Gaj Mahalaxmi Vrat Katha:महालक्ष्मी व्रत कथा जानें जिसे गजलक्ष्मी पूजन भी कहते हैं

पितृ पक्ष में अष्ठमी तिथि को होने वाला महालक्ष्मी व्रत (गज लक्ष्मी) इस साल 18 सितंबर को है, कुछ लोग 17 सितंबर को भी इसे मना रहे हैं .क्या है महालक्ष्मी व्रत की पौराणिक कथा जानें. Mahalaxmi Vrat Katha Gaj Laxmi Vrat Katha hathi pooja katha
Mahalaxmi Vrat Katha: माता लक्ष्मी की पूजा साल भर में कई मौकों पर विशेष रूप से होती है।इन्हीं में से एक है महालक्ष्मी व्रत जो भाद्र मास की अष्ठमी तिथि से प्रारम्भ होता है औऱ फिर 16 दिन बाद अष्ठमी तिथि को ही गज में सवार माता लक्ष्मी (Gaj Laxmi Vrat Katha ) की मूर्ति की पूजा पूरे विधि विधान से कर व्रत का समापन किया जाता है।वैसे तो इन सोलह दिनों तक व्रत रखने का विधान है लेकिन यदि ऐसा सम्भव न हो तो आख़री दिन यानी सोलहवें दिन व्रत रखकर महालक्ष्मी का पूजन करना पुण्य लाभ देने वाला होता है। Mahalaxmi Vrat katha Hathi wali laxmi puja ki katha hathi pooja katha
महालक्ष्मी व्रत कथा Gaj Laxmi Vrat Katha In Hindi

भगवान विष्णु ने कहा कि मंदिर के सामने एक स्त्री रोज आती है और यहां आकर उपले पाथती है, तुम बस अपने घर उन्हें आने का निमंत्रण देना। वह स्त्री ही देवी मां लक्ष्मी हैं। अगर वह स्त्री तुम्हारे घर आती है तो तुम्हारा घर धन-धान्य से भर जाएगा। इतना कहकर भगवान विष्णु अदृश्य हो गए। Mahalaxmi Vrat Katha Hindi Me hathi pooja katha
देवी के कहे अनुसार गरीब ने देवी का व्रत एवं पूजन किया और उत्तर की दिशा की ओर मुख करके लक्ष्मीजी को पुकारा। अपने वचन को पूरा करने के लिए धन की देवी प्रकट हुईं और उन्होंने गरीब व्यक्ति के हर कष्ट को दूर किया और उसके घर को सुख-संपत्ति से भर दिया।
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