संपादकीय:सवर्णआरक्षण-गंजों के शहर में कंघियाँ बेच गए मोदी जी..!
दस प्रतिशत सवर्णों को आरक्षण देने से सम्बंधित बिल संसद के दोनों सदनों में पास हो गया है पर क्या इससे हो पाएगा बेरोजगार सवर्ण युवाओं का भला पढ़े पूरे मामले पर युगान्तर प्रवाह संवाददाता शुभम मिश्रा का एक लेख...

युगान्तर प्रवाह: हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार देने का वादा कर सत्ता में आई मोदी सरकार जब साढ़े चार सालों में वादे के मुताबिक रोजगार मुहैया नहीं करा पाई तो उन्होंने एक नई चाल चल दी।चाल भी ऐसी की विरोधी एक बार मे ही चारो खाने चित हो गए।
मोदी सरकार ने शीत कालीन सत्र के आखिरी दिन लोकसभा में सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण देने का विधेयक पेश कर दिया। लोकसभा में तो विधेयक पास हो जाएगा ये तो पहले से तय था लेक़िन ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि राज्यसभा मे शायद ये विधेयक अटक जाए लेक़िन लोकसभा में पेश होने के बाद अगले दिन जब राज्यसभा में विधेयक पेश हुआ तो वहां भी भारी अंतर से पास हो गया चूंकि विपक्षी पार्टियां न चाहते हुए भी लोकसभा चुनाव के पहले सवर्णों की नाराज़गी का जोखिम नहीं उठाना चाहती हैं।
ख़ैर विधेयक तो पास हो गया लेक़िन अभी सवर्ण आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट की चुनौतियों का सामना भी करना पड़ेगा।
इधर मोदी सरकार द्वारा चले गए इस मास्टरस्ट्रोक से आरक्षण का विरोध कर रहे लोगों का एकबारगी मुहं बन्द हो गया औऱ वह दिन में ही बडे-बडे सपने देखने लगे पर क्या वास्तव में दस प्रतिशत आरक्षण का लाभ सवर्ण जातियों को मिल पाएगा?क्या अब सवर्ण जाति के लोगों की नौकरी पक्की हो गई है?तो आप के लिए भारत मे बेरोजगारी पर हुए एक सर्वे को पढ़ना बहुत जरूरी हो गया है।
इसी तरह करीब 4 लाख 12 हजार पद अलग-अलग सरकारी विभागों में खाली हैं।रेलवे में भी इस वक्त 2 लाख 53 हजार पद रिक्त हैं।इन पदों पर तत्काल कोई भर्ती होगी, ऐसा नजर नहीं आ रहा है।लेक़िन इन सब के बावजूद आखिर में बस यही की सवर्ण आरक्षण का लालच देकर मोदी ने गंजो के शहर में कंघियाँ तो बेच ही दी हैं।