
Budhwa Mangal 2023: जानिये भाद्रपद मास के आख़िरी मंगलवार को 'बड़ा मंगल' या 'बुढ़वा मंगल' क्यों मनाया जाता है,क्या है इसके पीछे का महत्व
budhwa Mangal 2023: बुढ़वा मंगल या बड़ा मंगल हर वर्ष भाद्र पद मास के आखिरी मंगलवार को मनाया जाता है. यह हनुमान जी का विशेष दिन होता है. इस दिन बाबा के वृद्ध रूप की पूजा की जाती है. बुढ़वा मंगल या बड़ा मंगल के पीछे महाभारत काल का इतिहास जुड़ा हुआ है.

हाईलाइट्स
- आज मनाया जा रहा है बुढ़वा मंगल, इसे बड़ा मंगल भी कहा जाता है
- वृद्ध रूप में हनुमान जी की होती है पूजा, विशेष रूप से होता है श्रृंगार
- महाभारत काल से जुड़ा है महत्व, विधि विधान से करें हनुमानजी का पूजन
Bada Mangal is celebrated on the last Tuesday : हमारे सनातन धर्म और हिन्दू मान्यता के अनुसार बाबा बजरंगबली के पूजन व भक्ति का विशेष महत्व है. देश भर में सबसे ज्यादा मन्दिर भी हनुमान जी के ही आपको मिलेंगे. क्योंकि जब कोई संकट आता है तो सबसे पहले संकट मोचन का ही हम स्मरण करते हैं, ऐसा कहा गया है, कलयुग में धरती पर हनुमान जी मौजूद है, जो भक्तों की हमेशा रक्षा करते हैं. कुछ इसी तरह बुढ़वा मंगल या बड़ा मंगल के पर्व का भी विशेष महत्व है. इसके पीछे का क्या पौराणिक महत्व और इतिहास है आपको विस्तार से बताएँगे.
बड़ा मंगल आज, बाबा का करें विधिविधान से पूजन
भाद्रपद मास का आज आखिरी मंगलवार हैं, इस मंगलवार का हमारे हिन्दू धर्म में विशेष महत्व हैं, इस दिन में मंगल को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहा जाता है. बड़ा मंगल होने के चलते हनुमान मंदिरों में विशेष श्रृंगार किया जाता है. सुबह से ही प्रसिद्ध बाबा के मंदिरों में देश भर में भक्तों की अपार भीड़ भक्तों की उमड़ती है. भक्त बाबा के दर्शन के लिए दूर-दूर से पहुँचते है, और घर की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं.
महाभारत काल से बड़ा मंगल का जुड़ा है इतिहास
बड़ा मंगल के पौराणिक महत्व की बात करें तो इसका महत्व महाभारत और रामायण काल से जुड़ा हुआ है. 26 सितम्बर यानी आज बुढ़वा मंगल मनाया जा रहा है. इस दिन हनुमान जी के वृद्ध रूप की पूजा की जाती है. बुढ़वा मंगल भी कहते हैं. हनुमान जी कलयुग में हैं, जब कभी कोई बड़ा या छोटा संकट आता है,हम सभी बाबा का स्मरण ही करते हैं, उनके स्मरण मात्र से ही हमें एक नई ऊर्जा प्राप्त होती है.
महाभारत की कथा है प्रचलित
बुढ़वा मंगल के पीछे महाभारत की कथा प्रचलित है, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बुढ़वा मंगल का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. पांडु पुत्र गदाधारी भीम से भी जुड़ा हुआ है, दरअसल कहते हैं कि भीम को अपने बाहुबल और शक्ति पर बहुत घमंड था. उनके इस घमंड को चूर करने के लिए हनुमानजी ने मंगलवार को बूढ़े बंदर का रूप धारण किया. फिर एक जंगल में यही रूप धारण कर बैठ गए. जब भीम वहां से गुजरे तो उन्हें आगे एक लंबी पूछ दिखाई दी, आगे देखा तो वृद्ध बंदर के रूप में बाबा बैठे हुए थे, भीम बाबा के इस रूप से अंजान थे,और गुस्से में कहा कि पूछ हटाइये, उन्होंने कहा राम का नाम लो भाई, भीम अत्यंत क्रोधित हो गए.
भीम का घमंड हुआ चूर
तब उधर से बाबा ने कहा कि पूछ को लांघ कर निकल जाओ या हटा के किनारे कर दो, भीम के अंदर शक्ति का अहंकार तो था ही, फिर भीम उठाने लगे पूछ और पसीना-पसीना हो गए, अंत में वृद्ध वानर से भीम ने क्षमा मांगी और उनके इस रूप को पहचान गए, भीम ने दंडवत झुककर हनुमान जी को प्रणाम किया, इसके साथ ही भीम का घमंड चूर हो गया. कहा जाता है उस दिन भाद्रपद मास का आखिरी मंगलवार था.
ऐसे करें हनुमान जी की पूजा
इस दिन सुबह स्नान करके हनुमान जी की प्रतिमा के सामने उनकी आराधना करें, उन्हें लाल पुष्प चढ़ाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें. भगवान को लाल चंदन का टीका लगाएं, सुदंर कांड, बजरंग बाण का पाठ करें, भक्तों को सच्चे मन से बाबा की आराधना करनी चाहिए, यदि कोई आपके जीवन में बाधाएं आ रही है तो बाबा को चोला जरूर चढ़ाएं, वैसे भी चढ़ा सकते हैं. इस दिन यह सब जरूर सच्चे भाव से करें जिससे बाबा प्रसन्न होते है और आपकी मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं. इसके बाद शाम को बजरंग बली को चूरमा, मीठे पुए या फिर बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं फिर सभी को प्रसाद वितरित करें.
