Actor Dharmendra Biography: बॉलीवुड के हीमैन धर्मेंद्र का सफर, परिवार, करियर और विरासत जिन्होंने पूरे देश को मोह लिया
धर्मेंद्र का सोमवार को 89 साल की उम्र में निधन हो गया. छह दशक से अधिक लंबे करियर में उन्होंने 300 से अधिक फिल्मों में काम किया और हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े सुपरस्टार बने. पंजाब के एक गांव से निकलकर मुंबई पहुंचे धर्मेंद्र की जिंदगी संघर्ष, सफलता, परिवार और अद्भुत विरासत की अद्भुत दास्तां है.
Actor Dharmendra Biography: बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता धर्मेंद्र का सोमवार को उनके मुंबई निवास में निधन हो गया. सिने जगह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित तमाम लोगों ने दुःख व्यक्त किया. धर्मेंद्र का जीवन भारतीय सिनेमा का एक ऐसा अध्याय है जिसे भुलाया नहीं जा सकता. 1960 के दशक में करियर की शुरुआत करने वाले इस कलाकार ने एक्शन, रोमांस, कॉमेडी और ड्रामा जैसी हर विधा में अपनी छाप छोड़ी. वह सिर्फ सुपरस्टार नहीं थे बल्कि इंसानियत से भरा एक बड़ा दिल रखने वाले अभिनेता थे. उनका सफर, परिवार और संघर्ष आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा.
पंजाब से बॉलीवुड तक धर्मेंद्र की शुरुआती जिंदगी और संघर्ष

पंजाब यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने फिल्मफेयर की न्यू टैलेंट प्रतियोगिता जीती जिसके बाद वह अभिनय का सपना लेकर मुंबई आ पहुंचे. शुरुआती दिनों में संघर्ष इतना था कि कई रातें उन्होंने रेलवे स्टेशन पर बिताईं और कम पैसों में गुजारा किया. प्रोड्यूसर्स तक पहुंचने के लिए वह मीलों पैदल चलते, ताकि पैसे बचाकर खाना खा सकें. यही संघर्ष बाद में उनकी सफलता का मजबूत आधार बना.
अभिनय की शुरुआत और शुरुआती हिट फिल्में
धर्मेंद्र ने 1960 में ‘दिल भी मेरा हम भी तेरे’ से बॉलीवुड में कदम रखा. फिल्म ने खास कमाल नहीं किया, लेकिन उनके अभिनय ने दर्शकों का ध्यान खींचा. इसके बाद ‘शोला और शबनम’, ‘अनपढ़’, ‘बंदिनी’, ‘हकीकत’, ‘ममता’, ‘मेरे हमदम मेरे दोस्त’, ‘अनुपमा’, ‘आदमी और इंसान’ और ‘दो रास्ते’ जैसी फिल्मों ने उन्हें इंडस्ट्री में स्थापित कर दिया. शुरुआती एक दशक में ही उन्होंने खुद को एक गंभीर और कुशल कलाकार के रूप में साबित कर दिया था. उनका अभिनय और स्क्रीन प्रेजेंस उन्हें धीरे-धीरे सुपरस्टारडम की ओर ले जा रहा था.
सत्तर का दशक और धर्मेंद्र का सुपरस्टार बनना
सत्तर का दशक धर्मेंद्र के करियर की ऊंचाइयों का समय था. इसी दशक में उन्होंने सबसे अधिक लोकप्रियता पाई. हेमा मालिनी के साथ उनकी जोड़ी दर्शकों की पसंद बन गई. ‘सीता और गीता’, ‘तुम हसीन मैं जवान’, ‘राजा जानी’, ‘जुगनु’, ‘दोस्त’, ‘शराफत’, ‘पत्थर और फूल’, ‘चरस’, ‘चाचा भतीजा’ और ‘आजाद’ जैसी फिल्मों ने उनकी लोकप्रियता को चरम पर पहुंचा दिया.
इसी दौर में ‘शोले’ जैसी ऐतिहासिक फिल्म आई जिसमें उन्होंने वीरू का किरदार निभाया जो आज भी भारतीय सिनेमा का सबसे यादगार किरदार माना जाता है. ‘मेरा गांव मेरा देश’ जैसी फिल्मों में भी उनके अभिनय को खूब सराहा गया और वह बॉलीवुड के सबसे बड़े सुपरस्टार्स की सूची में शामिल हो गए.
धर्मेंद्र का पारिवारिक जीवन और उनकी दोनों शादियां
धर्मेंद्र का निजी जीवन हमेशा चर्चा में रहा. फिल्मों में आने से पहले बहुत कम उम्र में उनकी पहली शादी प्रकाश कौर से हुई थी. इस शादी से उनके चार बच्चे हुए जिनमें दो बेटे सनी देओल और बॉबी देओल तथा दो बेटियां अजीता और विजीता शामिल हैं. सनी और बॉबी दोनों बॉलीवुड के सफल अभिनेता बने, जबकि अजीता और विजीता हमेशा लाइमलाइट से दूर रहीं और अपने निजी जीवन पर केंद्रित रहीं.
बाद में साल 1980 में धर्मेंद्र ने अभिनेत्री हेमा मालिनी से दूसरी शादी की. इस शादी से उनकी दो बेटियां हुईं, एशा देओल और अहाना देओल. एशा ने कुछ वर्षों तक फिल्मों में काम किया जबकि अहाना ने अभिनय की दुनिया में कदम नहीं रखा और अपनी पारिवारिक जिंदगी में व्यस्त रहीं. दोनों शादियों से हुए ये छह बच्चे धर्मेंद्र की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं और परिवार आज भी बॉलीवुड के सबसे प्रतिष्ठित परिवारों में गिना जाता है.
एक्शन, कॉमेडी और बाद के दशकों का शानदार करियर
धर्मेंद्र को हिंदी सिनेमा का ही मैन इसलिए कहा गया क्योंकि वह अपने एक्शन दृश्यों को खुद करने पर जोर देते थे. उन्होंने कभी भी बॉडी डबल का सहारा नहीं लिया. एक फिल्म में उन्होंने असली चीते के साथ लड़ाई तक दी जिसने दर्शकों को हैरान कर दिया. उनके करियर में एक्शन फिल्मों की भरमार थी, लेकिन कॉमेडी में भी उनका अंदाज सबसे अलग रहा. ‘चुपके चुपके’ में उनका मासूम और हास्य से भरा किरदार आज भी लोगों को हंसाता है.
80 और 90 के दशक में उन्होंने कैरेक्टर रोल्स में काम किया और ‘लाइफ इन ए मेट्रो’, ‘अपने’, ‘प्यार किया तो डरना क्या’ और ‘जॉनी गद्दार’ जैसी फिल्मों में दमदार भूमिकाएं निभाईं. 2023 में ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में उनकी वापसी ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया. इसके बाद 2024 में वह ‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’ में नजर आए. उनकी फिल्म ‘इक्कीस’ 2025 में रिलीज होने वाली है जिसे संभवत उनकी अंतिम फिल्म माना जा रहा है.
किस्से, रिश्ते और स्टारडम के पीछे का इंसान धर्मेंद्र
सुपरस्टार होने के बावजूद धर्मेंद्र का दिल हमेशा विनम्रता से भरा रहा. रेलवे क्लर्क की नौकरी से फिल्मी दुनिया में आए इस कलाकार ने हमेशा अपने संघर्ष को याद रखा. शशि कपूर द्वारा घर बुलाकर खिलाया खाना हो, दिलीप कुमार को बड़े भाई की तरह सम्मान देना हो या गोविंदा की मुश्किल समय में मदद करना, ऐसे कई किस्से उनके मानवीय रूप को उजागर करते हैं. मीना कुमारी के साथ उनकी दोस्ती और शायरी के प्रति रुचि भी अक्सर चर्चाओं में रही. फिल्मों की दुनिया में इतने बड़े स्टार होने के बावजूद परिवार के प्रति उनका जुड़ाव हमेशा गहरा रहा.
अभिनेता से संसद तक का सफ़र
फिल्मों में अपार सफलता हासिल करने के बाद धर्मेंद्र ने सार्वजनिक जीवन में कदम रखते हुए राजनीति का रास्ता चुना. भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें 2004 के लोकसभा चुनाव में राजस्थान की बाड़मेर जैसलमेर संसदीय सीट से उम्मीदवार बनाया.
धर्मेंद्र ने यह चुनाव बड़ी जीत से जीता और संसद पहुंचे. हालांकि वह संसदीय गतिविधियों में बहुत सक्रिय नहीं रहे, लेकिन उनके चुनाव जीतने ने यह साबित किया कि उनकी लोकप्रियता केवल सिनेमा तक सीमित नहीं थी, बल्कि जनता के बीच भी उनका सम्मान बेहद ऊंचा था. संसद के अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने सदन की कार्यप्रणाली पर कुछ स्पष्ट और विवादित बयान भी दिए, जो उस समय सुर्खियों का विषय बने. राजनीति में उनका सफर लंबा नहीं रहा, लेकिन यह उनकी बहुआयामी व्यक्तित्व की एक महत्वपूर्ण झलक थी.
अवॉर्ड्स, उपलब्धियां और अमर विरासत
धर्मेंद्र के योगदान को लेकर कई बड़े सम्मान उन्हें मिले. साल 2012 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया. उनकी प्रोड्यूस की हुई फिल्म ‘घायल’ को 1990 में नेशनल अवॉर्ड मिला और 1991 में इसे बेस्ट फिल्म का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी दिया गया.
1997 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला. छह दशक तक चले करियर में उन्होंने करीब 300 फिल्मों में काम किया. उनका जादू, उनकी सादगी और उनका अभिनय हमेशा भारत के लोगों के दिलों में जिंदा रहेगा.
