Vijaya Ekadashi Kab Hai 2024: कब है विजया एकादशी ! जानिये सही तारीख-शुभ मुहूर्त और महत्व
विजया एकादशी कब है
फाल्गुन माह की शुरुआत हो चुकी है. मार्च माह में पड़ने वाली एकादशी जिसे विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi) कहा जाता है. फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी विजया एकादशी नाम से जानी जाती है. इस एकादशी का व्रत 6 मार्च को रखा जाएगा. भगवान श्री हरि की पूजा फलदायी मानी गयी है. व्रत और पूजन से सौभाग्य और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है.
मार्च माह की पहली एकादशी
हमारे हिन्दू धर्म में कई एकादशी पड़ती हैं. मार्च माह का आरम्भ हो चुका है ऐसे में इस माह में पड़ने वाली एकादशी (Vijaya Ekadashi) की तारीख को लेकर लोगों में संशय बना हुआ है. चलिए इस आर्टिकल के जरिये जानेंगे कि इस एकादशी को क्या कहते हैं और सही तारीख व मुहूर्त क्या है इसके साथ ही इस एकादशी में व्रत और पूजन का क्या महत्व होता है. हमारे साथ बने रहिये इस एकादशी के बारे में विस्तारपूर्वक जानने के लिए.
व्रत और पूजन से जातकों के सभी संकट होते हैं दूर
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi) कहा जाता है. जातको को भगवान श्री हरि और लक्ष्मी माता का पूजन और व्रत करना चाहिए. हरि कृपा होने से जातकों के सभी संकट और पापो का नाश होता है. इस व्रत को लेकर पद्म पुराण और स्कंद पुराण में वर्णन मिलता है. शत्रुओं से घिरा जातक यदि इस व्रत को विधि विधान से करता है तो उसकी जीत सुनिश्चित है. सभी प्रकार के शारीरिक व मानसिक संकटों से निजात मिलती है.
6 मार्च को विजया एकादशी व्रत, पूजन विधि
अब बात आती है इस व्रत की कब है ये एकादशी तो आपके इस संशय को दूर करते हुए बता दें कि ये विजया एकादशी 6 मार्च को मनाई जाएगी. मुहूर्त की बात करें तो सुबह 6:30 से शुरू होकर 7 मार्च 2024 को सुबह 4:13 तक रहेगी. विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi) के दिन सुबह जल्द उठकर जातक स्नान कर भगवान हरि का ध्यान करें. व्रत रखकर पूजन की शुरुआत करें. पुष्प अर्पित करें इसके साथ ही ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का मन्त्र जप करे. केला, माखन व मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं आरती करें रात्रि जागरण करें गीता का पाठ करें.
रामायण काल से जुड़ी है कथा
इस एकादशी को लेकर एक कथा प्रचलित है. भगवान श्री राम वानर सेना के साथ त्रेतायुग में लंका पार करना चाहते थे. तब उन्हें इस व्रत के बारे में ज्ञात हुआ. हालांकि उनके अनुज लक्ष्मण जी ने प्रभू को सम्बोधित करते हुए कहा कि आप तो सब जानते हैं. उन्होंने कहा कि आप यहां एक ऋषि बकदाल्भ्य से मिले. प्रभू ऋषि के पास पहुंचे तो उन्होंने कहा कि हे राम आप समस्त वानर सेना के साथ फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत करें. यही एकादशी आपको आगे विजय मार्ग पर ले जाएगी. फिर उन्होंने नारायण का ध्यान करते हुए व्रत और पूजन किया और उन्हें सफलता मिली.