Please enable JavaScript to support our website by allowing ads.

Grishneshwar Jyotirlinga Temple : निसंतान दम्पति के लिए वरदान है घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन जाने इसका सही तरीका

Grishneshwar Jyotirlinga Temple : निसंतान दम्पति के लिए वरदान है घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन जाने इसका सही तरीका
महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर से 30 किलोमीटर दूर स्थित घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की अद्भत महिमा

सावन के दिनों में भक्तों की अपार भीड़ शिवालयों में उमड़ पड़ी है. महाराष्ट्र के औरंगाबाद से 30 किलोमीटर दूर वेरुल गांव में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग भी है. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की मान्यता और यहां के सरोवर एक अलग ही महत्व है. माना जाता है कि यहां दर्शन करने मात्र से ही संतान प्राप्ति ,सारे पापों व रोगों का नाश हो जाता है.


हाईलाइट्स

  • महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर से 30 किलोमीटर दूर एलोरा की गुफाओं के समीप है घृष्णेश्वर
  • घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग को घुश्मेश्वर भी कहा जाता है,सरोवर के दर्शन का महत्व
  • संतान प्राप्ति, पापों, व रोगों का दर्शन मात्र से होता है नाश,108 की बजाय 101 का महत्व

Ghrishneshwar Jyotirlinga in Maharashtra : हर-हर महादेव के जयकारों के साथ हर कोई शिवमय में हो चुका है. श्रावण मास में भक्त 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने निकल पड़े हैं. आज युगांतर प्रवाह की टीम आपको महाराष्ट्र के औरंगाबाद से 30 किलोमीटर स्थित वेरुल गांव में एलोरा गुफाओं के समीप 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के पौराणिक महत्व के बारे में बताएगा. इस मंदिर के पीछे एक शिव भक्त की कथा भी प्रचलित है. महाराष्ट्र में 3 ज्योतिर्लिंग है. उनमें से एक यहां पर भी है.तो आइए आपको इस दिव्य, रहस्यमयी ज्योतिर्लिंग के दर्शन के साथ ही यहां के इतिहास और कथा के बारे में विस्तार पूर्वक बताते हैं..

हर-हर महादेव के जयकारों से शिवमय हुए भक्त

कण-कण में शिव, मन और श्वास में शिव,ॐ नमः शिवाय, हे प्रभु आप इस जगत के स्वामी हैं. त्रिकालदर्शी है, सभी का कल्याण करें.भोलेनाथ वैसे तो बहुत ही भोले हैं. लेकिन जब उन्हें गुस्सा आता है तो कोई भी उनके आगे टिक नहीं सकता.कहते हैं कि भोलेनाथ पर एक लोटा जल चढ़ाने से ही वे प्रसन्न हो जाते हैं.

एलोरा की गुफाओं के समीप प्रसिद्ध घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग

Read More: Surya Grahan 2025: सर्वपितृ अमावस्या पर लगेगा साल का आखिरी सूर्य ग्रहण, जानें तारीख, समय और महत्व

आज हम बात करने जा रहे हैं महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर से 30 किलोमीटर दूर एलौरा की गुफाओं के समीप वेरुल गांव में घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की.12 ज्योतिर्लिंगों में से एक घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की अद्भुत महिमा है. यहां पास में ही सरोवर भी है. ऐसी मान्यता है यहां के दर्शन बिना यात्रा पूरी नहीं होती. यहां सरोवर के दर्शन मात्र से ही सभी पापों और रोगों का नाश हो जाता है.101 शिवलिंग बनाये जाने की मान्यता है.सावन के दिनों में व अन्य दिनों में भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है.निसंतान दम्पति सरोवर के सूर्योदय से पहले करें दर्शन और फिर घृष्णेश्वर के दर्शन करें ,मनोकामना पूर्ण होती है.

Read More: Dhanteras Me Kya Kharide: धनतेरस में क्या खरीदना होता है शुभ? जानिए शुभ मुहूर्त, धन्वंतरि, कुबेर और मां लक्ष्मी की पूजा से मिलने वाले लाभ

घुष्मा शिव भक्त की कथा है प्रचलित

Read More: शारदीय नवरात्रि कलश स्थापना 2025: हाथी पर सवार होकर आ रहीं हैं मां जगदम्बा ! दस दिन रहेगा पर्व, अद्भुद संयोग

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग को लेकर एक कथा भी प्रचलित है. प्राचीन काल में सुधर्मा नाम का ब्राह्मण और उसकी पत्नी सुदेहा हुआ करती थी. उनकी कोई संतान नहीं थी.जिसके बाद पत्नी सुदेहा ने अपने पति का विवाह अपनी ही छोटी बहन घुष्मा से करा दिया.घुष्मा शिव भक्त थी.प्रतिदिन 108 की बजाय 101 शिवलिंग बनाकर विधिविधान से पूजन करती थी और सरोवर में विसर्जित करती थी.विवाह उपरांत घुष्मा का एक पुत्र हुआ.सुदेहा को ईर्ष्या होने लगी और उसने घुष्मा के पुत्र की हत्या कर उसे तालाब में फेंक दिया. घुष्मा और उसका परिवार बेटे की मौत को लेकर काफी दुखी हुए .लेकिन वह प्रतिदिन की तरह शिव भक्ति में लीन रही.

भगवान शिव ने इस ज्योतिर्लिंग का नाम घुष्मा पर ही रखा

घुष्मा को अपने आराध्य पर पूर्ण भरोसा था. भोलेनाथ ने अपने भक्त की तपस्या को देख प्रसन्न हुए और उसके पुत्र को पुनर्जीवन दान दे दिया.उसका पुत्र उसी तालाब से बहते हुए जीवित चला आया. शिवजी ने सुदेहा को दंडित करना चाहा लेकिन घुष्मा ने कहा प्रभु आप उन्हें क्षमा कर दें.भोले आखिर भोले हैं उन्होंने घुष्मा की बात को स्वीकार करते हुए सुदेहा को क्षमा कर दिया.फिर घुष्मा ने प्रभू से प्रार्थना की आप भगवान यहीं पर विराजमान हो जाए. तबसे भोलेनाथ यहां पर शिवलिंग रूप में  विराजमान हो गए.भोलेनाथ ने भी कहा कि मैं तुम्हारे नाम से ही जाना जाऊंगा घुष्मा से घृष्णेश्वर और एक नाम और भी कहा जाता है वह है घुश्मेश्वर..

ऐसे पहुंचे घृष्णेश्वर

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिग मन्दिर खुलने का समय सुबह साढ़े 5 से रात साढ़े 9 तक है.यदि आप यहां जाने का प्लान कर रहे है, तो आप अपने साधन से भी जा सकते हैं.मुम्बई और पुणे से आपको औरंगाबाद जाना होगा. फ्लॉइट की सेवा भी उपलब्ध है .औरंगाबाद रेलवे स्टेशन भी है,मुम्बई से करीब 300 किलोमीटर पड़ेगा.यहां से टैक्सी लेकर आप मन्दिर तक जा सकते हैं, मुम्बई और पुणे से आने पर सुंदर पर्वत दिखाई पड़ेंगे.एलोरा की गुफाएं भी रोमांच से भरी हुई है वहीं पास में ही घृष्णेश्वर है.जो पर्यटकों को काभी लुभाएंगी.यहां ठहरने की उत्तम व्यवस्था भी है.

Latest News

आज का राशिफल 12 दिसम्बर 2025: कुछ राशि के जातकों को रहना होगा सावधान, कुछ का बेहतर समय आने वाला है आज का राशिफल 12 दिसम्बर 2025: कुछ राशि के जातकों को रहना होगा सावधान, कुछ का बेहतर समय आने वाला है
12 दिसम्बर 2025 का दिन कुछ राशियों के लिए सावधानी की मांग कर रहा है जबकि कुछ जातकों की किस्मत...
UP SIR Process Date Extended: यूपी में एसआईआर प्रक्रिया 26 दिसंबर तक बढ़ी, मतदाता सूची के पुनरीक्षण में बड़ा बदलाव
आज का राशिफल 11 दिसंबर 2025: इन राशियों पर बरसेगी गुरु की कृपा, जानिए सभी राशियों का दैनिक भाग्यफल
धन्य है! सीओ के बगल में खड़ी थी बाइक, पलक झपकते ही चोर ने कर दिया कारनामा
उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में राष्ट्रीय लोक अदालत: चालान माफी से लेकर बैंक लोन तक हजारों मामलों का होगा समाधान
Fatehpur News: ससुराल से गायब हुई नवविवाहिता ! अंतिम मैसेज में लिखा ‘मुझे बचाओ’, पुलिस पर आरोप, DM कार्यालय का घेराव
आज का राशिफल 10 दिसंबर 2025: मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन राशियों का पूरा दैनिक राशिफल

Follow Us