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Rajeshwaranand Biography In Hindi: कथावाचक राजेश्वरानंद जी के अंदर छिपी थी अद्भुत प्रतिभा ! रामकथा कहते तो सब हो उठते आनंदित, जानिए कौन थे राजेश्वरानंद जी (रामायणी)?

परमपूज्य प्रसिद्ध रामकथा वाचक राजेश्वरानंद जी (Rajeshwranand ji) की राम कथाएँ (Ram Katha) देश ही नहीं विदेशों तक प्रसिद्ध हैं. उनकी रामकथाएं सुनाने का तरीका व भजन का रसपान कर लोग आनंदित हो जाया करते थे. हालांकि ये मधुर आवाज अब हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनकी कथाएं आज भी लोगों के जीवन में प्रेरणा का काम करती है. पूज्य मुरारी बापू इन्हें अपना भाई जैसा ही मानते थे.

Rajeshwaranand Biography In Hindi: कथावाचक राजेश्वरानंद जी के अंदर छिपी थी अद्भुत प्रतिभा ! रामकथा कहते तो सब हो उठते आनंदित, जानिए कौन थे राजेश्वरानंद जी (रामायणी)?
परमपूज्य कथावाचक राजेश्वरानंद जी, फोटो साभार सोशल मीडिया
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राजेश्वरानंद जी की रामकथाएं सुन आज भी निकल पड़ते हैं आंसू

हमारे देश में कई ऐसे सुप्रसिद्ध कथावाचक (StoryTeller) हैं और रहे हैं. जिनकी रामकथाओं (Ram katha) को सुनकर लोग अपने आपको ऊर्जावान महसूस करते रहे हैं. ऐसे ही एक और कथावाचक जिनकी राम कथाओं को सुन लोगों को आज भी बड़ी प्रेरणा मिलती है. ये कथावाचक राजेश्वरानंद जी उर्फ राजेश रामायणी थे. जिनका निधन वर्ष 2019 में हो गया था. कहा जाता है इनकी कथाओं को सुनकर लोग अपने आंसू नहीं रोक पाते थे.

इनकी रामकथाएं देश और विदेश में विख्यात थी. कहा जाता है जब राजेश्वरानंद जी रामकथा या भजन सुनाने बैठते थे, पंडाल में बैठे लोग खुशी से झूम उठते थे. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) भी रामायणी जी की कथा से काफी प्रभावित थे. जबकि परमपूज्य मुरारी बापू (Morari Bapu) इन्हें अपना भाई जैसा ही मानते थे.

कौन थे राजेश्वरानंद (Who is Rajeshwaranand) ?

प्रसिद्ध कथावाचक राजेश्वरानंद जी (Rajeshwaranand Ji) उत्तर प्रदेश के जालौन (Jalaun News) जिले से आते थे. इनका जन्म 22 सितंबर 1955 को पचोखरा (Pachokhra) गांव में हुआ था. इनके पिता अमरदान शर्मा भी भजन गायक थे, जबकि माता शांति देवी की भी पूजन-पाठ में विशेष रुचि थी. वर्ष 1967 में राजेश्वरानंद जी की पढ़ाई नेरो जूनियर हाई स्कूल से हुई थी.

उनकी अद्भुत प्रतिभा को स्कूल में ही पहचान लिया गया था. जिसे उनके शिक्षकों ने पहचाना था. दरअसल हिंदी और संस्कृत पाठ्यक्रम में दिए गए भजन और रामायण, पद की चौपाइयों को इतने मधुर अंदाज में सुनाया करते थे कि मौजूद शिक्षक और छात्र उनकी इस प्रतिभा के मुरीद हो गए थे. ये कह सकते है कि उन्हें भजन व पद अपने आप ही कंठस्थ हो जाया करते थे.

देश-विदेश में उनकी कथाएं थी प्रसिद्ध

वे गृहस्थ थे उनके एक पुत्र और एक पुत्री है. पुत्री अब रामकथा कहती हैं. स्नातक करने के बाद वे अपने गुरु अविनाशी राम के साथ उनके साथ सहयोग में जुट गए. बाल्यकाल के दौरान रामकथा लोगों को सुनाते रहे. धीरे-धीरे उनकी राम कथाएं और हनुमंत कथा लोगों के दिलों में बसना शुरू हो गईं. उन्हें देश और विदेशों में भी रामकथा कहने के लिए बुलाया जाने लगा.

कहा जाता है उनपर हनुमान जी की ऐसी कृपा थी कि जब राम कथा सुनाना शुरू करते थे, पंडाल में राम कथा सुन रहे लोग उनकी कथाओं के दीवाने हो जाते थे. ऐसा इसलिए भी रामायण की चौपाइयां व बड़े ग्रन्थों में उनका अर्थ और उसके अंदर जो कहानियां-प्रसंग निकलकर आते थे आजतक उन्हें लोग जान ही नहीं सके. उनके कथा सुनाने का तरीका बहुत ही सरल था. 

मुरारी बापू मानते थे भाई (Morari Bapu Rajeshwaranand Maharaj)

मुरारी बापू भी इनकी कथाएं बहुत अच्छी लगती थीं वे इन्हें अपना भाई मानते थे. स्वर्गीय भजन गायक विनोद अग्रवाल जी भी इनके लिखे गए भजनों को गाया करते थे. संत मंडली के लोग इन्हें राजेश रामायणी भी कहते थे. महाराज जी की वाणी में अलग प्रतिभा थी उनकी राम कथा व अन्य प्रेरक प्रसंग व कहानियां सुन लोग भावुक हो जाते थे. आखिरकार महाराज जी की आखिरी आवाज छत्‍तीसगढ़ में सुनी गई. वहाँ अपने एक भक्‍त के कहने पर कथा के लिए गए थे, 10 जनवरी 2019 को ह़दय गति रूकने से उनका निधन हो गया. अब लोग उनकी कथाओं को यूट्यूब पर सुनकर जीवन को प्रगतिशील बना रहे हैं.

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