Fatehpur Nagar Nikay Chunav 2022 : सपा प्रसपा के विलय से फतेहपुर की राजनीति में बदलाव की आहट निकाय चुनाव में सीधा असर.!
- By युगान्तर प्रवाह संवाददाता
- Published 08 Dec 2022 09:18 PM
- Updated 23 Aug 2023 07:12 PM
गुरुवार को शिवपाल यादव की पार्टी प्रसपा का समाजवादी पार्टी में विलय हो गया. विलय का आधिकारिक ऐलान शिवपाल औऱ अखिलेश ने एकसाथ किया.इस विलय का फतेहपुर की राजनीति में क्या असर पड़ेगा आइए जानते हैं.
Fatehpur News : गुरुवार आठ दिसम्बर का दिन यूपी की राजनीति के लिए बड़ा महत्वपूर्ण साबित हुआ. मैनपुरी से डिंपल यादव की रिकार्ड मतों की जीत के साथ ही लंबे समय से दूर चल रहे चाचा भतीजा आधिकारिक रूप से एकसाथ आ गए.चाचा शिवपाल ने अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ( प्रसपा ) का सपा में विलय कर दिया.अब इस विलय का असर जिलों में काम कर रहे दोनों पार्टियों के नेताओं पर पड़ना तय है.फतेहपुर ज़िले में इस विलय से समाजवादी पार्टी के नेताओं को जहां फ़ायदा होगा वहीं नुकसान की भी आशंका है.
प्रसपा के नेताओं को संतुष्ट करने की चुनौती..
बाहरी तौर पर दो पार्टियां का विलय बड़ी पार्टी के लिए लाभकारी नज़र आता है.लेकिन अंदरखाने कई बड़ी दिक्कतें आ जाती हैं.फतेहपुर ज़िले की बात करें तो शिवपाल के सपा से अलग होने के साथ ही ज़िले के कई कद्दावर भी सपा से टूटकर शिवपाल के खेमे में चले गए थे.वह लगातार शिवपाल औऱ उनकी पार्टी प्रसपा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे.लेकिन अब जब शिवपाल ने अपनी पूरी पार्टी का ही विलय सपा में कर दिया तो शिवपाल के साथ रहे नेताओं का भविष्य क्या होगा.यह अपने आप में बड़ा सवाल है.हालांकि शिवपाल अपना राजनीतिक भविष्य देखते हुए यह कतई नहीं करेंगें की उनके संघर्ष में साथ डटे रहे नेता इधर उधर भटकें.यह भी कहा जा रहा है कि भले ही शिवपाल का वर्चस्व सपा में मुलायम के दौर वाला न हो पाए लेकिन इतना भी कम नहीं होगा कि वह चुनावों में दख़ल न दें.शिवपाल की अब सपा में सुनी और मानी दोनों जाएगी ऐसे में सपा के मौजूदा नेताओं के सामने भी संकट खड़ा हो गया है.
प्रदेश अध्यक्ष का गृह जनपद है फतेहपुर..
मुलायम के दौर में शिवपाल यादव यूपी के पार्टी प्रदेश अध्यक्ष थे.जब 2016-17 में सपा में बिखराव का दौर आया तो अखिलेश यादव राष्ट्रीय अध्यक्ष बने औऱ नरेश उत्तम पटेल को अखिलेश ने प्रदेश अध्यक्ष बना दिया.नरेश फतेहपुर ज़िले के रहने वाले हैं.हालांकि नरेश के कार्यकाल में पार्टी कोई खास कमाल नहीं दिखा पाई.यहां तक कि विधानसभा चुनावों में फतेहपुर में नरेश उत्तम के पोलिंग बूथ से सपा चुनाव हार गई.इसके बावजूद अखिलेश ने अब तक नरेश पर भरोसा कायम रखा है. लेकिन शिवपाल की सपा में दोबारा इंट्री से नरेश खेमें को नुकसान होना तय माना जा रहा है. ऐसा जानकार बताते हैं कि शिवपाल औऱ नरेश एक दूसरे के विरोधी हैं. ऐसे में शिवपाल, नरेश के प्रदेश अध्यक्ष रहते पार्टी में अपने को किस तरह एडजस्ट करेंगें यह भी बड़ा सवाल है.?
निकाय चुनाव में असर..
सपा प्रसपा विलय का मौजूदा नगर निकाय चुनावों में सीधा असर पड़ेगा.फतेहपुर नगर पालिका की बात करें तो अब तक मौजूदा अध्यक्ष प्रतिनिधि हाजी रज़ा का टिकट सपा से कन्फर्म माना जा रहा था.लेकिन बदले हुए सियासी समीकरण में रज़ा का टिकट कितना सुरक्षित है यह भी देखना दिलचस्प होगा.हालांकि रजा का टिकट कटेगा इसकी सम्भावना कम ही नज़र आती है.दूसरी तरफ नगर निकाय चुनाव के लिए प्रसपा के भी कुछ कद्दावर नेता चुनाव लड़ने की योजना बना रहे थे.अब जब पार्टी का विलय सपा में हो गया है तो ऐसे दावेदार नेताओं का साथ सपा उम्मीदवार को कितना मिलेगा यह भी काफ़ी अहम माना जा रहा है.
बहरहाल सपा प्रसपा के विलय ने यूपी के नगर निकाय चुनाव को औऱ दिलचस्प बना दिया है. ख़ासकर फतेहपुर में इस विलय के बाद से कई नेताओं के भीतर उथल पुथल मच गई है.
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