Premanand Ji Maharaj Biography: कौन हैं प्रेमानन्द जी महाराज? 13 वर्ष की उम्र में ही छोड़ दिया था घर, जानिए महाराज जी कैसे पहुंचे काशी से वृंदावन

हमारे देश का साधू-संतों से गहरा नाता रहा है. इन दिनों उत्तर प्रदेश के मथुरा-वृंदावन (Mathura-Vrindavan) से एक संत सोशल मीडिया पर बहुत ही चर्चा में हैं, जिनकी दोनों किडनियां लंबे समय से खराब हैं. 'राधा रानी' का नाम और 'राधा-राधा' जप और लाड़ली जू की सेवा उनके जीवन का उद्देश्य है. भक्तों के प्रश्नों के उत्तर बड़े ही सहजता से और उनका उचित मार्गदर्शन करते हैं. बाल्यकाल से ही उनके अंदर आध्यात्मिक भाव रहा. मात्र 13 वर्ष की उम्र में घर के मोह को त्यागकर वे सन्यासी बनने निकल पड़े. चलिए आपको इन पूज्य संत के बारे में अपने लेख के जरिये विस्तार से बताते हैं

Premanand Ji Maharaj Biography: कौन हैं प्रेमानन्द जी महाराज? 13 वर्ष की उम्र में ही छोड़ दिया था घर, जानिए महाराज जी कैसे पहुंचे काशी से वृंदावन
संत प्रेमानन्द जी महाराज, फोटो-साभार सोशल मीडिया

वृंदावन वाले परमपूज्य प्रेमानन्द जी महाराज की है इनदिनों चर्चा

राधा-राधा, राधा-राधा नाम जपते रहो. यही जीवन का उद्देश्य है. कोई भी संकट या दुख आये बस सब भूल जाओ और राधा-राधा कहते रहो कल्याण अवश्य होगा. यह सुंदर प्रवचन इन दिनों चर्चा में आये प्रसिद्घ संत श्री 'प्रेमानन्द जी महाराज' (Premanand Ji Maharaj) के हैं. जिनकी सुंदर वचनों और प्रसंगों का हर कोई दीवाना है. उनके जीवन का एक उद्देश्य है लाड़ली जू यानी राधा रानी (Radha Rani) की सेवा और राधा-राधा का जप करना. भटके लोगों का उचित मार्गदर्शन करना. यही नहीं इनके पास बड़े-बड़े सैलिब्रिटीज, विराट कोहली (Virat Kohli) व आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagat) भी इनके दर्शन के लिए जा चुके हैं. भक्तों में महात्मा-संत पर विशेष आस्था है. प्रेमानन्द जी पर शिव जी की ऐसी असीम प्रेरणा हुई कि वे काशी से वृंदावन पहुंच गए. चलिए राधा रानी परम भक्त संत श्री प्रेमानन्द जी कौन हैं, उनके इस जीवन की शुरुआत कैसे हुई और काशी से वृंदावन कैसे पहुंचना हुआ. आप इनके दर्शन कैसे कर सकते हैं? सभी जानकारियां आपतक पहुंचाएंगे.

Premanand Ji कहते हैं कि साधू,संत-महात्माओं का कभी अनादर नहीं करना चाहिए. जिस घर में गुरु, संत और महात्मा का आना होता है. यह समझ लें वहां स्वयं प्रभू (ईश्वर) का वास है. उनकी सेवा करिए उनके बताए गए मार्गों पर ध्यान कर आगे बढ़िये, भजन करिए सफलता निश्चित मिलेगी.

मथुरा-वृंदावन (Mathura Vrindavan) से चर्चा में आये संत श्री प्रेमानन्द जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) को आज कौन नहीं जानता. सोशल मीडिया में उनके स्वाभाव को देखकर लोग उनके दर्शन पाने के लिए व्याकुल होने लगे. इनके सत्संग जो भक्त ध्यान लगाकर सुनता है, राधा रानी के दर्शन अवश्य होते हैं. दोनों किडनियां खराब होने के बावजूद उनका एक ही ध्येय है राधा रानी का जप करना और लाड़ली जू की सेवा करना.

कौन हैं प्रेमानन्द जी महाराज (Who Is Premanand Ji Maharaj)?

संत प्रेमानन्द जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) का जन्म कानपुर जिले (Kanpur) के सरसौल के अखरी (Akhari) गांव में ब्राह्मण परिवार (Brahmin Family) में हुआ था. उनका असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडेय (Anirudh Kumar Pandey) है. उनके परिवार में शुरू से आध्यात्मिक माहौल रहा. इनके पिता का नाम शंभू पांडे और माता का नाम श्रीमती रामा देवी था, पिता भी संत थे. इनके घर पर हमेशा कोई न कोई संत-महात्मा का आना होता था. बाल्यकाल से ही प्रेमानन्द जी को अध्यात्म में रुचि रही. उनकी शिक्षा कक्षा 9 तक हुई. कम उम्र से ही उन्हें चालीसाएं कंठस्थ थीं. फिर उन्होंने सन्यास का प्रण किया. 

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13 वर्ष की उम्र में निकल पड़े घर से, काशी में बिताए कई वर्ष, फिर वृन्दावन की लगी प्रेरणा

कहा जाता है कि प्रेमानन्द जी महाराज अपनी माता से सबसे ज्यादा स्नेह करते हैं. जब 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी माता जी से कहा कि अम्मा मुझे भी घर से बाहर भगवान का ध्यान करना है. माँ ने सोचा कि बच्चा है ऐसे ही कह रहा होगा. लेकिन उन्होंने घर का त्याग करने का मन बना लिया था. अगले दिन मात्र 13 साल की उम्र में भोर से पहले ही अपनी इस आध्यात्मिक यात्रा पर निकल पड़े. फिर उनके जीवन का एक ही लक्ष्य था, भगवान की प्राप्ति.

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भगवत प्राप्ति के लिए उन्होंने काशी नगरी (Varanasi) से अपने संन्यासी जीवन की शुरुआत की. सुबह काशी के तुलसीघाट (Tulsighat) पर गंगा स्नान कर पास ही स्थित पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर ध्यान व अनुष्ठान करना शुरू कर दिया.

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कोई भोजन दे गया तो ग्रहण किया नहीं तो पानी पीकर ही उनका जीवन निकला. कई दिन ऐसे निकलते थे कि उन्होंने केवल पानी पीकर ही अपनी दिनचर्या निकाली. महादेव की ही कुछ ऐसी कृपा थी कि उन्हें वृंदावन का मार्ग प्रशस्त किया. 

एक दिन प्रेमानन्द जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) तुलसी घाट पर ही ध्यान कर रहे थे. तभी एक संत उनके पास आये और उनसे कहा कि यहां मथुरा वृंदावन (Mathura Vrindavan) के कलाकार आये हुए हैं, वहां रासलीला का मन्चन होगा. प्रेमानन्द जी ने पहले तो मना कर दिया की नहीं आप जाओ. जब बार-बार वह अपरिचित संत उनसे निवेदन करने लगे कि चलिए तो उन्होंने सोचा कि ऐसे मुझसे बार-बार क्यों ये कह रहे है, कहीं महादेव का कोई इशारा तो नहीं फिर क्या प्रेमानन्द जी चल दिए.

उन्होंने वहां चेतन्यलीला व रासलीला का मंचन देखा जिसे देख उनके अंदर वृंदावन जाने की प्रेरणा जगी. लेकिन वे वृंदावन कैसे पहुंचे यही उनके मन में चिंता को बढ़ा रही थी. बस एक ही रट लगायें रहे वृंदावन जाना है. रोज की तरह महाराज जी घाट पर फिर अपनी भक्ति में लीन हो गए. एक दिन एक महात्मा उनके पास आये और कहा कि बाबा प्रसाद लो. पहले उन्होंने सोचा कि ऐसे कैसे ले लूं, फिर उन्होंने कहा कि मुझे वृंदावन जाना है. प्रसाद ग्रहण किया. फिर वे महात्मा उन्हें अपने साथ कुटिया ले गए. प्रेमानन्द जी महाराज ने फिर उनसे आग्रह किया कि हमें वृन्दावन ले चलें.

वृन्दावन पहुंचे प्रेमानन्द जी दोनों किडनियां भी हैं खराब

जब वे पहली दफा वृंदावन पहुंचे तो वो वहीं के होकर रह गए. कई दिन वृन्दावन की अकेले परिक्रमा की. बिहारी जी के दर्शन किए, राधा रानी के दर्शन किये. कुछ दिन बाद फिर उन्हें एक संत ने कहा आप राधा वल्लभ (RadhaVallabh Temple) मन्दिर जाएं. फिर प्रेमानन्द जी वृन्दावन में ही राधा वल्लभ सम्प्रदाय से जुड़ गए. वहां पूज्य श्री हित मोहित मराल (Hit Mohit Maral Goswami) गोस्वामी जी से सम्पर्क करते हुए दीक्षा ली.

प्रेमानन्द जी करीब 10 वर्षो तक अपने गुरु की सेवा में तत्पर रहे. फिर वे बिहारी जी की कृपा और गुरु कृपा से राधा रानी की सेवा में लग गए. आज उनके देश और विदेशों में उनके अनेक भक्त हैं. उनके दर्शनों के लिए वृन्दावन आते रहते हैं. सबसे ज्यादा उनका नाम तब चर्चा में आया जब भारत के पूर्व कप्तान और दुनिया का सबसे बड़ा बल्लेबाज विराट कोहली पत्नी फ़िल्म अभिनेत्री अनुष्का शर्मा के साथ उनके दर्शन के लिये उनके आश्रम पहुंचे थे. उनके प्रेरणा देने वाले प्रसंग लोगों में एक ऊर्जा का काम करते हैं. इसके साथ ही आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी उनके दर्शन के लिए पहुंचे थे.

महाराज प्रेमानन्द जी की पिछले 17 सालों से दोनों किडनियां (Kidney) खराब है. उनकी डायलिसिस (Dialysis) हर सप्ताह होती है. राधा रानी की सेवा और उनके जप के प्रबल तप से उन्होंने अपनी एक किडनी का नाम राधा और दूसरे का कृष्ण रखा है. उनका कहना है कि जब तक राधा रानी की कृपा है तो डरना क्या? उनका कहना है आप सभी बस राधा रानी (लाड़ली जू) का ध्यान राधा राधा जपते रहिए. सब ठीक हो जाएगा. 

कैसे दर्शन कर सकते हैं प्रेमानन्द जी महाराज के (How to reach Premanand Ji Maharaj) ?

प्रेमानन्द जी महाराज तक यदि आपको पहुँचना है तो पहले आप मथुरा के वृन्दावन पहुंचिये. फिर उनके दर्शन के लिए ऑफिशियल वेबसाइट 'वृन्दावन रस महिमा' पर 8868985762 पर सम्पर्क कर सकते हैं. महाराज जी नित्य रात्रि 3 बजे वृन्दावन परिक्रमा के लिए निकलते हैं. वहां पर भी भक्तों का जनसैलाब दर्शन के लिए उमड़ता है. हालांकि वहां आपकी बात नही हो सकती है. उन्हें कोई छू नहीं सकता दूर से ही प्रणाम करना होगा. उनका आश्रम श्री हित राधा केली कुंज वृन्दावन परिक्रमा मार्ग, वराह घाट, भक्ति वेदांत धर्मशाला के सामने है. उनके दर्शन के लिए लंबी लाइन लगी होती है. महाराज जी से प्रश्न पूछना है, या फिर दीक्षा प्राप्त करनी है, उसके एक दिन पहले आपको महाराज जी के शिष्य के पास अपना नाम और अपना प्रश्न लिखवाने होंगे.

ध्यान रहे कि जिस दिन आपको गुरु जी से प्रश्न करना हो, उसके एक दिन पहले ही आप उनके शिष्यों के पास जाकर अपना नाम और प्रश्न लिखवा सकते हैं, इसके बाद आपको अगले दिन महाराज जी के आश्रम में आना है, जिसमें कि आपको बहुत लंबी लाइन में शामिल होना होगा, जिसके बाद शिष्य के द्वारा एक-एक करके सभी के प्रश्न महाराज जी के सामने लाए जाते हैं, यानी कि आप शिष्य के माध्यम से अपना प्रश्न महाराज जी से कर सकते हैं. गुरु जी हमेशा अपने भक्तों को राधा रानी का ही ध्यान के लिए कहते हैं. उनके उचित प्रसंग भक्तों के हित में होते हैं उन्हें मोटिवेट करने का काम करते हैं.

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