FCI Bankruptcy :दिवालिया होने की कगार पर एफसीआई.!

किसानों का अनाज खरीदने वाली सरकारी संस्था एफसीआई (FCI) दिवालिया (FCI Bankruptcy) होने की कगार पर पहुँच गई है, क्या सरकार जानबूझकर कर एफसीआई को बन्द कराने पर तुली हुई है.तथ्यात्मक आंकड़ो के साथ पढ़ें युगान्तर प्रवाह की ये रिपोर्ट..
नई दिल्ली:केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर लाखों किसान क़रीब एक महीने से कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं।साथ ही एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की लिखित गांरटी मांग रहें हैं।लेक़िन एमएसपी पर किसानों से अनाज खरीदने वाली देश की सबसे बड़ी सरकारी संस्था ही दिवालिया (FCI Bankruptcy) होने की कगार पर पहुँच जाए तो फ़िर किसान क्या करेंगे।ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या सरकार ने नए कृषि कानूनों को लागू करने से पहले ही इसकी पूरी तैयारी कर ली थी।

नए कृषि क़ानूनो के तहत सरकार बता रही है कि किसान के लिए बाज़ार पूरी तरह से खुले रहेंगे वो अपना माल अपने मन के रेट के मुताबिक बेच सकतें हैं।लेक़िन एफसीआई के बन्द हो जाने प्राइवेट मंडियों में कारपोरेट का कब्ज़ा हो जाएगा।किसानों के सामने मजबूरी रहेगी कि वह इन्ही मंडियों में अपना अनाज बेचें।
पिछले दस सालों की बात करें तो एफसीआई पर साल दर साल कर्ज़ा बढ़ता चला जा रहा है।एफसीआई के ही आंकड़ों के मुताबिक मनमोहन सरकार में कर्ज़ की रक़म 91 हज़ार करोड़ थी।जो मोदी सरकार बनने के बाद 2014-15 में ही एक लाख करोड़ से ज़्यादा हो गई। FCI Bankruptcy
और इस तरह से साल 2019-20 वित्तीय वर्ष में एफसीआई के घाटे की रक़म बढ़कर पहुँच गई है तीन लाख पंद्रह हज़ार करोड़ रुपए।