सिर्फ नाग पंचमी के दिन खुलता है शिव का ये मंदिर ! जानिए क्या होती है त्रिकाल पूजा, रहस्यमयी दर्शन को उमड़ती है भीड़
Nagchandreshwar Mandir
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट साल में सिर्फ एक दिन नाग पंचमी पर ही खुलते हैं. त्रिकाल पूजा, प्राचीन मूर्ति और रहस्यमयी वातावरण के बीच लाखों श्रद्धालु इस दिन का इंतजार करते हैं.

Nagchandreshwar Mandir: क्या आप कल्पना कर सकते हैं एक ऐसे मंदिर की, जो पूरे वर्ष सोया रहता है और केवल एक पावन रात के लिए जागृत होता है? उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर ठीक ऐसा ही एक चमत्कारी स्थल है, जहां समय ठहर जाता है और भक्तों को साक्षात शिव के दिव्य रूप के दर्शन होते हैं. नाग पंचमी की रात जब इसके कपाट खुलते हैं, तो अध्यात्म की ऊर्जा पूरे शहर को जागृत कर देती है.
अलौकिक रहस्य से परिपूर्ण मंदिर, जो साल में सिर्फ एक रात के लिए जागृत होता है
उज्जैन के महाकाल मंदिर के शीर्ष पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर साल भर में केवल एक बार, नाग पंचमी की रात 12 बजे से अगले दिन रात 12 बजे तक ही खुलता है. मान्यता है कि इस दिन शिव और नागों की विशेष कृपा प्राप्त होती है. लाखों श्रद्धालु केवल इसी एक दिन के दर्शन के लिए उज्जैन आते हैं, जिससे यह क्षण दुर्लभ और दिव्य बन जाता है.
11वीं शताब्दी की दिव्य मूर्ति: जहां शिव, नाग, सूर्य और चंद्रमा एक साथ विराजमान हैं
मंदिर की मुख्य आकृति एक अलौकिक मूर्ति है, जो 11वीं शताब्दी की मानी जाती है। इसमें शिवजी नागों के सात फनों के नीचे विराजे हैं, साथ ही पार्वती, नंदी, सिंह, गणेश, कार्तिकेय, सूर्य और चंद्रमा भी मौजूद हैं. ऐसी समग्र और शक्तिशाली मूर्ति विश्व में और कहीं नहीं मिलती. भक्त इसे देख आध्यात्मिक रोमांच और चमत्कार की अनुभूति करते हैं.
त्रिकाल पूजा की परंपरा: शिव की तीन कालों में साधना
दो लाख श्रद्धालु करते हैं एक दिन के दर्शन, प्रशासन की विशेष व्यवस्था
इस दिन उज्जैन में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ता है. लगभग दो लाख श्रद्धालु नागचंद्रेश्वर मंदिर के दुर्लभ दर्शन के लिए पहुंचते हैं. प्रशासन विशेष रूट और सुरक्षा व्यवस्था बनाता है ताकि महाकाल और नागचंद्रेश्वर के दर्शन शांतिपूर्वक हो सकें. दर्शन की सुविधा के लिए मंदिर परिसर में अलग प्रवेश और निकास मार्ग भी तय किए जाते हैं.
तीन मंजिला शिव शक्तिपीठ: महाकाल, ओंकारेश्वर और नागचंद्रेश्वर का समन्वय
महाकाल मंदिर की तीन मंजिला रचना स्वयं में एक दिव्य रहस्य है. सबसे नीचे महाकालेश्वर, उसके ऊपर ओंकारेश्वर और शिखर पर नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है. यह स्थापत्य शिव के तीन रूपों—काल, ऊर्जा और नाग शक्ति—का समन्वय करता है. इस त्रिसतही पूजा स्थल में प्रवेश कर भक्त एक गूढ़ ब्रह्मांडीय अनुभव प्राप्त करते हैं.