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Dhaniram Mittal News: एक ऐसा चोर जो बन बैठा था जज ! कौन है ये शातिर धनीराम मित्तल, जिसे कहते हैं इंटरनेशनल चोर

Dhaniram Mittal News: एक ऐसा चोर जो बन बैठा था जज ! कौन है ये शातिर धनीराम मित्तल, जिसे कहते हैं इंटरनेशनल चोर
धनीराम मित्तल, image credit original source

धनीराम मित्तल

अपराध जगत में कई बड़े नाम शामिल हैं जिनके कारनामे आज तक चर्चित हैं. एक ऐसा नाम जिसने 5 दशकों तक अपराध जगत में बड़ा नाम कमाया. अपने शातिराना दिमाग का प्रयोग कर 1000 से ज्यादा वाहन चोरी, जालसाजी, फर्जी दस्तावेज के साथ रेलवे में नौकरी समेत बड़े-बड़े कांड किये. यही नहीं 2 महीने तक जज की कुर्सी भी सम्भाली और 40 दिनों में न जाने कितनों को जमानत दे दी और न जाने कितनों को सजा. चलिए आपको बताएंगे कि आखिर यह शातिर चोर कौन था जिसके चोरी के चर्चे पूरे देश में है.

धनीराम मित्तल का चोरी करने का तरीका अनोखा

हरियाणा (Hariyana) का ये शातिर चोर धनीराम मित्तल (Dhaniram Mittal) जिसके बचपन से ही इरादे कुछ अलग ही थे. जुर्म (Crime) की दुनिया मे धनीराम मित्तल बड़ा नाम बन गया था. हरियाणा के भिवानी में 1939 में धनीराम का जन्म हुआ था.

धनीराम पढ़ने-लिखने में काफी तेज रहा. जब नौकरी में सफलता नहीं मिली तो उसका जरायम की दुनिया में कदम रखने का सिलसिला शुरू हुआ, देखते ही देखते धनीराम मित्तल नटवरलाल के रूप में जाना जाने लगा. हज़ारों वाहन चोरी हो या फिर नकली जज बनकर लोगों को रिहा करने का मामला सभी में ये शख्स चर्चा का केंद्र बन गया.

जुर्म की दुनिया का दूसरा चार्ल्स शोभराज

पुलिस के पुराने अफसरों की माने तो धनीराम मित्तल जैसा शातिराना दिमाग शायद ही किसी के पास हो. खास बात यह कि धनीराम दिन में चोरी की वारदात को अंजाम देता था. एक हज़ार तो उसने वाहन ही चुराए. 5 दशक तक अपराध जगत का बेताज बादशाह बन चुका धनीराम का हर एक वारदात का तरीका बड़ा ही अनोखा और शातिराना था. शायद ही आज तक इस तरह से कोई चोर वारदात को अंजाम दे पाया हो. जुर्म की दुनिया का धनीराम दूसरा चार्ल्स शोभराज है.

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धनीराम मित्तल, image credit original source

काफी पढ़ा लिखा था धनीराम, वाहन चोरी करना नहीं छोड़ा 

धनीराम पढा लिखा था. एलएलबी की पढ़ाई की. हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की ट्रेंनिंग ली यही नहीं ग्राफोलॉजी की डिग्री भी हासिल करी. इतना सब कुछ किया फिर भी चोरी करता रहा. आरटीओ ऑफिस में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वाला कार्य किया. जब इस काम से उसका मन भर गया तो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रेलवे में 1968-74 तक बतौर स्टेशन मास्टर के पद पर नौकरी किया.

इससे मन नहीं भरा तो स्टेशन मास्टर की नौकरी छोड़ कर दिल्ली चला गया और गाड़ियों की चोरी करने लगा. गाड़ियों को चुराकर फर्जी कागज तैयार करता और उसे आगे बेंच देता था. यह सभी वारदात जब वह 25 साल का था तब उसने शुरू किया. कई बार जेल भी गया लेकिन जेल तो जैसे उसके लिए घर हो चुका था. उसने अपना ट्रेंड नहीं बदला. 94 मामलों में गिरफ्तार हुआ.

एक बार वाहन चोरी के मामले में पुलिस उसे कोर्ट लायी तो जज उसे कोर्ट के बाहर ही पहचान गए. उन्होंने धनीराम से कहा कि तुम कोर्ट से बाहर जाओ. फिर क्या उसका दिमाग चला और इसके बाद उसने पुलिस वालों के साथ चाय पी. पुलिस वालों से कहा कि दो मिनट में आ रहा हूं और मौका देख वहां से गायब हो गया. आख़री बार उसे 2016 में दिल्ली से गिरफ्तार किया गया उसपर तीन गाड़ियों को चुराने का आरोप था.

40 दिन तक फर्जी जज बनकर किया काम

वर्ष 1980 की बात है जब चोरी करते-करते वह बोरियत महसूस करने लगा तो उसने कुछ नया प्लान बनाया. अबकी जो प्लान था उसकी वजह से वह चर्चाओं में आया. उसने अखबार में पढ़ा की झज्जर कोर्ट के जज की जांच चल रही है. उसने अपना दिमाग लगाया और फर्जी कागजातों की बिनाह पर पत्र लिखकर उसने झज्जर कोर्ट के एडिशनल सेशल जज को तकरीबन दो महीने की छुट्टी पर भेज दिया और फिर खुद जज की कुर्सी पर विराजमान हो गया. इसके बाद तो उसने न जाने कितने को रिहा कर दिया और कितनो को सजा दी. 40 दिन के अंदर 2470 केस की सुनवाई की.

जब धनीराम बन गया इंटरनेशनल चोर

कुछ दिन बाद जब यह मामला खुला इसके बाद धनीराम की भी चोरी पकड़ी गई लेकिन तब तक उसके इस शातिर दिमाग की पूरी दुनिया में चर्चा हो चुकी थी और उसे इंटरनेशनल चोर भी बना दिया गया. वो पकड़ा गया और कई साल जेल में रहा. जानकारी के मुताबिक बीमारी की वजह से उसे ज़मानत पर रिहा भी किया गया.

जुर्म की दुनिया का बेताज बादशाह धनीराम मित्तल की कुछ दिन पहले 85 साल की उम्र में हार्ट अटैक के चलते निधन हो गया. दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ में कई वाहन चोरी की घटनाओं का अंजाम दिया था. 1000 वाहन चोरी, 94 बार पुलिस द्वारा गिरफ्तारी की गई थी. इसके साथ ही जालसाजी के 150 मामले दर्ज थे धनीराम ने वकालत की पढ़ाई की थी वह अपने केस की खुद ही पैरवी करता था.

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