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फतेहपुर:''बकरी नहीं चराएंगें,स्कूल पढ़ने जाएंगे।

फतेहपुर:''बकरी नहीं चराएंगें,स्कूल पढ़ने जाएंगे।
सत्रारंभ के मौके पर बच्चों को टीका लगाते डीएम संजीव सिंह

नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत इस बार स्कूल चलो अभियान के तहत हुई..इसके लिए जगह जगह सरकारी स्कूल के बच्चों द्वारा रैली निकाली गई..पढ़े युगान्तर प्रवाह की एक रिपोर्ट।

फ़तेहपुर: सरकार द्वारा सरकारी विद्यालयों की दिशा और दशा को सुधारने के लिए लगातार प्रयास किए जाते रहे हैं।इसबार नए शैक्षिक सत्र के पहले दिन ज़िले भर के सरकारी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छोटे छोटे बच्चों की रैली निकाल बच्चों को स्कूल में पढ़ने के लिए प्रेरित किया गया।जिलाधिकारी संजीव सिंह ने बहुआ विकास खण्ड के प्राथमिक विद्यालय अरिहनखेड़ा में बच्चों के साथ सेल्फी ली और उनको टीका लगाकर सत्रारंभ को हरी झंडी दिखाई। सभी विद्यालयों में आज रैली निकाल लोगों को प्रेरित किया गया।

इसी क्रम में हंसवा विकास खण्ड के जमालपुर, टीसी,शहाबुद्दीनपुर सहित समस्त विद्यालयो में छोटे छोटे बच्चों ने रैली निकाल अभिवावकों व बच्चों को स्कूल चलने के लिए प्रेरित किया।जमालपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय के बच्चे हांथो में स्लोगन लिखी तख्तियां लेकर नारे लगाते हुए गाँव की गलियों में घूमे तो सभी ने बच्चों के इस प्रयास की सराहना की। खासकर छोटे छोटे बच्चों ने जब नारा लगाते हुए कहा कि "बकरी नहीं चराएंगे स्कूल पढ़ने जाएंगे"तो लोगों के आंखों में आंसू आ गए और गाँव भर के लोगों ने रैली से प्रभावित हो यह शपथ ली कि अब वह अपने नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं करेंगे और उन्हें स्कूल पढ़ने के लिए भेजेंगे। यह स्लोगन लोगों के बीच  आकर्षण का केंद्र रहा इस मौके पर विद्यालय के हेड मास्टर सहित सहायक अध्यापक आशीष शुक्ला,समीर द्विवेदी, विजय सिंह व बहादुर मौजूद रहे।

सरकार के लाख प्रयास के बावजूद नहीं सुधर रही सरकारी विद्यालयों की स्थिति...

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सरकार के लाखों प्रयासों के बावजूद सरकारी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा के स्तर पर संतोषजनक सुधार नहीं हो पा रहा है और यह स्थिति गांवो में अभी बदतर बनी हुई है खासकर गांवो में छोटे तबके के लोगों में अभी भी शिक्षा के प्रति उतनी रुचि दिखाई नहीं पड़ रही है और भारत के भविष्य के हांथो में पेन किताब की जगह अन्य दूसरी वस्तुए दिखाई पड़ती हैं। हालांकि सरकार द्वारा चलाए जा रहे इस तरह के जागरूकता कार्यक्रमों से कहीं न कहीं छोटे बच्चों की शिक्षा स्तर को सुधारने की दिशा में एक क़दम जरूर है।

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