
Who Is Kanpati Maar Shankariya: कनपटी मार किलर जिसने 25 साल की उम्र में किए 70 कत्ल ! कोर्ट ने पांच महीने में दी फांसी, जानिए उसने मरने से पहले क्या कहा
कनपटी मार शंकरिया क्रिमिनल हिस्ट्री
वर्तमान के युवा उसके खौफ से वाकिफ न हो लेकिन पुराने लोगों के मुताबिक 70 के दशक में देश भर में इस युवक के नाम से ही लोग थर-थर कांपने (To Tremble) लगते थे. आलम तो यह था कि अब रात के समय लोगों ने सड़कों पर निकलना ही बंद कर दिया था. यही नहीं 25 की उम्र में साल के अंदर 70 लोगों को मौत के घाट (Death Row) उतार दिया और खतरनाक सीरियल किलर (Serial Killer) बन गया उसका डर ऐसा था कि अगर कोई कंबल ओढ़ दिख जाए तो अक्सर लोग अपना रास्ता ही बदल देते थे. इस हत्यारे का मारने का तरीका एक ही था.

रात के अंधेरे में कम्बल ओढ़कर अंजान लोगों को बनाता था निशाना
देखने में भोला-भाला उम्र केवल 25 साल लेकिन शौक ऐसा कि जिसे सुनकर एक बार के लिए आप सभी की रूह कांप जाएगी. दरअसल राजस्थान (Rajasthan) का यह सीरियल किलर शंकरिया (Shankariya) जिसे लोगों का कत्ल करना बड़ा ही अच्छा लगता था. उसके मुताबिक उसे लोगों को चिल्लाता और तड़पता हुआ दिखने से दिल को सुकून मिलता था इसलिए वह हथौड़ा मार कर लोगों की जान ले लिया करता था उसने अपने जीवन काल में जितने भी मर्डर किये थे सभी की कनपटी यानी कान के नीचे हथौड़े से गर्दन के पास वार करता था जिससे आदमी तड़प तड़प कर मर जाता था. इसलिए उसे कनपटीमार किलर का नाम दिया था आईए जानते हैं कौन था यह कनपटी मार सीरियल किलर....
कौन था शंकरिया?
कनपटी मार (Kanpati Maar) सीरियल किलर (Serial Killer) यानी शंकरिया का जन्म साल 1952 में राजस्थान (Rajasthan) के जयपुर (Jaipur) में हुआ था, लेकिन बचपन से ही उसकी सोच और रहन-सहन बाकी बच्चों से थोड़ा अलग थी. धीरे-धीरे बड़ा होता गया और उसका स्वाभाव बड़ा ही अजीब सा होने लगा. लेकिन ऐसे में सोचने वाली बात यह भी है कि उसने केवल मजे के लिए एक के बाद एक 70 लोगों को मौत के घाट उतार दिया. वही जब पुलिस ने उसे अरेस्ट किया तो उसने बताया कि जिनको भी उसने मारा है वह उन्हें जनता भी नहीं था वह तो केवल लोगों के कराहने और चीख सुनकर काफी खुश होता था इसलिए उसने 70 लोगों को मार डाला. इन सब बातों को सुन पुलिस भी हैरान हो गयी.

अलग-अलग 70 हत्याएं लेकिन तरीका एक
70 के दशक में राजस्थान में एक के बाद एक हो रही हत्याओं की घटनाएं पुलिस के लिए सर दर्द बन चुकी थी पूरे राजस्थान जिले के अलग-अलग शहरों से रोजाना एक-दो हत्याएं हो रही थी लेकिन सुराग हाथ नहीं लग पा रहा था. वही जब कत्ल की यह वारदातें बढ़ने लगी तो पुलिस ने इन सभी हत्याओं की जब कड़ी बनाई तो उसमें पाया गया की सारी हत्याएं एक ही तरह से हो रही है. जिनमें किसी अंजान व्यक्ति द्वारा लोगों के गर्दन व कान के नीचे यानी कनपटी पर वार किया जा रहा है जिसे देखकर एक बार ऐसा लगता है कि कोई भारी हथियार से लोगों के कान के नीचे गर्दन पर वार करके उन्हें मौत के घाट उतारा जा रहा है.
खौफ के चलते लोगों ने रात के समय निकलना किया बन्द
अब राज्य में यह बात फैलने लगी और पुलिस की गश्त बढ़ा दी गयी लेकिन अलग-अलग इलाको में ठीक वैसा ही मौत का नजारा चलता रहा. यह बात फैलने लगी कि रात के अंधेरे में कोई अंजान शख्स कंबल ओढ़ कर सड़कों पर निकलता है और रास्ते में चल रहे अकेले आदमी पर पीछे से कान व गर्दन पर हथौड़े से वार कर देता है यह वार इतना तेज होता है कि आदमी की तुरंत ही मौत हो जाती है. कई अखबारों में यह मामला चर्चाओं में आ गया.
इस अंजान हत्यारे को 'कनपटीमार' का नाम दिया गया. उधर दूसरी तरफ लोगों में इस अंजान सीरियल किलर का खौफ इस कदर हावी था कि लोगों ने रात के अंधेरे में सड़क पर निकलना ही बंद कर दिया था अक्सर यह उन्हीं लोगों को शिकार बनाता था जो लोग अकेले होते थे क्योंकि उसे डर था कि यदि एक या दो से अधिक लोग होने पर वह पकड़ा जाएगा. इसलिए वह केवल अकेले आदमी को ही अपना शिकार बनाकर उसे मौत की नींद सुला दिया करता था.

कम्बल ओढ़कर करता था अपने शिकार का इंतजार
अक्सर रात के अंधेरे में यह सीरियल किलर खुद को छुपाने के उद्देश्य से एक कंबल ओढ़ कर सड़क किनारे बैठ जाया करता था और उस रास्ते से गुजरने वाले लोगों का इंतजार किया करता था ऐसे में जो भी व्यक्ति उसे अकेला दिखता था वह उसे पीछे से दौड़ाकर उसके कान के नीचे गर्दन के पास एक भारी हथौड़े से वार करके उसकी हत्या कर दिया करता था. साल 1978 से 1979 के बीच उसने एक के बाद एक 70 लोगों को मौत की नींद सुला दी. उसके तांडव से आम आदमी के साथ-साथ पुलिस भी हैरान और परेशान थी. कई चश्मदीद लोगों ने बताया भी था कि सड़क पर कम्बल ओढ़कर व्यक्ति बैठा था पास गए तो उसने अंदर छिपा रखे हथौड़े से वार करना चाहा, भागकर जान बचाई. पुलिस ने सभी चश्मदीदों को बुलाया और उसका हुलिया पूछा. स्केच बनवाये गए और तब यह आइडिया लगा कि इस किलर की उम्र ज्यादा नहीं लग रही.
आखिरकार एक दिन पुलिस के हत्थे चढ़ गया सीरियल किलर
लेकिन वो कहते हैं ना की कातिल चाहे जितना भी शातिर हो एक न एक दिन वह कानून के शिकंजे में आ ही जाता है. इसलिए उसके बढ़ते हुए अपराध को देखते हुए पुलिस की कई टीमें अलग-अलग स्थान पर आम आदमी की तरह रात के अंधेरे में छुपकर अब सीरियल किलर का इंतजार करने लगी ऐसे में एक रात वह सीरियल किलर सड़क किनारे पेड़ की ओट लिए घात लगाए कम्बल ओढ़े हुए बैठा था शायद वह अपने अगले शिकार का इंतजार कर रहा था लेकिन इस बार उसकी किस्मत इतनी अच्छी नहीं थी जैसे ही उसने एक और व्यक्ति की हत्या करना चाही पुलिस ने उसे धर दबोचा इस दौरान पुलिस ने उसके पास से हत्या में प्रयोग किए जाने वाले हथौड़े और एक कंबल को भी बरामद किया.
कबूल किया अपना गुनाह
पुलिस जब उसे गिरफ्तार करके थाने ले आई तो एक बार के लिए पुलिस को भी उस पर विश्वास नहीं हुआ कि राजस्थान राज्य में दहशत लाने और 70 लोगों को मौत के घाट उतारने वाला यह वही लड़का है. क्योंकि देखने में काफी भोला-भाला उम्र महज 25 साल जैसे की हत्या करना मानो कोई बच्चों का खेल हो. हालांकि पुलिसिया पूछताछ के दौरान उसने अपना सारा गुनाह कबूल कर लिया.
लेकिन उसने जो बात बताई वह सुनकर पुलिस भी हैरान और परेशान रह गई दरअसल उसने बताया कि उसने जितने भी लोगों को मारा है वह उन्हें जानता भी नहीं था वह केवल अपने मजे के लिए इन लोगों की हत्याएं कर रहा था उसका ऐसा कहना था कि लोगों की चीख सुनना उसे बड़ा ही पसंद था. इसलिए वह एक के बाद एक लोगों को मारता जा रहा था और पुलिस ने पूछा अब तक तुम 60 हत्याएं कर चुके हो तो उसने खुद बताया कि नहीँ आप गलत है अभी तक मैं 70 लोगों को मार चुका हूँ.
कनपटीमार के अंतिम शब्द सुनकर सभी हुए हैरान
वहीं पुलिस ने उसके बयान दर्ज करते हुए उसे कोर्ट के सामने पेश किया गया जहां पर कोर्ट ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए महज 3 महीने के अंदर ही इस कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए उसे फांसी की सजा सुना दी. 16 मई 1979 को उसे फांसी दे दी गयी. सीरियल किलर कनपटिमार शंकरिया ने फांसी दी जाने से पहले एक ऐसी बात कही जिससे सभी के होश उड़ गए दरअसल उसने कहा कि "मैंने बेवजह ही हत्याएं की है किसी को मेरी तरह नहीं बनना चाहिए" 70 लोगों की हत्याएं करने वाले इस सीरियल किलर की यह अंतिम बातें सुनकर सभी को लगा कि उसे अपने किए का पछतावा है लेकिन वह कहते हैं ना कि जुर्म कोई भी कर लो उसका अंत काफी बुरा होता है यहां पर भी कुछ यही देखने को मिला.
