उत्तराखंड भूमि घोटाला: 14 करोड़ की जमीन 54 करोड़ में खरीदी गई, हरिद्वार DM, SDM और नगर आयुक्त सस्पेंड
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हरिद्वार में सामने आए एक बड़े भूमि घोटाले में उत्तराखंड सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए जिला मजिस्ट्रेट, उप-जिलाधिकारी और नगर आयुक्त को निलंबित कर दिया है. 14 करोड़ की जमीन को 54 करोड़ में खरीदने का मामला सामने आने के बाद सरकार ने विजिलेंस जांच के आदेश दिए हैं.
Uttarakhand Land Scam: उत्तराखंड की धामी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर चलते हुए हरिद्वार जिले के तीन बड़े अधिकारियों—DM, SDM और नगर आयुक्त को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है. यह कार्रवाई एक 100 पन्नों की जांच रिपोर्ट के बाद की गई, जिसमें 14 करोड़ की जमीन को गलत तरीके से 54 करोड़ में बेचने की साजिश का खुलासा हुआ.
जांच रिपोर्ट में खुला 40 करोड़ के गड़बड़झाले का सच

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मुख्यमंत्री धामी का सख्त संदेश: बख्शा नहीं जाएगा कोई भी दोषी
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया. उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार के मामलों में किसी भी स्तर पर समझौता नहीं करेगी.
सीएम ने कहा कि चाहे अधिकारी कितना भी बड़ा क्यों न हो, अगर वह दोषी पाया गया तो उसे बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने विजिलेंस विभाग को केस सौंपते हुए निष्पक्ष और तेज़ जांच के निर्देश दिए. इस बयान ने सरकारी मशीनरी में खलबली मचा दी है.
100 पन्नों की रिपोर्ट के बाद एक साथ तीन बड़े अफसर सस्पेंड
राज्य शासन के वरिष्ठ अधिकारी सचिन रणवीर द्वारा तैयार की गई 100 पन्नों की रिपोर्ट के आधार पर यह फैसला लिया गया. इस रिपोर्ट में जमीन सौदे से जुड़े सभी दस्तावेजों की बारीकी से जांच की गई और अनियमितताओं को चिन्हित किया गया.
इसके बाद IAS अधिकारी कर्मेन्द्र सिंह (DM हरिद्वार), SDM अजयवीर सिंह और नगर आयुक्त वरुण चौधरी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया. यह पहली बार है जब उत्तराखंड में एक ही केस में तीन सीनियर अधिकारी एक साथ सस्पेंड किए गए हैं.
राजस्व संहिता की धारा 143 का हुआ दुरुपयोग
जांच में सामने आया है कि इस घोटाले में उत्तराखंड राजस्व संहिता की धारा 143 का गलत इस्तेमाल किया गया. इस धारा के तहत कृषि भूमि को गैर-कृषि उपयोग में बदलने की अनुमति दी जाती है, लेकिन यह प्रक्रिया आमतौर पर लंबी होती है और कई स्तरों की जांच की आवश्यकता होती है.
मगर इस केस में SDM अजयवीर सिंह ने महज़ 2-3 दिन में ही इस प्रक्रिया को निपटा दिया. लैंड पूलिंग कमेटी की मंजूरी भी नहीं ली गई, जो कि कानूनन आवश्यक है. इस जल्दबाजी से स्पष्ट होता है कि इस पूरे मामले में प्रशासनिक मिलीभगत थी.
विजिलेंस को सौंपी गई जांच, 12 अधिकारियों पर लटकी गाज
सरकार ने इस पूरे घोटाले की जांच अब राज्य के विजिलेंस विभाग को सौंप दी है. इस विभाग की जिम्मेदारी सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और घूसखोरी के मामलों की जांच करना है.
फिलहाल विजिलेंस ने 12 अधिकारियों की सूची तैयार की है जिन पर जांच शुरू की जा चुकी है. इनमें दो IAS अधिकारी और एक राज्य सिविल सेवा के अधिकारी भी शामिल हैं. विभागीय जांच के बाद दोषियों पर कानूनी कार्रवाई तय मानी जा रही है.
