Mysterious Garhmukteshwar Temple : गंगा किनारे स्थित इस रहस्यमयी प्राचीन गढ़मुक्तेश्वर मंदिर का जाने पौराणिक महत्व,क्या है मन्दिर की सीढ़ियों का रहस्य
उत्तरप्रदेश के हापुड़ जिले में गंगा नदी के किनारे एक दिव्य और रहस्यमयी शिव मन्दिर गढ़मुक्तेश्वर है.जिसकी मान्यता काशी के जैसी ही है.यहां भगवान शिव ने परशुराम जी से शिवलिंग स्थापित कर पूजन करने के लिए कहा था. शिवगणों की एक कथा भी प्रचलित है.
हाईलाइट्स
- हापुड़ में है रहस्यमयी शिव मंदिर,गढ़मुक्तेश्वर के नाम से जाना जाता है
- गंगा किनारे स्थित शिवलिंग की आकृति और गंगा माता मंदिर की सीढ़ियों का रहस्य
- शिव गण से जुड़ा है महत्व, परशुराम भगवान ने किया था शिवलिंग स्थापित
Garhmukteshwar Temple In Hapud: हमारे सनातन धर्म में कई ऐसे रहस्यमयी और दिव्य शिव मंदिर हैं. जिनका अपना अलग ही महत्व है.आज हम बात करने जा रहे हैं, एक ऐसे शिव मंदिर की जो अद्धभुत है चमत्कारी है.और मान्यता काशी विश्वनाथ की तरह ही है.यहां हर दिन भक्तों की भीड़ उमड़ती है.इस मंदिर में कुछ ऐसी रहस्यमयी बातें है जिसको लेकर आजतक वैज्ञानिक भी हैरान हैं.चलिए आज आपको हम हापुड़ जिले के इस प्रसिद्ध तीर्थस्थल गणमुक्तेश्वर शिवमन्दिर के पौराणिक महत्व और इतिहास को बताएंगे.
गढ़मुक्तेश्वर मन्दिर का जिक्र पुराणों में भी आता है
उत्तर प्रदेश हापुड़ जिले में प्राचीन शिव मंदिर गढ़मुक्तेश्वर है.गंगा किनारे स्थित यह मंदिर काफी रहस्यमयी है.गढ़मुक्तेश्वर मन्दिर का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है.यहां प्राचीन गंगा मन्दिर भी है.दर्शन के लिए आपको 84 चमत्कारी सीढ़िया चढ़नी होगी.यही पर रहस्यमयी और दिव्य शिवलिंग भी है. भगवान शिव ने परशुराम जी से शिवलिंग की स्थापना कराई थी. तब इस जगह को खाण्डवी वन क्षेत्र कहा जाता था.इस स्थान का बाद में नाम शिवबल्लभपुर भी पड़ा.
गंगा माता मन्दिर की सीढ़ियां रहस्यमयी
शिव मंदिर के पास ही गंगा माता मन्दिर की सीढ़ियां रहस्यमयी है.यहां सीढ़ियों पर कुछ ऐसे रहस्यमयी और चमत्कारी पत्थर हैं.जैसे पानी में पत्थर फेंकने के बाद आवाज निकलती है ,ठीक उसी तरह की सीढ़ियों से आवाजें आती हैं.कोई भी इन सीढ़ियों पर चढ़ता है तो ध्यान से महसूस करने पर पानी के बहाव जैसी आवाज सुनने को मिलती है.ऐसा कहा जाता है कि हजारों वर्ष पहले गंगा मैया का पानी सीढ़ियों तक आता था. आज तक वैज्ञानिक भी इस बात से हैरान है कि आखिर ऐसी आवाज आती कहां से है.
साल में एक बार शिवलिंग के ऊपर दिव्य आकृति होती है अंकुरित
मन्दिर का शिवलिंग भी रहस्यमयी और चमत्कारी है.किवंदिती है कि शिवलिंग में कार्तिक माह में एक आकृति अंकुरित होती है. हालांकि यह रहस्य आजतक रहस्य ही है.इस विषय पर कोई भी नहीं जान सका की शिवलिंग पर आकृति क्यों अंकुरित होती है.फिलहाल वैज्ञानिकों ने प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हो सके.
ऋषि दुर्वासा ने दिया था शिवगणों को श्राप
शिवपुराण में इस तीर्थ स्थल के प्रमाण मिलते हैं. एक कथा भी शिव गणों की प्रचलित है. मदरांचल पर्वत पर महर्षि दुर्वासा तप कर रहे थे.तभी शिव गण वहां से गुजरे और उनका उपहास किया.जिससे क्रोधित होकर शिव गणों को उन्होंने पिशाच बनने का श्राप दे दिया.अब शिवगण ऋषि से क्षमा याचना करने लगे.तब उन्होंने कहा कि शिवबल्लभपुर जाओ और वहां भोलेनाथ की तपस्या करो.यह बात सुन सभी शिव गण तपस्या करने लगे और उनसभी ने कार्तिक पूर्णिमा तक तपस्या की.जिससे शिव जी प्रसन्न हुए और इन सभी गणों को क्षमा कर दिया. तबसे गणमुक्तेश्वर नाम से यह जगह प्रसिद्ध हो गई.यहां महाभारत काल के भी अंश मिलते हैं.क्योंकि यह जगह हस्तिनापुर के अंतर्गत आता था.
यहां कार्तिक माह में लगता है भव्य मेला
यहाँ कार्तिक में मेला भी लगता है.और हर दिन यहां दूर-दूर भक्त आकर मोक्षदायिनी गंगा में डुबकी लगाकर भोलेनाथ के दर्शन करते हैं ,सावन मास में कावंड़िया भी पहुंचते हैं.यहां भक्त मन्नत ,मुण्डन संस्कार,कर्मकांड भी कराते हैं.सच्चे मन से जो भी भक्त यहां आता है शिवजी उसकी मनोकामना पूर्ण करते हैं.