Chaitra Navratri Kanya Pujan: कन्या पूजन में रखें इन बातों का रखें ध्यान ! बचें इन गलतियों को करने से
चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) के पावन 9 दिनों का पर्व चल रहा है. अब बात आती है कन्या पूजन (Kanya pujan) की तो कन्या पूजन का महत्व महाअष्टमी (Mahaashtami) और नवमी (Navami) में करने की परंपरा चली आ रही है. कुछ लोग अष्टमी के दिन तो कुछ लोग नवमी के दिन कन्या पूजन और कन्या भोज (Kanya Bhoj) करते हैं. ध्यान रहें कन्या पूजन कर रहे हैं तो कुछ बातों का जरूर ध्यान रखें और इन गलतियों को करने से बचें. यदि आप इस तरह की गलतियां नहीं करते हैं माता की कृपा आप और परिवार पर बनी रहती है.
कन्या पूजन पर न करें ऐसी गलतियां
चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) के दिनों में माता दुर्गा (Goddess Durga) के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. यही नहीं इन दिनों नवरात्रि (Navratri) पर उपवास (Fast) रखने से जातकों पर माता की कृपा होती है. यही नहीं जातकों को अष्टमी या फिर नवमी में कन्या पूजन (Kanya Pujan) करना नहीं भूलना चाहिए. बिना कन्या पूजन किये व्रत (Fast) अधूरा माना जाता है. इसके साथ ही कन्या पूजन के दौरान भूलकर भी न कर बैठें ऐसी गलतियां, जिससे माता रुष्ट हो जाएं. चलिए इस आर्टिकल के जरिये आपको बताएंगे कि कन्या पूजन के दौरान किन गलतियों को करने से बचना चाहिए.
9 कन्याओं के साथ 1 बटुक को बैठाना न भूलें
हमारे सनातन धर्म में कन्या पूजन का विशेष महत्व है. नवरात्रि के दिनों में कन्या पूजन की मान्यता है. 9 कन्याएं और 1 बटुक को अपने घरों में आमंत्रित कर उनका पूजन करें उन्हें भोजन कराएं इसके साथ ही विनम्रता और मधुर वचन से उन्हें बुलाएं, मुख्य तौर पर कन्या पूजन कुछ लोग महाअष्टमी तिथि को करते हैं तो कुछ नवमी में करते हैं. 9 कन्याओं को 9 देवी का प्रतीक माना गया है जबकि एक बटुक यानी बालक को भैरव का रूप कहा जाता है. कन्या पूजन के लिए कन्याओं की उम्र 2 से 10 वर्ष रखी गयी है. कन्या पूजन शुभ मुहुर्त में करें.
कन्याओं से विनम्रता से करें बात, साफ-सफाई का रखें ध्यान
कन्या पूजन जब कर रहे हो तो इस बात का ध्यान रखें उनसे विनम्रता और मधुर स्वभाव के साथ उनसे बात करें. भूलकर पर भी उनपर गुस्सा न करें और न ही डांटे. सम्मान के साथ उनका स्वागत करें. ऐसा करने से माता प्रसन्न होती हैं. कन्या पूजन के दौरान जहां उन्हें बैठाना है वहां साफ-सफाई का ध्यान रखें. गन्दगी बिल्कुल न हो इस बात को जरूर समझ लें वरना माता रुष्ट हो सकती हैं. इसलिए उनके आगमन से पहले ही साफ-सफाई करवा लें.
सही दिशा में कन्याओं को बैठाएं
जब कन्याएं आएं तो सबसे पहले उनके चरण अपने हाथों से धोएं और साफ कपड़े से साफ करें. फिर उन्हें उनके आसन पर बैठाएं. फिर उनका तिलक करें याद रहे कन्या किस दिशा में बैठी है इस बात का ध्यान रखें. कन्याओं का तिलक करते वक्त उनका चेहरा उत्तर-पूर्व दिशा की ओर हो. ईशान कोण में देवी-देवताओं का स्थान माना गया है. इसलिए सही दिशा में बैठाएं.
कन्याओं को दक्षिणा दें उनका आशीर्वाद लें
याद रहें 9 कन्याओं के साथ एक बटुक को बुलाना न भूलें बटुक यानी बालक जिसे भैरव का रूप कहा गया है. बटुक के बिना भी पूजन अधूरा माना जाता है. इसके साथ ही भोजन के पश्चात कन्याओं को कोई उपहार या सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा जरूर दें. पैर छूकर उनका आशीर्वाद जरूर लें, पैर छूकर उन्हें विदा करें. यदि इन सब बातों का ध्यान रखेंगे तो माता की कृपा आप पर सदैव बनी रहती है.