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आरती कुंजबिहारी की लिखित लिरिक्स हिंदी: कृष्ण भगवान की आरती लिखित में ! Aarti Kunj Bihari ki

aarti kunj bihari ki lyrics

आरती कुंजबिहारी की लिखित लिरिक्स हिंदी: भगवान श्री कृष्ण की पूजन विधि में आरती का विशेष महत्व है, जन्माष्टमी के दिन भगवान बाल गोपाल का अभिषेक करने के बाद उनको वस्त्र और पुष्प अर्पित करते हुए तत्पश्चात आरती करते हैं जिसमें शंख और वाद्य यंत्रों के साथ आरती करते हैं जिसे सुनकर कान्हा अति प्रसन्न होते हैं (Aarti Kunj Bihari Ki Shri Girdhar Krishna Murari Ki Hindi Lyrics)

आरती कुंजबिहारी की लिखित लिरिक्स हिंदी: कृष्ण भगवान की आरती लिखित में ! Aarti Kunj Bihari ki
श्री कृष्ण आरती
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Janmashtami Aarti: भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था जिसे पूरे विश्व में जन्माष्टमी (Janmashtami) या गोकुलाष्टमी (Gokulashtami ) के रूप में मनाते हैं.

घर और मंदिरों को इसदिन सजाया जाता है.मध्यरात्रि के समय भगवान बाल गोपाल का अभिषेक करते हुए उन्हें वस्त्र फूल,फल, मेवे अपनी श्रद्धा और समर्थ के अनुसार अर्पित करते करते हैं.

वैसे भी भगवान भावनाओं के भूंखे होते हैं.भर्ती भाव से की गई पूजा से वह जल्द प्रसन्न होते हैं. अंत में शंख और वाद्य यंत्रों के साथ भगवान (krishna bhagwan ki aarti) आरती और भजन कीर्तन अवश्य करें.

पढ़ें भगवान श्री कृष्ण की आरती  (Aarti Kunj Bihari Ki Shri Girdhar Krishna Murari Ki Hindi Lyrics)

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श्रीकृष्ण की आरती  (Aarti Kunj Bihari Ki)

आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥ आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥ गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला 

श्रवण में कुण्डल झलकाला,नंद के आनंद नंदलाला गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली

लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती कुंजबिहारी की…॥ कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।

गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग,  मधुर मिरदंग ग्वालिन संग। अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की…॥ जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा।

स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस। जटा के बीच,हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥ ॥ आरती कुंजबिहारी की…॥< चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू 

चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू  हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद।

टेर सुन दीन दुखारी की श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की…॥ आरती कुंजबिहारी की

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥ आरती कुंजबिहारी की

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
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