Please enable JavaScript to support our website by allowing ads.

Omkareshwar Mamleshwar Jyotirlinga : सावन स्पेशल-गर्भगृह में शिव जी और पार्वती माता शयन से पूर्व खेलते हैं चौसर,जानिए ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का पौराणिक महत्व

Omkareshwar Mamleshwar Jyotirlinga : सावन स्पेशल-गर्भगृह में शिव जी और पार्वती माता शयन से पूर्व खेलते हैं चौसर,जानिए ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का पौराणिक महत्व
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की अद्धभुत महिमा,नर्मदा तट पर है ये चतुर्थ ज्योतिर्लिंग

Omkareshwar Mamleshwar Jyotirlinga : हर-हर महादेव का उद्घोष पवित्र श्रावण मास में गूंज रहा है.हर कोई शिव शम्भू के रंग में रमा हुआ है.देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग जो एमपी के खंडवा जिले में चतुर्थ ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है.यहां ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के तट पर दो स्वरूपों में मौजूद है एक ओंकारेश्वर तो दूसरा ममलेश्वर दोनों एक ही स्वरूप माने जाते हैं ,भक्तों को ओंकारेश्वर के बाद ममलेश्वर के दर्शन अवश्य करने चाहिए तभी यहां के दर्शन पूर्ण माने जाते हैं.


हाईलाइट्स

  • चतुर्थ ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी तट पर मन्धाता पर्वत पर ओंकारेश्वर की अद्धभुत है महिमा
  • ओंकारेश्वर और ममलेश्वर दो स्वरूप है इस ज्योतिर्लिंग के,दोनों के करें दर्शन
  • एमपी के इंदौर से 77 किलोमीटर दूरी पर है ओंकारेश्वर,सोमवार को विशेष महत्व

Omkareshwar Mamleshwar Jyotirlinga : श्रावण मास के दिनों में 12 ज्योतिर्लिंगों के जो नाम लेकर जप करता है,उसके सभी कष्टों का निवारण होता है. चौथा ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर हैं.सावन के दिनों में भक्तों की अपार भीड़ उमड़ती है.सोमवार के दिन का तो बड़ा ही विशेष महत्व रहता है.नर्मदा नदी के तट पर ओंकारेश्वर मन्दिर और दक्षिण तट पर ममलेश्वर है.यहां भगवान शिव दो स्वरूप में विराजमान हैं. नर्मदा नदी और मन्धाता पर्वत में ॐ जैसा आकार बनता है. तभी से इस ज्योतिर्लिंग को ओंकारेश्वर कहा जाने लगा.

यहां की शयन आरती का विशेष महत्व है गर्भगृह में शयन आरती के बाद चौसर की बिसात लगाई जाती है. चलिए युगान्तर प्रवाह आज आपको चतुर्थ ज्योतिर्लिंग के दर्शन के साथ ही पौराणिक महत्व,इतिहास व क्या मान्यता है इसके बारे में बताएंगे.

नर्मदा नदी की अविरल निर्मल धारा और विशाल पर्वत पर है ये ज्योतिर्लिंग

मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में है देश का चौथा ज्योतिर्लिंग जिसे सभी ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग कहते हैं.यह ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के तट पर स्थित है. यहां ख़ास बात यह है कि पर्वत और नर्मदा नदी का आकार देख ॐ की आकृति बनती है.तभी से नाम पड़ा ओंकारेश्वर.यहां से इंदौर शहर करीब 77 किलोमीटर की दूरी पर है. 

Read More: पितृ पक्ष 2025: नमक, तेल से लेकर झाड़ू तक, इन चीजों की खरीदारी से बचें वरना लग सकता है पितृ दोष

राजा मन्धाता से भी जुड़ा है यहां का महत्व

Read More: हरतालिका तीज व्रत कथा हिंदी PDF: शिव-पार्वती के दिव्य मिलन की पौराणिक कथा l Hartalika Teej Vrat Katha Lyrics

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इक्ष्वाकुंश राजा मन्धाता हुआ करते थे.भगवान शिव की कठोर तपस्या करने वाले मन्धाता शिव जी की सच्चे ह्रदय भाव से आराधना करते थे.उनकी तपस्या से शिव जी प्रकट हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया. राजा ने भगवान से वही विराजने का आग्रह किया तबसे शिव जी शिवलिंग रूप में वहीं पर स्थापित हो गए.

Read More: 7 सितंबर से पितृपक्ष 2025: भाद्रपद पूर्णिमा पर लगेगा चंद्रग्रहण, सूतक से पहले क्यों जरूरी है श्राद्ध?

शयन आरती के बाद गर्भगृह में भगवान और माता खेलते हैं चौसर

यहां गर्भ गृह में आरती के बाद हर दिन चौसर की बिसात सजाई जाती है, कहा जाता है भगवान शिव और माता पार्वती यहां आकर चौसर खेलते हैं.वहीं सुबह जब गर्भगृह के पट खुलते हैं, तो चौसर के पासे उल्टे मिलते हैं.इसका रहस्य आजतक कोई नहीं जान सका.मन्धाता पर्वत पर बसे इस ज्योतिर्लिंग की अद्भुत महिमा है.यहां पर्वत के चारो ओर नर्मदा और कावेरी नदी बहती है.

कुबेर से भी जुड़ा है पौराणिक महत्व

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास कुबेर से भी जुड़ा हुआ है.कहा जाता है कि कुबेर ने इसी पर्वत पर शिव जी की कठोर तपस्या की.जिससे प्रसन्न होकर शिव जी ने कुबेर को धन का देवता बना दिया.इतना ही नहीं कुबेर के स्नान के लिए जटाओं से भोलेनाथ ने कावेरी नदी को उतपन्न किया था. 

यहां दोनों नदियों का संगम भी होता है.सावन में इस ज्योतिर्लिंग का नाम जपने मात्र से ही व्यक्ति का कल्याण हो जाता है.

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे

ओंकारेश्वर जाने के लिए कई सुविधाएं उपलब्ध हैं.आप अपने निजी वाहन से भी जा सकते हैं.यह ज्योतिर्लिंग एमपी के इंदौर से 77 किलोमीटर की दूरी पर है.फ्लाइट के लिए इंदौर के अहिल्याबाई होल्कर एयरपोर्ट पर उतरकर टेक्सी सेवा या बस सेवा ले सकते हैं. अपने निजी वाहन से भी जा सकते हैं. यहां ठहरने के उचित रेट्स पर छोटे व बड़े होटल व धर्मशालाएं हैं.

Latest News

Fatehpur News: फतेहपुर में श्री अन्न रेसीपी प्रतियोगिता और तिलहन मेला सम्पन्न, चौहान स्वीट्स को मिला पहला स्थान Fatehpur News: फतेहपुर में श्री अन्न रेसीपी प्रतियोगिता और तिलहन मेला सम्पन्न, चौहान स्वीट्स को मिला पहला स्थान
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में मंगलवार को सरदार बल्लभ भाई पटेल प्रेक्षागृह में जनपद स्तरीय श्री अन्न (मिलेट्स) रेसीपी...
Accident In Fatehpur: फतेहपुर में भीषण सड़क हादसा ! ट्रक की टक्कर से दो युवकों की मौत, तीसरा गंभीर, परिवारों में मचा कोहराम
आज का राशिफल 11 नवंबर 2025: सिंह और कन्या राशि वालों की चमकेगी किस्मत, वृषभ को मिलेगा धन लाभ, लेकिन मीन रहें सावधान
Delhi Red Fort Blast: तेज धमाके से दहल उठी दिल्ली ! अब तक 10 लोगों की मौत 30 से अधिक घायल, पूरे देश में हाई अलर्ट
Fatehpur News: जब बेटे की मौत सुनते ही जननी ने दिया बेटी को जन्म ! किस्मत का वो मोड़ जिसने रुला कर हंसाया
आज का राशिफल 10 नवंबर 2025: सिंह को करनी पड़ सकती है कड़ी मेहनत, तुला रहे सावधान, कुछ राशियों के लिए दिन रहेगा मिश्रित
फतेहपुर में खुशियों के बीच दर्द का तूफान: बहन की शादी का सामान लेने निकले दो युवक, ट्रैक्टर पलटने से मौत, घर में छाया मातम

Follow Us