Ujjain Raunak News: रामायण से बदल गया हिस्ट्रीशीटर का जीवन ! श्रवण कुमार बन शरीर की चमड़ी से बनाई मां की चप्पल
कलयुग का श्रवण कुमार
महाकाल (Mahakaal) की नगरी उज्जैन (Ujjain) से बेहद अजीबोगरीब मामला सामने आया है. एक कुख्यात हिस्ट्रीशीटर (Historysheeter) की ऐसी कहानी जिसने श्रवण कुमार (Shravan Kumar) की याद दिला दी. दरअसल जेल से जमानत पर बाहर आने के बाद अचानक उसके अंदर ऐसा हृदय परिवर्तन हुआ कि वह प्रभू की भक्ति में लीन हो गया. उन लोगों के लिए उदाहरण भी बन गया जो लोग अपने माता-पिता को अनाथालय छोड़ आते हैं चलिए आपको बताते हैं इस शख्स ने आखिर ऐसा क्या किया जिसकी तुलना श्रवण कुमार से की जा रही है.
हिस्ट्रीशीटर का हुआ हृदय परिवर्तन
उज्जैन नगरी (Ujjain) महाकाल नगरी के नाम से जाना जाता है यहां प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का धाम है जहां पर देश-विदेश से प्रतिदिन लाखों की संख्या में भक्तों का तांता लगा रहता है. इसी नगरी से ढांचा भवन में रहने वाले एक हिस्ट्रीशीटर रौनक गुर्जर (Raunak Gurjar) के आतंक का खौफ बहुत ज्यादा था.
अचानक उसके शरीर में हृदय परिवर्तन हुआ. जब उसका आतंक था तब तत्कालीन उज्जैन तेज़तर्रार एसएसपी अतुल की नजर जब रौनक गैंग पर पड़ी, उस वक्त इसका गिरोह (Gang) काफी सक्रिय हुआ करता था. यही नहीं पकड़ने के लिए रौनक गैंग पर इनाम भी घोषित किया गया.
रामायण से मिली सीख
एक दफा रौनक को पकड़ने में पुलिस को जवाबी फायरिंग भी करनी पड़ी जिसमें एक गोली रौनक के पैर में भी लगी थी इसके बाद आरोपित रौनक को गिरफ्तार करते हुए जेल भेज दिया गया इसके बाद वह जमानत पर रिहा हुआ. अचानक से उसकी बुद्धि व हृदय में परिवर्तन हुआ और कहते हैं यह सब प्रभू की लीला है और वह रामायण पाठ करने लगा, प्रभु की लीला और पूजन पाठ में लग गया धार्मिक वातावरण में उसका मन लगने लगा. रौनक खुद भी कहता है कि मुझे रामायण से काफी सीख मिली है.
शरीर की चमड़ी निकलवाकर बनवाई मां के लिए चप्पल
रौनक चर्चा में तब आया जब इसकी तुलना श्रवण कुमार से की जाने लगी. कई लोगों के लिए उदाहरण बनाकर रौनक ने एक ऐसा कार्य किया जो चर्चा का विषय बना हुआ है. आजकल कई जगह अक्सर देखा जाता है कि बच्चे जब बड़े हो जाते हैं तो अक्सर वह माता-पिता से दूरी बना लेते है या तो अनाथालय में छोड़ आते हैं या फिर उनकी केयर नहीं करते, लेकिन इंसानियत अभी बाकी है कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपने पुत्र धर्म को निभाते हैं. रौनक बिल्कुल बदल चुका था.
रामायण से उसे ऐसी सीख मिली कि उसका हृदय परिवर्तन हो गया रौनक ने घर के पास ही भागवत कथा शुरू कराई थी रौनक ने एक ऐसा कार्य किया जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी शायद यह उसके अंतरात्मा की आवाज कह रही थी उसने अपने शरीर की चमड़ी निकलवा कर अपनी मां के लिए चप्पल ने बनवा दी.
हो रही श्रवण कुमार से तुलना
यकीन कर पाना मुश्किल होगा पर उसने बताया कि रामायण से मैं प्रभवित हूँ, प्रभू ने मां प्रेम में कही एक बात उसके घर कर गयी. रौनक ने गुपचुप तरीके से अस्पताल जाकर अपनी जांघ की चमड़ी निकलवाकर मोची से उसी चमड़ी की चप्पल बनवा दी.
रौनक जब भागवत कथा में पहुंचा, जहां उसकी मां निरुला गुर्जर भी कथा सुन रही थी तभी उसने अपने जांघ की चमड़ी वाली, चरणपादुका अपनी मां को भेंट की. यह नजारा देख मौजूद भागवत कथा में लोगों के आंसू बहने लगे और लोगों ने इसकी तुलना श्रवण कुमार से करना शुरू कर दिया. रौनक की मां भी अपने बेटे के इस कार्य को देख अपने आंसू ना रोक पाई बेटे ने खुद ही अपनी मां को वह चरण पादुकाएं पहनाई.