नशे के आगोश में डूबा हो तो ऐसे में लोगों के बेहतर स्वास्थ्य की परिकल्पना कैसे की जा सकती है.?