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Chaitra Navratri 2024 Parana Time: चैत्र नवरात्रि पारण कब है? क्या है व्रत खोलने का नियम, जानिए शुभ मुहूर्त डेट

Chaitra Navratri 2024

मां दुर्गा के पूजन के लिए नवरात्रि का विशेष महत्व है. इस दौरान मन और आराधना से की गई पूजा अर्चना का विशेष फल मिलता है. 9 अप्रैल से प्रारंभ हुई चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2024) का समापन 17 अप्रैल के दिन होगा और इसी तिथि को इसका पारण (Chaitra Navratri Parana Time) भी किया जायेगा. पंडित ईश्वर दीक्षित के अनुसार जाने किस समय पारण करने से संपूर्ण पूजा का फ़ल मिलेगा.

Chaitra Navratri 2024 Parana Time: चैत्र नवरात्रि पारण कब है? क्या है व्रत खोलने का नियम, जानिए शुभ मुहूर्त डेट
चैत्र नवरात्रि 2024 पारण समय और नियम : Image Credit Original Source

चैत्र नवरात्रि 2024 का पारण कब करें (Chaitra Navratri Parana Time) 

चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ 9 अप्रैल से हुआ है जबकि 17 अप्रैल राम नवमी (Ram Navami 2024) के दिन ही नवरात्रि का पारण (Parana) किया जायेगा. नवरात्रि का पारण करने से पहले कुछ विशेष बातों को ध्यान में रखना जरूरी है जिससे आप इस पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त कर सकते हैं. भारतीय सेना में धर्म गुरू ज्योतिषाचार्य पंडित ईश्वर दीक्षित कहते हैं कि नवमी के दिन सूर्यास्त से पहले पारण (Parana 2024) करना जरूरी है. इसके साथ ही उन्होंने विशेष नियम बताएं हैं जिससे चैत्र नवरात्रि का संपूर्ण फल आपको प्राप्त होगा.

चैत्र नवरात्रि के दिन पारण करने का क्या हैं शुभ समय (Chaitra Navratri Parana Time) 

पंडित ईश्वर दीक्षित के अनुसार नवरात्रि का पारण तिथि के चतुर्थ चरण में किया जाता है तभी इसका शुभ फल मिलता है. उन्होंने कहा कि चैत्र नवरात्रि के पारण के दिन राम नवमी (Ram Navami) का पर्व है इसलिए मां सिद्धिदात्री का पूजन हवन करने के पश्चात राम नवमी का पर्व मनाए और पूजन के बाद पारण किया जा सकता है. 

पंडित जी के अनुसार राम नवमी के पूजन के बाद और शाम 05 बजकर 30 मिनट तक के पहले अपने व्रत का पारण कर लें. उन्होंने कहा कि अगर किसी को विलंब भी होता है तो यह विशेष ध्यान रखे कि सूर्यास्त ना होने पाए. 

चैत्र नवरात्रि प्रारंभ समापन 9 अप्रैल से 17 अप्रैल 
चैत्र नवरात्रि अष्टमी तिथि 16 अप्रैल को 
चैत्र नवरात्रि नवमी तिथि  17 अप्रैल को
चैत्र नवरात्रि पारण समय  दोपहर राम नवमी पूजन के बाद शाम 5:30 तक
राम नवमी  17 अप्रैल को
चैत्र नवरात्रि के दिन पारण करने का नियम (Chaitra Navratri Parana Niyam)

चैत्र नवरात्रि या शारदीय नवरात्रि के पारण करने के कुछ विशेष नियम होते हैं. पंडित ईश्वर दीक्षित के अनुसार इन नियमों को ध्यान में रखकर ही व्रत का पारण करना चाहिए..

Read More: Navratri Paran Kab Hai 2025: चैत्र नवरात्र में पारण कब है? जानिए शुभ मुहूर्त और सटीक डेट

  • चैत्र नवरात्रि के दिन जल्दी उठकर स्नान करें उसके बाद मां सिद्धिदात्री का पूजन करें. 
  • मां की पूजा करने के बाद परिवार के साथ आरती करें. 
  • माता को यथा सामर्थ सात्विक आहार बनाकर उनका भोग लगाएं. 
  • अपने परिवार के सदस्यों के साथ या फिर जो भी आपके यहां हो साथ में देवी का हवन करें. दुर्गा सप्तशती के मंत्रों से अगर आप हवन नहीं कर सकते तो देवी का हवन ऊँ दुं दुर्गायै नमः से 108 बार 51 या 21 बार करें.
  • देवी मां को भोग लगाने के लिए जो प्रसाद बनाया गया हो उसी को नव कन्याओं को खिलाएं उसके बाद यथा सामर्थ अंग वस्त्र, दक्षिणा, फल आदि देकर चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें.
  • कन्या पूजन के बाद माता के कलश को स्थान से हटाएं और उसके अंदर के जल को अपने घर में छिड़कें 
  • माता के जवारे और अन्य विसर्जित करके वाली वस्तुओं को पवित्र नदी में प्रवाहित करें या तुरंत संभव ना हो सके तो घर की बाल्टी में गंगाजल डालकर उसमें जल मिला ले फिर उसी में जवारे डाल दें और समय मिलने पर नदी में प्रवाहित करें 
  • चैत्र नवरात्रि के दिन दोपहर में राम नवमी का पर्व मनाए उसके बाद भगवान राम का आशीर्वाद ले और देवी को चढ़ाए गए अक्षत या भोग या राम जी को अर्पित किए गए भोग से अपने व्रत का पारण करें. 
  • पंडित ईश्वर दीक्षित कहते हैं कि पारण करते समय दिशा का विशेष महत्व होता. इसके लिए पूर्व दिशा की ओर मुंह करके प्रसाद ग्रहण करते हुए पारण करना चाहिए. 
  • नवरात्रि के पारण वाले दिन तामसिक भोजन ना करें जिससे 9 दिन की पूजा का विशेष फल मिलेगा.
नवरात्रि में भजन कीर्तन का क्या है महत्व 

जोतिषाचार्य पंडित ईश्वर दीक्षित कहते हैं कि नवरात्रि वर्ष में चार बार होती है इसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व होता है. नवरात्रि में माता के नव स्वारूपों की पूजा की जाती है. जिसमे भक्त पूजन हवन के साथ-साथ भजन कीर्तन भी करते हैं.

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पंडित जी कहते हैं माता को भजन कीर्तन बहुत अच्छा लगता है क्योंकि भजन में जो भाव होता है वो निश्छल होता है क्योंकि ध्यान भंग हो सकता है लेकिन भाव नहीं. इसलिए सुध बुध खोकर ही भजन कीर्तन करना चाहिए जिससे माता प्रसन्न होती हैं.

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