Pataleshwar Shiv Temple : जानिए इस अनोखे शिव मंदिर के बारे में, जहां शिवलिंग पर चढ़ाई जाती है झाड़ू-कुष्ठ रोगों से मिलती है मुक्ति
उत्तर प्रदेश का एक ऐसा अनोखा शिव मंदिर जहां शिवलिंग पर झाड़ू चढ़ाई जाती है.यह मंदिर मुरादाबाद जिले के बीहजोई गांव में स्थित है.जिसे पतालेश्वर शिव मंदिर कहते हैं.भक्तों की ऐसी आस्था है और यहां की मान्यता भी है कि ,शिवलिंग पर झाड़ू चढ़ाने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और त्वचा रोगों से मुक्ति मिलती है.
हाईलाइट्स
- मुरादाबाद के बीहजोई में पतालेश्वर शिव मंदिर की अनोखी मान्यता
- इस शिव मंदिर में चढ़ाई जाती है झाड़ू,त्वचा रोग से मिलता है छुटकारा
- दूर दूर से आते हैं भक्त,दूध के अभिषेक के साथ अर्पित करते हैं सीक वाली झाड़ू
There is unique Shiva temple in Moradabad : शिव मंदिरों का रहस्य और मान्यताएं अपने आप में अद्भुत हैं.सावन मास में शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है.उत्तर प्रदेश में ही कई ऐसे रहस्यमयी और चमत्कारी शिव मंदिर हैं,जिनके दर्शन का विशेष महत्व है.आज हम बताने जा रहे हैं, एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में, जो अपने आप में रहस्यमयी के साथ अनोखा भी है.अब आप सोच रहे होंगे ऐसी क्या अनोखी बात है.चलिए आपको इस शिव मंदिर की मान्यता के बारे में बताते हैं..
150 वर्ष पुराने इस शिव मंदिर की अद्भुत और अनोखी मान्यता
घर पर या मंदिरों में शिव शंकर के दर्शन करने मात्र से ही नई ऊर्जा का संचार होता है.सावन मास में शिवालयों में भक्तों का तांता लगा हुआ है.देश में कई ऐसे रहस्यमयी शिव मंदिर हैं, जिनकी विशेष मान्यता है.उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के बीहजोई गांव में पातालेश्वर शिव मंदिर है.मन्दिर करीब 150 वर्ष पुराना बताया जाता है.यहां दूर-दूर से भक्त सावन मास में दर्शन के लिए पहुंचते है.आमदिनों में भी यहां भक्तों की भीड़ बनी रहती है.
यहां दूध, जल और पुष्प के साथ चढ़ाई जाती है झाड़ू
यहां खास बात यह है कि भक्त शिवलिंग पर दूध,जल के साथ ही सीक वाली झाड़ू भी साथ लाते हैं. मान्यता है कि यहां झाड़ू चढ़ाने का विशेष महत्व है. यहां भक्त सीक वाली झाड़ू बाबा को अर्पित करते हैं.भक्तों का मानना है कि ऐसा करने से बाबा प्रसन्न होते हैं और शरीर के त्वचा रोगों से मुक्ति मिलती है.यह शिव मंदिर काफी प्रसिद्घ है.गांव की ये प्रथा सालों से चली आ रही है.
झाड़ू स्पर्श से व्यापारी का ठीक हो गया था त्वचा रोग
इसी गांव में एक व्यापारी भिखारीदास रहता था.व्यापारी धनाढ्य था.बस एक समस्या थी उसे त्वचा सम्बन्धी बीमारी थी.एक दिन वह इसी मन्दिर में जल पीने आया,और मन्दिर परिसर में झाड़ू लगा रहे पुजारी से टकरा गया.जिसके बाद उसका रोग ठीक होने लगा.इस बात से प्रसन्न होकर व्यापारी ने महंत से कहा कि आपको क्या चाहिए,जिसपर पुजारी ने कहा कि आप मन्दिर बनवा दें.बस तबसे आसपास के गांव और क्षेत्र में तबसे झाड़ू चढ़ाने की प्रथा बन गई. धीरे-धीरे प्रदेश भर से भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंचने लगे.भक्त लाइनों में घण्टों खड़े रहकर शिवलिंग के दर्शन करते हैं और झाड़ू चढ़ाते हैं.