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Jhanda Geet In Hindi : जब जवाहर लाल नेहरू ने श्याम लाल गुप्त 'पार्षद' से कहा था इस गीत से एक दिन पूरा देश आपको जानेगा

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विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा, जब यह गीत सुनते हैं, तो लगता है कि स्वतंत्रता दिवस नजदीक है.और खुद से भी ये गीत गुनगुनाने लग जाते है.जब इस गीत को कानपुर के फूलबाग से कानपुर के श्याम लाल गुप्ता (पार्षद) ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु के सामने गाया तो उन्हें नेहरू जी ने गले लगा लिया था.और कहा कि आपको को कोई जाने या न जाने,इस झंडा गीत की वजह से आपको एक दिन पूरा देश जानेगा.

हाइलाइट्स

झंडा गीत के रचयिता श्याम लाल गुप्त पार्षद ने फूलबाग मैदान में गाया था अपना गीत

तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू जी के समक्ष गाया, नेहरू जी ने लगा लिया गले
देश की स्वतंत्रता के लिए नंगे पैर लड़ते रहे,झंडा गीत से हुए प्रसिद्ध

Parshad gave the flag song to the country : क्रांतिकारियों से जुड़ी नगरी कानपुर का देश की आज़ादी में अहम योगदान रहा.कानपुर शहर भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है.15 अगस्त और 26 जनवरी के अवसर पर आपने अक्सर जरुर यह गीत विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,झंडा ऊंचा रहे हमारा सुना होगा और खुद भी गुनगुनाते होंगे. बहुत से लोगों को यह नहीं पता कि यह किसने लिखा और किसने कब इसे गाया. चलिए बताते हैं गीत के लेखक कौन थे और उन्होंने इसे कहाँ गाया.

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पद्मश्री श्याम लाल नंगे पैर ही लड़ते रहे,जेल भी गए

प्रसिद्ध झंडा गीत के रचयिता पदम श्री श्याम लाल गुप्ता जिन्हें पार्षद के नाम से जाना जाता था. वे बड़े ही सादगी, सरल और स्वाभिमानी व्यक्ति थे.उनका प्रण था कि जबतक आज़ादी नहीं मिलती तबतक नंगे पैर ही रहेंगे.उनका जन्म कानपुर जिले के नर्वल गांव में वर्ष 1896 सितंबर माह में हुआ था. बचपन से ही उन्हें कविता लिखने का बहुत ही शौक था.इतना ही नहीं देश की स्वतंत्रता के लिए वे नंगे पांव ही लड़ते रहे.और कई बार जेल भी गए.

गणेश शंकर विद्यार्थी ने गीत लिखने के लिए किया प्रेरित

झंडा गीत लिखने के लिए उन्हें गणेश शंकर विद्यार्थी ने प्रेरित किया. इसके साथ ही वह एक शिक्षक भी थे.सिर पर टोपी,कुर्ता और धोती और नंगे पैर रहकर उन्होंने आज़ादी की लड़ाई लड़ी,जिसके लिए कई बार वे जेल भी गए. दरअसल पार्षद जी एक ऐसा गीत लिखना चाहते थे, जो देश भक्ति से प्रेरित हो. गणेश शंकर विद्यार्थी ने उन्हें गीत लिखने के लिए कहा. कहा जाता है जब उन्होंने यह गीत लिखा,तो पहले तो उन्हें खुद यह गीत नहीं समझ आया.रात में जब सोने लगे तो अचानक उनकी नींद खुली और वे कलम और डायरी लेकर बैठ गए और फिर जो उन्होंने लिखा है,उसकी तारीफ गणेश शंकर विद्यार्थी से लेकर महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू तक ने की.

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तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू जी ने लगाया गले,झंडा गीत के लिए पद्मश्री से हुआ सम्मान

सबसे पहले यह गीत श्यामलाल ने कानपुर के फूल बाग मैदान में 13 अप्रैल 1924 को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की मौजूदगी में गाया था.पंडित नेहरू ने श्याम लाल के इस गीत को सुनते हुए कहा था कि भले ही श्यामलाल गुप्ता को कोई न जानता हो, लेकिन उन्हें उनके इस झंडा गीत से एक दिन पूरा देश जानेगा. इसके बाद यह झंडा गीत लाल किले में भी 1952 में गाया गया था.जिसके लिए पार्षद श्यामलाल को पदम श्री अवार्ड से भी सम्मानित किया गया.श्याम लाल गुप्ता पार्षद जी 10 अगस्त 1977 दुनिया को अलविदा कह गए. लेकिन उनका यह झंडागीत अमर हो गया.

श्याम लाल गुप्त 'पार्षद' जी का झंडा गीत


विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा।

सदा शक्ति बरसाने वाला,
प्रेम सुधा सरसाने वाला,

वीरों को हरषाने वाला,
मातृभूमि का तन-मन सारा।। झंडा...।

स्वतंत्रता के भीषण रण में,
लखकर बढ़े जोश क्षण-क्षण में,

कांपे शत्रु देखकर मन में,
मिट जाए भय संकट सारा।। झंडा...।

इस झंडे के नीचे निर्भय,
लें स्वराज्य यह अविचल निश्चय,

बोलें भारत माता की जय,
स्वतंत्रता हो ध्येय हमारा।। झंडा...।

आओ! प्यारे वीरो, आओ।
देश-धर्म पर बलि-बलि जाओ,

एक साथ सब मिलकर गाओ,
प्यारा भारत देश हमारा।। झंडा...।

इसकी शान न जाने पाए,
चाहे जान भले ही जाए,

विश्व-विजय करके दिखलाएं,
तब होवे प्रण पूर्ण हमारा।। झंडा...।

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा।

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