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Premanand Maharaj: भंडारा रास्ते में मिल जाए तो क्या करना चाहिए ! ग्रहण करें या नहीं, प्रेमानन्द महाराज ने बतायी ये बात

मथुरा-वृंदावन (Mathura-Vrindavan) वाले प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) जी के मोटिवेशनल (Motivational) और सकारात्मक संदेश (Positive Message) हर किसी के दिल को छू लेते हैं. देश-विदेश से लोग उनके आश्रम पहुंचते हैं. सेलिब्रिटीज, क्रिकेटर्स और राजनेता भी प्रेमानंद महाराज जी के दर्शन के लिए वृंदावन पहुँचते हैं. सत्संग के दौरान भक्तों के कई सवालों के जवाब बेहद शांत और आसानी से सरल भाषा में देते हैं. एक भक्तों ने सवाल किया क्या रास्ते में कहीं भंडारा (Bhandara) या कोई फ्री में खाना दे रहा हो तो क्या खाना चाहिए जिस पर प्रेमानंद महाराज जी ने ऐसा जवाब दिया है.

Premanand Maharaj: भंडारा रास्ते में मिल जाए तो क्या करना चाहिए ! ग्रहण करें या नहीं, प्रेमानन्द महाराज ने बतायी ये बात
प्रेमानन्द महाराज जी, image credit original source

प्रेमानन्द महाराज के सत्संग के दौरान भक्त ने किया ये सवाल

मथुरा-वृंदावन (Mathura-vrindavan) वाले प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) जी को कौन नहीं जानता सोशल मीडिया पर उनको लाखों लोग फॉलो करते हैं. यही नहीं भक्तों के सवालों के हर जवाब को बड़े ही शांतिपूर्ण ढंग से और सरल भाषा में देते हैं. उनके द्वारा बताई गयी हर बात को लोग फॉलो करते हैं. जिससे उनके जीवन में नई दिशा मिलती है और वह सकारात्मक कार्य की ओर आगे बढ़ते हैं. प्रेमानंद महाराज जी के से दर्शन करने आए एक भक्त ने सवाल पूछा की महाराज जी क्या रास्ते में कहीं भी कभी भंडारा का प्रसाद (Bhandara prasad) मिल रहा हो या कोई मुफ्त में खाना खिला रहा हो तो क्या उसे ग्रहण करना चाहिए.

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भण्डारे ग्रहण करें या नहीं, image credit original source

भंडारा ग्रहण करें या नहीं

रास्ते में कहीं भी भंडारा मिलता दिख जाए तो ग्रहण करना चाहिये या नहीं जिस पर प्रेमानंद महाराज बहुत ही सहजता से जवाब देते हैं. उनका कहना है यह गलत है इससे आप अपना पुण्य क्षीण कर रहे हैं यदि दूसरे से पैसा ले रहे हैं या दूसरे का भोजन कर रहे तो यह गलत है. उन्होंने सीधा-सीधा कहा कि घर जाकर नमक रोटी खा लेना और व्रत रखकर परिक्रमा कर लेना लेकिन किसी दूसरे का भोजन नहीं खाना चाहिए. इससे आपके पुण्य क्षीण हो जाते हैं.

मेहनत से कार्य करें, गृहस्थ विशेष रूप से दे ध्यान

कहीं दूध, हलवा या चाय बट रही हो तो उसे मुफ्त में नहीं ग्रहण करना चाहिए. कुछ ऐसा करें जिससे आपके पुण्य में वृद्धि हो. मेहनत करें, अपनी मेहनत के बल पर आप भी कुछ भी भंडारे स्वरूप में 5 किलो हलवा बनवा कर बंटवाये. जब आप अपने दम पर यह कार्य करेंगे तो आपके पुण्य में वृद्धि होगी अपने दम पर और मेहनत से जो कार्य किया जाता है उसमें सफलता निश्चित मिलती है. बताया कि यदि आप गृहस्थ हैं और आप किसी आश्रम में जाकर यदि भोजन ग्रहण करते हैं तो वहां कुछ रूपयो का दान कर सकते हैं. मुफ्त में कोई भी चीज नहीं लेनी चाहिए. भोजन मुफ्त में नहीं और न ही मुफ्त में सेवा लेनी चाहिए. यदि आप विरक्त है तो भगवान जैसे भी चलाएं, और यदि आप गृहस्थ हैं तो उसमें सुधार कर ले.

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