
फतेहपुर:इंजीनियर हत्याकांड-खुलासा:हत्या में शामिल दो अभियुक्तों को गिरफ़्तार कर पुलिस ने किया घटना का खुलासा..मास्टरमाइंड ठेकेदार सहित तीन अभियुक्त अभी भी फ़रार!
ज़िले के चर्चित इंजीनियर हत्याकांड का बुधवार को पुलिस अधीक्षक ने पर्दाफास कर दिया..लेक़िन कई सवालों के जवाब अब भी बाक़ी..पढ़े पूरी ख़बर युगान्तर प्रवाह पर।

फतेहपुर: बीते मंगलवार यानी 14 मई को थरियांव थाना क्षेत्र के बिलन्दा अतरहा मार्ग पर एकारी के निकट हुई इंजीनियर अजय कुमार की हत्या का बुधवार को पुलिस अधीक्षक ने पुलिस लाइन में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के ज़रिए इस हत्याकांड का खुलासा किया। हालांकि अभी भी इस सनसनीखेज वारदात का मुख्य षणयंत्र कर्ता ठेकेदार आयुष शर्मा और वारदात को अंजाम देने वाले दो हत्यारों सहित कुल तीन आरोपी अभी भी फ़रार है।
आख़िर क्यों हुई हत्या.?
जीएमआर कम्पनी द्वारा कराए जा रहे रेलवे के दोहरीकरण के काम का सुपर विज़न करने के लिए नियुक्त कम्पनी सिस्टा के इंजीनियर अजय कुमार की एकारी में बने रेलवे प्लांट में जाते वक्त बीते 14 मई को अज्ञात बदमाशों द्वारा दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी।पूरी तरह से ब्लाइंड मर्डर केश को खोलने के लिए एडीजी प्रयागराज के निर्देशन में घटना का खुलासा करने के लिए ज़िले की तीन टीमें घटित की गई थीं।
घटना के बाद से ही पुलिस इस घटना को ठेकेदार और इंजीनियर के विवाद से जोड़कर देख रही थी और पुलिस ने उसी थ्योरी पर काम करना शुरू किया।जिसके बाद पुलिस को इस हत्याकांड में कई अहम सुराग हाँथ लगे और इस वारदात के पीछे मृतक अजय कुमार के गृह जनपद का ही रेलवे ठेकेदार आयुष शर्मा मास्टरमाइंड निकला। पुलिस ने आयुष की गिरफ्तारी के लिए कई जनपदों में छापेमारी की लेक़िन आयुष पुलिस के हाँथ नहीं लगा।लेक़िन पुलिस को इस बीच घटना में शामिल ज़िले के ही दो लोग मुखिया और लंबू हाँथ लग गए जिन्होंने इस हत्याकांड की कहानी बताई।पुलिस की पूछताछ में मुखिया और लंबू ने बताया कि पिछले कुछ महीनों से रुपयों के लेन देन को लेकर ठेकेदार आयुष शर्मा और अजय के बीच मनमुटाव चल रहा था।
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क्योंकि इंजीनियर अजय कुमार ने ठेकेदार द्वारा कराए गए कई निर्माणाधीन पुलों को मानक विहीन बताते हुए उनको रिजेक्ट कर दिया था जिसके चलते ठेकेदार का क़रीब दस लाख रुपया जीएमआर कम्पनी में फंस गया।इसी खुन्नस में आकर उसने अपने ड्राइवर मनीष जाधव के साथ मिलकर इंजीनियर अजय कुमार को रास्ते से हटाने का मन बनाया।चूंकि आरोपी ठेकेदार आयुष शर्मा का ड्राइवर मनीष जो कि इटावा ज़िले का रहने वाला है कई सालों से आयुष की गाड़ी चला रहा था जिसके चलते आयुष का वह वफ़ादार बन गया था।
ड्राइवर मनीष ने इस वारदात को अंजाम देने के लिए फिरोजाबाद में ही रहने वाले अपने रिश्तेदार सुनील जाधव को अपने मालिक आयुष शर्मा से मिलवाया।इसके बाद आयुष ने सुनील को इस हत्या की सुपारी दे दी।प्लान के तहत इस वारदात को सही मुक़ाम तक पहुंचाने के लिए ठेकेदार ने जनपद के खागा कोतवाली क्षेत्र के पामेपुर गाँव के रहने वाले मुखिया को शामिल किया।आपको बता दे कि मुखिया आयुष शर्मा के साइट में हो रहे कामों में मेठगिरी का काम करता था।इसके बाद मुखिया ने ज़िले के सदर कोतवाली क्षेत्र में मऊ गाँव निवासी ओमप्रकाश उर्फ़ लंबू को अपने प्लान में शामिल किया।इसके बाद प्लान के मुताबिक़ चारों हमलावर,तय समय के अनुसार बिलन्दा अतरहा मार्ग पर पहुंच गए।और फ़िर इंजीनियर अजय कुमार की गाड़ी को रुकवाकर गोली मार दी।इस वारदात में शामिल दो जिन अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है उन्होंने बताया कि इंजीनियर पर गोली सुनील ने चलाई थी।जो फ़िलहाल फ़रार है।
वारदात का पूरा सच आना बाकी..!
इस घटना में शामिल दो अभियुक्तों को गिरफ़्तार कर भले ही पुलिस ने इस घटना का खुलासा कर दिया हो।पर इस हत्याकांड के कई रहस्यों का जवाब अभी भी बाक़ी है।मसलन पुलिस के हाँथ लगे आरोपी लंबू और मुखिया घटना में शामिल जरूर रहे हैं पर इस हत्याकांड की आयुष शर्मा ने अपने जिस ड्राइवर के साथ मिलकर साज़िश रची थी और जिसने गोली मारी थी वह तीनों ही अभी पुलिस की पहुंच से दूर है।
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और ऐसा माना जा रहा है इस हत्या को अंजाम देने के पीछे ठेकेदारी के विवाद के साथ साथ कोई और वजह भी हो सकती है।लेक़िन इसका खुलासा तभी हो सकता है जब आयुष शर्मा या उसके ड्राइवर मनीष की गिरफ्तारी हो।फ़िलहाल पुलिस ने हत्याकांड का कारण इंजीनियर अजय कुमार द्वारा ठेकेदार आयुष शर्मा का क़रीब 11 लाख का पेमेंट रोकना ही माना है।