फतेहपुर:इंजीनियर हत्याकांड-बहुत कुछ जानते हुए भी..सब कुछ बताने में झिझक रहे जीएमआर के अधिकारी.?गोल गोल चक्कर काट रही पुलिस.!
इंजीनियर अजय कुमार की हत्या को पूरे 48 घण्टे से ज्यादा का समय हो चुका है,लेक़िन पुलिस के हाँथ अब तक कोई ठोस सबूत या सुराग नहीं लग पा रहा है..पढ़े इंजीनियर हत्याकांड पर कुछ नए पहलुओं के साथ युगान्तर प्रवाह की फॉलोअप रिपोर्ट।
फतेहपुर: इंजीनियर अजय कुमार की बीते मंगलवार को हुई सनसनीखेज हत्या में वारदात के क़रीब 48 घण्टे बाद भी पुलिस के हाँथ कुछ ठोस सबूत नहीं लग पाया है।ज़िले की पुलिस के आला अफसरों की इस हत्याकांड के बाद से नींद उड़ी हुई है।पुलिस के ऊपर घटना के खुलासे को लेकर दबाव बढ़ता जा रहा है चूंकि मामला रेलवे के दोहरीकरण के काम को सुपरविजन करने वाली शिस्ट्रा कम्पनी के एक इंजीनियर से जुड़ा हुआ है। साथ ही जिस तरह से बेख़ौफ़ अंदाज में बीच सड़क दिनदहाड़े बदमाशों ने इस घटना को अंजाम देकर जिले की पुलिस को खुली चुनौती दी है।उसको लेकर भी ज़िले की पुलसिंग व्यवस्था पर कई सवाल खड़े हो गए हैं।
हालांकि मामले की गम्भीरता को देखते हुए एडीजी प्रयागराज ने घटना वाले दिन ही मौक़े-ए-वारदात पर पहुंचकर पूरे घटनाक्रम का बारीकी से परीक्षण कर केश को जल्द से जल्द खोलने के निर्देश पुलिस अधीक्षक को दिए हैं।जिसके बाद पुलिस अधीक्षक ने इस केश के खुलासे के लिए कई पुलिस टीमों का गठन कर तेज़ी से जाँच पड़ताल शुरू कर दी है।पुलिस की टीमें ज़िले के साथ अगल-बगल के जिलों में भी पहुंच हमलावरों की खोज के लिए पूछताछ कर रही हैं लेक़िन अब तक नतीजा सिफर ही रहा है।
जीएमआर प्लांट के चक्कर काट रही पुलिस...
एकारी रेलवे नाका के पास बने हुए जीएमआर प्लांट पर पहुंच पुलिस वहाँ मौजूद कम्पनी के अधिकारियों व कर्मचारियों से कई बार पूछताछ कर चुकी है।पुलिस की एक टीम गुरुवार शाम एक बार फिर प्लांट में पूछताछ करने के लिए पहुंची। पुलिस टीम के साथ ड्राइवर महेंद्र उर्फ श्यामू भी था जो घटना वाले दिन उसी बोलेरो को ड्राइव कर रहा था जिसमें इंजीनियर अजय कुमार बैठे हुए थे।और उनकी हत्या बिलन्दा अतरहा मार्ग पर अज्ञात हमलावरों द्वारा कर दी गई थी।आपको बता दे कि इस हत्याकांड के बाद से ही पुलिस लगातार बोलेरो चालक महेंद्र उर्फ श्यामू से पूछताछ कर रही है।
दूसरी ओर जीएमआर प्लांट पर मौजूद अधिकारी व कर्मचारी इस मामले में पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं और कुछ भी बताने से बच रहे हैं।जबकि सूत्रों की माने तो जीएमआर कम्पनी के एकारी रेलवे प्लांट में कार्यरत अधिकारी व कर्मचारियों डर व दहशत के मारे कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।जबकि ऐसा माना जा रहा है कि इंजीनियर की हत्या एक बारगी नहीं हुई है कंही न कंही इस हत्या की बू बहुत पहले एकारी प्लांट में ही महशूस की गई होगी।गौरतलब है कि शिस्ट्रा कम्पनी के इंजीनियर अजय कुमार रेलवे के हो रहे दोहरीकरण के अंतर्गत बन रहे ब्रिजों के सुपर विज़न का काम करते थे और कई बार मानकों पर खरा न उतरने पर ब्रिजों को रिजेक्ट कर देते थे जिससे ठेकेदारों के अंदर इस बात को लेकर कंही न कंही गुस्सा जरूर रहता रहा होगा।
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अब ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि क़रीब 8 महीने पहले एकारी में बने प्लांट में नियुक्त हुए इंजीनियर अजय कुमार का क्या एक बार भी ठेकेदारों से किसी मामले को लेकर कहासुनी नहीं हुई है ऐसा तो बिल्कुल भी नही हो सकता है।और यदि ठेकेदारों व इंजीनियर अजय कुमार के बीच कुछ विवाद या कहा सुनी पहले हुई है तो क्या इसकी जरा सी भी भनक जीएमआर के जिम्मेदार अधिकारियों को नहीं लगी है।ऐसी भी संभावना नगण्य है।जिसके चलते पुलिस भी उसी जीएमआर प्लांट के चक्कर पर चक्कर काटे जा रही है।जिसमें रोज की तरह घटना वाले दिन भी इंजीनियर अजय कुमार अपना काम करने के लिए जा रहे थे।
सेक्शन 202 में कुल 21 कांट्रेक्टरो ने ले रखा है काम...
जीएमआर कम्पनी के एकारी रेलवे प्लांट में तैनात एच आर सतीश द्विवेदी ने बताया कि जिस ट्रैक पर यह प्लांट आता है उसे सेक्शन 202 का नाम दिया गया है और यह सेक्शन मूरतगंज से सरशौल तक का है।उन्होंने बताया कि इस सेक्शन के मूरतगंज से सरसौल तक के हो रहे दोहरीकरण के काम मे कुल 21 ठेकेदारों को जीएमआर कंपनी ने काम कराने का ठेका दे रखा है।सतीश ने बताया कि इसके लिए जीएमआर के कुल 27 इंजीनियर और भारत सरकार द्वारा सुपरविजन के लिए शिस्ट्रा कम्पनी के चार इंजीनियर नियुक्त हैं।जिनमें से शिस्ट्रा कम्पनी के इंजीनियर अजय कुमार की अब हत्या हो चुकी है।
पुलिस अब इन 21 ठेकेदारों से पूछताछ कर हत्या के सुराग तलाशने में जुटी हुई है।